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आतिशी समेत कैबिनेट का शपथ ग्रहण 21 सितंबर को:नया चेहरा होंगे मुकेश अहलावत; गोपाल राय और कैलाश गहलोत समेत 4 मंत्री बने रहेंगे

आतिशी समेत कैबिनेट का शपथ ग्रहण 21 सितंबर को:नया चेहरा होंगे मुकेश अहलावत; गोपाल राय और कैलाश गहलोत समेत 4 मंत्री बने रहेंगे

नई दिल्ली23 मिनट पहले
17 सितंबर को केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आतिशी ने LG विनय सक्सेना से सरकार बनाने की पेशकश की थी।

दिल्ली की मुख्यमंत्री चुनी गईं आतिशी 21 सितंबर को पद की शपथ लेंगी। आतिशी अपनी कैबिनेट के साथ शपथ लेंगी। कैबिनेट में मुकेश अहलावत नया चेहरा होंगे।

AAP ने बताया कि मुकेश, सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार आनंद की जगह लेंगे। अहलावत दिल्ली की सुल्तानपुर माजरा सीट से विधायक हैं। वे आम आदमी पार्टी (AAP) का दलित चेहरा हैं।

दिल्ली सरकार की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत सात सदस्य हैं। नए मुख्यमंत्री और नए सदस्यों का कार्यकाल छोटा होगा, क्योंकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 तक है।

कैबिनेट में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन मंत्री पद पर बरकरार रहेंगे। सातवें सदस्य के नाम की घोषणा अभी नहीं की गई है।

अरविंद केजरीवाल ने 17 सितंबर को विधायक दल की बैठक में आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री चुना गया। इसी दिन केजरीवाल ने अपना इस्तीफा दिया था।

मार्च 2023 में दिल्ली कैबिनेट का हिस्सा बनी थीं आतिशी आतिशी आप की स्थापना के वक्त ही पार्टी में शामिल हो गई थीं। 2013 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की मेनिफेस्टो ड्राफ्टिंग कमेटी की सदस्य थीं। वह पार्टी की प्रवक्ता भी रह चुकी हैं। वह दिल्ली विधानसभा में कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं और दिल्ली सरकार में सबसे ज्यादा विभागों की जिम्मेदारी उन्हीं के पास है।

आतिशी को मार्च 2023 में शराब नीति मामले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद AAP के सामने आई मुश्किलों के चलते दिल्ली कैबिनेट में नियुक्त किया गया था। आतिशी के सामने कई चुनौतियां होंगी, क्योंकि वे दिल्ली में फिर से आम आदमी पार्टी की सत्ता वापस लाने के लिए पार्टी का प्रमुख चेहरा होंगी।

CM चुने जाने के बाद आतिशी ने कहा था कि अगले चुनाव तक मेरे पास सिर्फ दो काम हैं। पहला- दिल्ली के लोगों की भाजपा के षड्यंत्र से रक्षा करना। दूसरा- केजरीवाल को फिर से CM बनाना।

केजरीवाल ने इस्तीफा क्यों दिया, 3 वजहें…

1. मुख्यमंत्री तो हैं, लेकिन पावर नहीं दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल 177 दिन बाद जमानत पर जेल से बाहर आए। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी कि वे CM ऑफिस नहीं जाएंगे और न ही किसी फाइल पर साइन करेंगे। यानी जेल से बाहर आने और मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके पास पावर नहीं रही।

2. सिर्फ 5 महीने का कार्यकाल बचा दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म हो रहा है। यानी सरकार के पास चुनाव में सिर्फ 5 महीने ही बचे हैं। इस दौरान सरकारें लोकलुभावन चुनावी फैसले लेती हैं। केजरीवाल कोर्ट की शर्तों में बंधे हैं। जेल से छूटने के बाद केजरीवाल के साथ सहानुभूति है। दो-तीन महीने पहले दिल्ली में चुनाव की मांग कर केजरीवाल इसे भुनाना चाहेंगे।

3. ईमानदार नेता की छवि को मजबूत करेंगे दिल्ली शराब नीति केस में नाम आने और गिरफ्तारी के बाद से ही भाजपा के नेता अरविंद केजरीवाल से मुख्यमंत्री पद छोड़ने की मांग कर रहे थे। इस्तीफा देने के बाद वे भाजपा नेताओं को सीधे कह सकेंगे कि सिर्फ आरोप रहते उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। अब उनकी ईमानदारी का फैसला जनता करेगी।

केजरीवाल इस्तीफे के बाद क्या करेंगे केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से भले हट जाएं, लेकिन वे आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक बने रहेंगे। इस्तीफे के बाद उनका पूरा फोकस हरियाणा विधानसभा चुनाव पर होगा। वे पार्टी प्रत्याशियों के लिए फुलटाइम प्रचार कर पाएंगे। AAP कांग्रेस से गठबंधन पक्का नहीं होने के बाद सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। केजरीवाल खुद हरियाणा में सिरसा जिले के सिवानी गांव के रहने वाले हैं।

इसके बाद वे झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर फोकस करेंगे। झारखंड में आप झामुमो के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है।

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