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भागवत को Z+ से बढ़ाकर ASL सिक्योरिटी दी गई:शाह को भी यही सुरक्षा, इसमें केंद्रीय सुरक्षाबलों के साथ लोकल एजेंसीज के जुड़ने का प्रोटोकॉल

राष्ट्रीय स्वयं सेवक (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत अब एडवांस सिक्योरिटी लाइजन (ASL) की सुरक्षा में रहेंगे। ऐसी ही सिक्योरिटी गृह मंत्री अमित शाह को मिलती है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि IB ने मंत्रालय को खतरों के जुड़ी एनालिसिस रिपोर्ट सौंपी थी। इसके आधार पर 16 अगस्त को नए निर्देश जारी किए गए।

अधिकारियों ने कहा कि पहले ASL प्रोटोकॉल तब यूज किया जाता था तब भागवत ऐसी जगहों पर जाते थे जो संवेदनशील हैं। अभी भागवत उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें CISF का ‘Z+’ सिक्योरिटी कवर मिलता है।

नए सिक्योरिटी अपडेट से CISF की वर्तमान में दी जा रही सिक्योरिटी और अपडेट हो जाएगी। ASL सिक्योरिटी में केंद्रीय सुरक्षाबलों के साथ लोकल एजेंसीज के जुड़ने का प्रोटोकॉल है।

IB ने रिपोर्ट में उन राज्यों का जिक्र किया है, जहां भाजपा की सरकार नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कट्टरपंथी इस्लामी समूहों के अलावा दूसरे संगठनों से भागवत को खतरा है।

21 अगस्त को शरद पवार को दी गई Z+ सिक्योरिटी
केंद्र सरकार ने 21 अगस्त को महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों को देखते हुए नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (SCP) प्रमुख शरद पवार की सिक्योरिटी को Z+ सिक्योरिटी दी। उनकी सुरक्षा में अब 10 अतिरिक्त CRPF जवान तैनात किए गए हैं।

22 अगस्त को शरद ने केंद्र पर जासूसी करने का आरोप लगाया था। उनका कहन था कि हो सकता है कि मेरी इन्फॉर्मेशन निकालने के लिए मेरी सिक्योरिटी बढ़ाई गई है। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं। शायद उन्हें कोई जरूरी जानकारी चाहिए। इसीलिए यह अरेजमेंट किया गया होगा।

जानिए Z+ सिक्योरिटी क्या होती है

किसे दी जाती है Z+ सिक्योरिटी?
देश के सम्मानित लोगों और नेताओं को जान का खतरा होने पर उन्हें Z+ सिक्योरिटी दी जाती है। ये सुरक्षा मिनिस्टर्स को मिलने वाली सिक्योरिटी से अलग होती है। पहले सरकार को इसके लिए एप्लिकेशन देनी होती है, जिसके बाद सरकार खुफिया एजेंसीज के जरिए खतरे का अंदाजा लगाती हैं। खतरे की बात कंफर्म होने पर सुरक्षा दी जाती है। होम सेक्रेटरी, डायरेक्टर जनरल और चीफ सेक्रेटरी की कमेटी ये तय करती है कि संबंधित लोगों को किस कैटेगरी में सिक्योरिटी दी जाए।

कौन देता है Z+ सिक्योरिटी?
पुलिस के साथ-साथ कई एजेंसीज VIP और VVIP को सिक्योरिटी कवर दे रही हैं। इनमें स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानी SPG, NSG, ITBP और CRPF शामिल हैं। हालांकि, खास लोगों की सुरक्षा का जिम्मा NSG के कंधों पर ही होता है, लेकिन जिस तरह से Z+ सिक्योरिटी लेने वालों की संख्या बढ़ी हैं, उसे देखते हुए CISF को भी यह काम सौंपा जा रहा है।

भारत की तीसरी सबसे उच्च सुरक्षा श्रेणी है Z सिक्योरिटी
देश में मिलने वाली 6 सुरक्षा श्रेणियों में SPG सर्वोच्च सुरक्षा श्रेणी है। यह सुरक्षा सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को दी जाती है। इसके बाद Z+ सुरक्षा और Z सुरक्षा आती है। जेड सुरक्षा भारत की तीसरी सबसे उच्च सुरक्षा श्रेणी है।

X सिक्योरिटी: इस श्रेणी में 2 सुरक्षा गार्ड तैनात होते हैं। जिसमें एक PSO (व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारी) होता है।

Y सिक्योरिटी: इसमें कुल 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं। जिसमें दो PSO (निजी सुरक्षागार्ड) भी होते हैं। इस श्रेणी में कोई कमांडो नहीं तैनात होता है।

Y+ सिक्योरिटी: इसमें 11 सुरक्षाकर्मी मिले होते हैं। इनमें 1 या 2 कमांडो और 2 PSO भी शामिल होते है। इस सुरक्षा के तहत कपिल मिश्रा को 24 घंटे दिल्ली पुलिस का एक सिपाही बतौर निजी सुरक्षा अधिकारी के तौर पर मिला है।

Z सिक्योरिटी: जेड श्रेणी की सुरक्षा में चार से पांच NSG कमांडो सहित कुल 22 सुरक्षागार्ड तैनात होते हैं। इसमें दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी या सीआरपीएफ के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं।

Z+ सिक्योरिटी: स्पेशल प्रोटक्शन ग्रुप की सुरक्षा के बाद जेड प्लस भारत की सर्वोच्च सुरक्षा श्रेणी है। इस श्रेणी में संबंधित विशिष्ट व्यक्ति की सुरक्षा में 36 जवान लगे होते हैं। इसमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो के साथ दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी या सीआरपीएफ के कमांडो और राज्य के पुलिसकर्मी शामिल होते हैं।

SPG सिक्योरिटी: स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) सुरक्षा का सबसे ऊंचा स्तर है। ये देश की सबसे पेशेवर एवं आधुनिकतम सुरक्षा बलों में से एक है। इसकी शुरुआत इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में की गई थी। यह सुरक्षा प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री को दी जाती है।

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