यूपी में यादव से ज्यादा ब्राह्मण-ठाकुरों का एनकाउंटर:साढ़े सात साल में 207 आरोपी ढेर, इनमें 67 मुस्लिम; मुठभेड़ का हिसाब-किताब
”लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था। इसीलिए तो नकली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया। अन्य लोगों के पैरों पर सिर्फ दिखावटी गोली मारी गई और ‘जाति’ देखकर जान ली गई। ”
यह बातें सपा मुखिया अखिलेश यादव ने 5 सितंबर को X पर लिखीं। उन्होंने डकैती के आरोपी मंगेश यादव के एनकाउंटर पर सवाल उठाए। आरोप लगाया- मंगेश इसलिए मारा गया, क्योंकि वह जाति विशेष का था।
8 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी ने अखिलेश को जवाब दिया। कहा- डकैत मारा गया तो इनको बुरा लग गया। चिल्ला रहे हैं। अब राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
दैनिक भास्कर ने योगी सरकार के साढ़े 7 साल के कार्यकाल के दौरान पुलिस मुठभेड़ की लिस्ट चेक की। देखा- किन बदमाशों पर कितना इनाम था, कितने केस दर्ज थे और उनकी जाति क्या थी? कितने पुलिस वालों ने जान गंवाई, किस जोन में सबसे ज्यादा एनकाउंटर हुए? पढ़िए सिलसिलेवार…
ग्राफिक्स से देखिए एनकाउंटर का हिसाब-किताब
पहले पढ़िए मंगेश यादव को लेकर आए अखिलेश, योगी और राहुल गांधी के बयान
अखिलेश यादव: जाति देखकर गोली मारी गई। दो दिन पहले उठाया और एनकाउंटर के नाम पर बंदूक सटाकर गोली मारकर हत्या की गई। अब उसकी मेडिकल रिपोर्ट बदलवाने का दबाव डाला जा रहा है। इस संगीन शासनीय अपराध का सर्वोच्च न्यायालय तुरंत संज्ञान ले, इससे पहले कि सबूत मिटा दिए जाएं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ: आप देखते होंगे, उनके किसी माफिया शार्गिद को मारा जाता है, तो चिल्लाने लगते हैं। जहां डकैत पुलिस मुठभेड़ में मारा गया, वहां ग्राहक भी बैठे थे। डकैत उनकी हत्या करके भाग जाता तो हम उनकी जान को वापस कर पाते क्या? ग्राहक किसी भी जाति का हो सकता था। यादव भी हो सकता था, दलित भी।
राहुल गांधी: भाजपा शासित राज्यों में ‘कानून और संविधान’ की धज्जियां वही उड़ा रहे हैं, जिन पर उनका पालन कराने की जिम्मेदारी है। सुल्तानपर में हुए मंगेश यादव के एनकाउंटर ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भाजपा रूल आफ लॉ पर विश्वास ही नहीं करती। UP STF के दर्जनों एनकाउंटर सवालों के घेरे में हैं? क्या आज तक उनमें से किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई हुई? आखिर कौन उन्हें बचा रहा है और क्यों? वर्दी पर लगी खून की छींटें साफ होनी चाहिए।
अब योगी सरकार के कार्यकाल में एनकाउंटर की बात योगी आदित्यनाथ 19 मार्च, 2017 को सीएम बने। तब से लेकर अब तक प्रदेश में पुलिस और बदमाशों के बीच लगभग 12,500 से ज्यादा मुठभेड़ हुईं। इन मुठभेड़ में 207 आरोपी ढेर हुए। साढ़े छह हजार से ज्यादा घायल हुए। करीब 27 हजार आरोपी पकड़े गए। मेरठ जोन में सबसे ज्यादा 66 क्रिमिनल मुठभेड़ में ढेर हुए। इसके बाद वाराणसी जोन में 21 और आगरा जोन में 16 आरोपी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए।
जाति और धर्म की बात करें तो पुलिस मुठभेड़ में 20 ब्राह्मण, 18 ठाकुर, 17 जाट-गुर्जर, 16 यादव जाति के आरोपी ढेर हुए।
जाति-धर्म देखकर एनकाउंटर के सवाल पर पूर्व DGP ओम प्रकाश सिंह कहते हैं- किसी भी अपराधी के खिलाफ कार्रवाई उसकी जाति देखकर नहीं की जाती। पहला प्रयास रहता है कि अपराधी को गिरफ्तार किया जाए। बीते साढ़े सात साल में जो एनकाउंटर हुए हैं, उसमें 67 मुस्लिम अपराधी और 130 हिंदू अपराधी मारे गए हैं। ऐसे में जाति या धर्म देखकर एनकाउंटर करने का आरोप गलत है।
