हादसे का शिकार होने से बचे CM नीतीश कुमार:पटना में मुख्यमंत्री निकलने वाले थे, गिरा वेलकम गेट, अधिकारियों ने दौड़कर संभाला
सोमवार को CM नीतीश हादसे का शिकार होते-होते बच गए। सीएम पटना के बेलछी प्रखंड पहुंचे, जहां उन्होंने 100 करोड़ की लागत वाले कई प्रोजेक्टस का उद्घाटन और शिलान्यास किया। कार्यक्रम के बाद जैसे ही सीएम की गाड़ी ब्लॉक ऑफिस से निकलने वाली थी, वहां बना वेलकम गेट गिर पड़ा।
इस दौरान सीएम के कारकेड में शामिल एक गाड़ी बिल्कुल पास थी, जबकि मुख्यमंत्री की गाड़ी थोड़ी पीछे थी। गेट के गिरते ही, आनन-फानन में वहां मौजूद अधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने उसे संभाला। इस दौरान कुछ देर के लिए मुख्यमंत्री की गाड़ी रुकी रही।
गेट को संभालने के बाद मुख्यमंत्री की गाड़ी बाहर निकली। यहां से सीएम मोकामा विधानसभा क्षेत्र सहित बाढ़ के इलाके का दौरा करने निकले हैं। इस दौरान नीतीश कुमार मोकामा विधानसभा क्षेत्र में बन रहे 6 लेन सड़क और गंगा ब्रिज पर बन रहे 2 लेन रेलवे लाइन का जायजा लेंगे।
5 साल में 10 बार CM की सुरक्षा में सेंध
ये कोई पहली बार नहीं है, जब सीएम नीतीश की सुरक्षा में चूक हुई हो। पिछले 5 सालों की बात करें तो यह चूक 10 बार हुई है। कभी सीएम की ओर फूलों की माला, कभी लकड़ी का टुकड़ा फेंका गया। कभी उनके सुरक्षा घेरे को तोड़कर बाइकर घुसे तो कभी उनके भाषण के दौरान युवक अचानक से सामने आ गया।
नीचे ग्राफिक्स से जानिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सुरक्षा में कब-कब चूक हुई…
जानिए कैसे होती है VVIP की सुरक्षा…
1.रिंग राउंड में होते हैं CM रिटायर्ड IPS और बिहार के पूर्व DGP अभयानंद बताते हैं कि CM की सुरक्षा के लिए एक बड़ी कड़ी काम करती है। इसमें अफसरों से लेकर कॉन्स्टेबल की बड़ी भूमिका होती है। कई क्रम में सुरक्षा का घेरा होता है। CM काे रिंग राउंड सिक्योरिटी में रखा जाता है। इसमें बिना वर्दी के सशस्त्र पुलिस पदाधिकारियों को रखा जाता है। इसमें कांस्टेबल से लेकर डीएसपी रैंक के अफसर होते हैं। इनकी संख्या 8 से 10 होती है। रिंग राउंड में CM को घेरने वालों में सभी सादे कपड़ों में होते हैं, इसलिए उनकी रैंक पता नहीं चलती है। सुरक्षा में रिंग राउंड का घेरा बनाने वालों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, वह इतने चौंकन्ने होते हैं कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता है।
2. स्पेशल ब्रांच
इसमें सशस्त्र जवान तैनात होते हैं। जो बिहार के आर्म्ड फोर्स और जिला पुलिस से आते हैं। इसमें जवानों की संख्या तय नहीं होती है। भीड़ और हालात को देखते हुए जवानों की संख्या बढ़ाई और घटाई जाती है।
3.सबसे बाद में होती है जिला पुलिस तीसरे स्तर पर जिला पुलिस तैनात रहती है। जिला पुलिस तक रिंग राउंड के अंदर नहीं जाती है। रिंग राउंड में प्रवेश करने वालों की भी पहले जांच होती है। इसके लिए सुरक्षा अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। CM की सुरक्षा में रिंग राउंड के बाद सुरक्षा का जिम्मा संबंधित जिले की पुलिस का होता है।
पूर्व डीजीपी अभयानंद बताते हैं कि जिला पुलिस के अलावा कारकेट में पायलट के साथ फोर्स होती है। सीएम की यात्रा के दौरान गाड़ी में सीएम के साथ आगे ड्राइवर की बगल की सीट पर एक सुरक्षा कर्मी होता है। जबकि सीएम की गाड़ी के ठीक पीछे रिंग राउंड का विशेष दस्ता होता है, जो सीएम की गाड़ी से उतरते ही मधुमक्खी की तरह घेर लेता है।
ऐसे होती है सुरक्षा की जवाबदेही CM की सुरक्षा में IPS अफसरों के साथ कांस्टेबल तक की अहम भूमिका होती है। पूर्व डीजीपी अभयानंद का कहना है कि सीएम की सुरक्षा में डीजीपी के बाद डीजी स्पेशल ब्रांच होते हैं। इसके बाद एडीजी सिक्योरिटी का जिम्मा होता है। फिर नंबर आता है DIG सिक्योरिटी और SP सिक्योरिटी का। इतने IPS के जिम्मे सीएम की सुरक्षा की निगरानी होती है। इसके बाद एएसपी और डीएसपी से लेकर इंस्पेक्टर, दारोगा और कांस्टेबल होते हैं। सीएम का मूवमेंट किसी भी दिशा में होता है तो सुरक्षा में लगे अफसर लाइन पर होते हैं। वह पल-पल का हाल जानते रहते हैं।