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राजनाथ सिंह आज नौसेना को दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन सौंपेंगे:अरिघात 750KM की रेंज वाली के-15 मिसाइलों से लैस; इसका वजन 60 हजार क्विंटल

राजनाथ सिंह आज नौसेना को दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन सौंपेंगे:अरिघात 750KM की रेंज वाली के-15 मिसाइलों से लैस; इसका वजन 60 हजार क्विंटल

विशाखापट्टनम2 घंटे पहले
अरिघात को 2017 में लॉन्च किया गया था। अरिघात INS अरिहंत का अपग्रेडेड वर्जन है।

भारत की दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिघात या S-3 ​​​​​​​बनकर तैयार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज इसे इंडियन नेवी को सौंपेंगे। अरिघात को 2017 में लॉन्च किया गया था। तब से इसकी टेस्टिंग जारी रही। अब इसे कमीशन किया जाएगा।

कमीशनिंग में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, भारतीय रणनीतिक कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल सूरज बेरी और DRDO के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। INS ​​​​​​​अरिघात भारत की रणनीतिक कमान के तहत काम करेगी।

यह INS अरिहंत का अपग्रेडेड वर्जन है। इसे विशाखापट्टनम में भारतीय नौसेना के शिप बिल्डिंग सेंटर (SBC) में बनाया गया था। अरिहंत की तरह ही अरिघात भी 750 किलोमीटर की रेंज वाली के-15 मिसाइलों से लैस है। इस सबमरीन का वजन 6 हजार टन (60 हजार क्विंटल) है।

भारत ने तैयार की परमाणु मिसाइलों से लैस 3 पनडुब्बियां
भारतीय नौसेना अब तक 3 न्यूक्लियर सबमरीन तैयार कर चुकी है। इसमें से एक अरिहंत कमीशंड है, दूसरी अरिघात मिलने वाली है और तीसरी S3 पर टेस्टिंग जारी है। इन सबमरीन के जरिए दुश्मन देशों पर परमाणु मिसाइल दागी जा सकती हैं। 2009 में पहली बार सांकेतिक तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर INS अरिहंत को लॉन्च किया था। इसके बाद 2016 में इसे नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। अगले 5 साल में दो और पनडुब्बियों को भारतीय नौसेना ने लॉन्च किया है।

2009 में लॉन्च करने से पहले भारत ने पनडुब्बियों को दुनिया से छिपा रखा था। 1990 में भारत सरकार ने ATV यानी एडवांस टेक्नोलॉजी वेसल प्रोग्राम शुरू किया था। इसके तहत ही इन पनडुब्बियों का निर्माण शुरू हुआ था।

दुनियाभर में सिर्फ 6 न्यूक्लियर ट्रायड देश, जिसमें भारत भी
INS अरिघात समुद्र के अंदर मिसाइल अटैक करने में उसी तरह सक्षम है, जिस तरह अरिहंत ने 14 अक्टूबर 2022 को टेस्टिंग की थी। तब अरिहंत से K-15 SLBM की सफल टेस्टिंग की गई थी। इसी के साथ भारत अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के अलावा दुनिया का छठा न्यूक्लियर ट्रायड देश बन गया था।

अब आसान भाषा में समझिए न्यूक्लियर ट्रायड क्या होता है?
इसे हम भारत और पाकिस्तान के उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए भारत और पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर युद्ध की तैयारी करने लगते हैं।

परमाणु हथियारों को छोड़ दें तो सैनिक शक्ति के मामले में भारत पाकिस्तान पर काफी भारी है। यानी युद्ध हुआ तो भारत की जीत तय है।

ऐसे हालात में पाकिस्तान भारत पर परमाणु हमला करने का प्लान बनाने में जुट जाता है। अब सवाल ये है कि पाकिस्तान सबसे पहले क्या सोचेगा?

इसका जवाब है कि ऐसे में पाकिस्तान की सबसे बड़ी चिंता होगी कि अगर वह परमाणु हमला करता है तो भारत भी जवाब में उस पर परमाणु हथियार इस्तेमाल करेगा। इस तरह पाकिस्तान खुद भी तबाह हो जाएगा।

ऐसे में पाकिस्तान भारत पर इतने ज्यादा परमाणु बम गिराने का प्लान बनाएगा कि भारत की जमीन पूरी तरह तबाह हो जाए और वह पाकिस्तान पर जवाबी हमला करने की स्थिति में न रहे।

इधर, भारत पहले से ऐसे किसी परमाणु हमले के जवाब में दुश्मन पर परमाणु हमला करने की क्षमता को बचाए रखने की तैयारी किए बैठा होगा। इसके दो तरीके हैं..

  • पहला तरीका: परमाणु बमों से लैस मिसाइल और लड़ाकू विमानों को ऐसी जगहों पर तैनात रखना जो परमाणु हमले के बावजूद पाकिस्तान को जवाब दे सकें। ऐसी जगहों में ऊंचे पर्वतीय इलाके, दूर अंडमान निकोबार जैसे द्वीप और मिसाइल छिपाकर दागने के लिए अंडरग्राउंड साइलोस, यानी भूमिगत ठिकाने शामिल हैं।
  • दूसरा तरीका: जमीन से दागी जाने वाली मिसाइलों और विमानों से परमाणु बम गिराने की क्षमता के साथ समुद्र में युद्धपोत और पनडुब्बियों से परमाणु मिसाइल दागने की ताकत डेवलप करना है। इनमें खास ध्यान परमाणु ईंधन से चलने वाली पनडुब्बियों पर दिया जाता है, क्योंकि युद्धपोतों को तलाश कर डुबोया जा सकता है, लेकिन गहरे समुद्र में गोता लगा रही पनडुब्बी को तलाशना आसान नहीं।

इस तरह साफ है कि परमाणु हथियारों को जमीन से मिसाइलों के जरिए, हवा से लड़ाकू विमानों के जरिए और समुद्र से पनडुब्बियों के जरिए दागने की क्षमता को ही न्यूक्लियर ट्रायड कहते हैं।

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