वहीं, एनकाउंटर पर उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार अग्रवाल कहते हैं- अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए मौजूदा सरकार जो कदम उठा रही है, वह उचित है। इससे व्यापारी खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यह कहना गलत है कि एनकाउंटर गलत हो रहे हैं। अगर गलत हो रहा होता तो मानवाधिकार आयोग सबसे पहले आपत्ति दर्ज कराता। इधर, इस मामले में पुलिस के बड़े अफसर कुछ भी कहने से इनकार कर रहे हैं।
वो एनकाउंटर जिन पर सबसे अधिक उठे सवाल
विकास दुबे: कानपुर बिकरू कांड में पुलिस पार्टी पर फायरिंग के आरोपी विकास दुबे ने मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर के सामने सरेंडर किया था। यहां से उसे यूपी लाया गया। कानपुर के पास विकास दुबे जिस कार में बैठा था, वह पलट गई। विकास दुबे ने भागने का प्रयास किया और पुलिस की गोली से मारा गया। इसे लेकर जमकर राजनीति हुई और एनकाउंटर के तरीके पर सवाल उठाए गए थे। हालांकि इसकी रिटायर्ड जस्टिस ने जांच की और पुलिस कार्रवाई को सही ठहराया।
असद एनकाउंटर: झांसी में पिछले साल उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी और माफिया अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर को लेकर भी कई सवाल उठे थे। जिस जगह पर एनकाउंटर किया गया था, वह रास्ता आगे से बंद था। एसटीएफ ने बताया कि वह बाइक से भाग रहा था और पुलिस पर फायरिंग की। जवाबी कार्रवाई में असद ढेर हो गया। सवाल उठा कि बाइक पर कोई डेंट क्यों नहीं आया और बाइक की चाबी घटनास्थल से क्यों नहीं बरामद हुई?
अब मंगेश के एनकाउंटर पर हो रहा विवाद सुल्तानपुर के ज्वेलरी शॉप में डकैती का आरोपी मंगेश यादव 5 सितंबर को पुलिस एनकाउंटर में ढेर हो गया। इसके बाद से सियासत बढ़ गई। सबसे पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सवाल उठाया और कहा कि जाति देखकर जान ली गई। उन्होंने सपा का प्रतिनिधिमंडल बनाकर मंगेश के घर भेजा। फिर भीम आर्मी के चंद्रेशखर ने भी इस मामले में बयान दिया। इस विवाद में सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर भी कूद पड़े। उन्होंने कहा- पुलिस आत्मरक्षा के लिए क्या फूल बरसाएगी?
वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील गजेंद्र सिंह यादव ने एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में मामला दर्ज कराया है। पुलिस विभाग के अतिरिक्त किसी उच्चस्तरीय संस्था से जांच कराने की मांग की है।
इधर, आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है।
उन्होंने कहा- मंगेश यादव के पिता राकेश यादव और परिवार के अनुसार, उसे सोमवार, 2 सितंबर को घर से उठाया गया। पुलिस ने दो दिन तक अपने पास रखा। इसके बाद 5 सितंबर को तड़के उसका फर्जी एनकाउंटर दिखा दिया गया।
पूर्व IPS ठाकुर ने कहा- STF टीम की अगुआई कर रहे CO डीके शाही की एनकाउंटर के वक्त की तस्वीर सामने आई है। शाही स्लीपर में दिख रहे हैं। चप्पल की बनावट ऐसी है कि उसे पहनकर दौड़ा नहीं जा सकता। तेजी से दौड़ना और एनकाउंटर के समय घटित होने वाली अन्य स्थितियों का सामना करना तो बहुत दूर की बात है। उन्होंने जांच की मांग की है। डीके शाही की पत्नी ऋतु शाही बीजेपी की नेता हैं। ऋतु शाही को हाल में ही उत्तर प्रदेश महिला आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है।