सीएम योगी ने वाराणसी की ज्ञानवापी को साक्षात विश्वनाथ बताया। कहा-ज्ञानवापी ही साक्षात विश्वनाथ हैं। ज्ञानवापी को आज लोग दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
गोरखपुर में हिंदी दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने आदि शंकर की कहानी सुनाई। कहा- आदि शंकर ने जिस ज्ञानवापी के लिए साधना की.. दुर्भाग्य से उस ज्ञानवापी को लोग मस्जिद कहते हैं।
यह पहली बार नहीं है जब सीएम योगी ने ज्ञानवापी पर बयान दिया। पिछले साल जुलाई में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- अगर ज्ञानवापी को मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा।
उन्होंने कहा था-त्रिशूल मस्जिद के अंदर क्या कर रहा है। हमने तो नहीं रखे न। ज्योतिर्लिंग हैं, देव प्रतिमाए हैं। पूरी दीवारें चिल्ला-चिल्ला के क्या कह रही हैं। मुझे लगता है कि मुस्लिम समाज की ओर से यह प्रस्ताव आना चाहिए कि ऐतिहासिक गलती हुई है।
सीएम ने आदि शंकर और भगवान शिव की कहानी सुनाई हिंदी दिवस पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी में अयोजित कार्यक्रम में सीएम ने कहा- याद करिए, केरल में जन्मा एक संन्यासी आदि शंकर के रूप में भारत के चार कोनों में चार पीठों की स्थापना करता है। आचार्य शंकर जब अपने अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए काशी आए। तब साक्षात भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा ली।
ब्रह्म मुहूर्त में आदि शंकर गंगा स्नान के लिए जा रहे थे। भगवान सबसे अछूत कहे जाने वाले चंडाल के रूप में उनके मार्ग पर खड़े हो गए। उन्हें देखकर आदि शंकर ने कहा- मेरे मार्ग से हटो।
चंडाल ने उसने पूछा- आप अपने आपको अद्वैत ज्ञान के मर्मज्ञ मानते हैं। आप किसे हटाना चाहते हैं? आपका ज्ञान क्या इस भौतिक काया को देख रहा? या भौतिक काया के अंदर बसे हुए ब्रह्म को?
अगर ब्रह्म सत्य है, तो जो ब्रह्म आपके अंदर है, वही ब्रह्म मेरे अंदर भी है। इस ब्रह्म सत्य को जानकर भी ठुकरा रहे हैं। इसका मतलब आपका यह ज्ञान सत्य नहीं है। आदि शंकर भौचक्के रह गए।
उन्होंने पूछा- आप कौन हैं। मैं जानना चाहता हूं? जवाब में भगवान ने कहा- जिस ज्ञानवापी की उपासना के लिए आप केरल से चलकर यहां आए हैं। मैं साक्षात स्वरूप विश्वनाथ हूं।
दुर्भाग्य से वो ज्ञानवापी, जिसे लोग आज दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं, लेकिन वो ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ ही हैं।
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