आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली जगन मोहन सरकार पर तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम में पशु चर्बी मिलाने का आरोप लगाया है।
चंद्रबाबू ने बुधवार (18 सितंबर) को कहा कि पिछले 5 साल में YSR कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने तिरुमाला की पवित्रता को धूमिल किया। उन्होंने ‘अन्नदानम’ (मुफ्त भोजन) की गुणवत्ता से समझौता किया।
यहां तक कि तिरुमाला के पवित्र लड्डू में घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया। हालांकि, अब हम प्रसादम में शुद्ध घी का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) की पवित्रता की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
YSR कांग्रेस के नेता बोले- चंद्रबाबू ने हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाई
वहीं, YSR कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता और राज्यसभा सांसद YV सुब्बा रेड्डी ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू ने तिरुमाला के पवित्र मंदिर और करोड़ों हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाकर बड़ा पाप किया है। तिरुमाला प्रसादम पर चंद्रबाबू की टिप्पणियां बेहद निंदनीय हैं। कोई इंसान ऐसे आरोप नहीं लगा सकता।
उन्होंने आगे कहा कि यह एक बार फिर साबित हो गया है कि चंद्रबाबू राजनीतिक फायदे के लिए कुछ भी बुरा करने से नहीं हिचकिचाते। भक्तों की आस्था को मजबूत करने के लिए मैं और मेरा परिवार तिरुमाला प्रसाद के मामले में भगवान को साक्षी मानकर शपथ लेने के लिए तैयार हैं। क्या चंद्रबाबू भी अपने परिवार के साथ शपथ लेने के लिए तैयार हैं?
भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है तिरुपति मंदिर
श्री वेंकटेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले में तिरुमाला पहाड़ी पर बना है। यह तिरुपति बालाजी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर ने लोगों को कलियुग के कष्टों और परेशानियों से बचाने के लिए अवतार लिया था।
तिरुपति मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें…
- यहां बालों का दान किया जाता है: मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है, उसके सभी दुःख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं। इसलिए यहां अपनी सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते हैं।
- भक्तों को नहीं दिया जाता तुलसी पत्र: सभी मंदिरों में भगवान को चढ़ाया गया तुलसी पत्र बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है। अन्य वैष्णव मंदिरों की तरह यहां पर भी भगवान को रोज तुलसी पत्र चढ़ाया तो जाता है, लेकिन उसे भक्तों को प्रसाद के रूप में नहीं दिया जाता। पूजा के बाद उस तुलसी पत्र को मंदिर परिसर में मौजूद कुएं में डाल दिया जाता है।
- भगवान विष्णु को कहते हैं वेंकटेश्वर: इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मेरू पर्वत के सप्त शिखरों पर बना हुआ है, इसकी 7 चोटियां शेषनाग के सात फनों का प्रतीक कही जाती हैं। इन चोटियों को शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरुड़ाद्रि, अंजनाद्रि, वृषटाद्रि, नारायणाद्रि और व्यंकटाद्रि कहा जाता है।
- इनमें से व्यंकटाद्रि नाम की चोटी पर भगवान विष्णु विराजित हैं और इसी वजह से उन्हें व्यंकटेश्वर के नाम से जाना जाता है।
- भगवान बालाजी ने यहीं दिए थे रामानुजाचार्य को साक्षात दर्शन: यहां पर बालाजी के मंदिर के अलावा और भी कई मंदिर हैं, जैसे- आकाश गंगा, पापनाशक तीर्थ, वैकुंठ तीर्थ, जालावितीर्थ, तिरुच्चानूर। ये सभी जगहें भगवान की लीलाओं से जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि श्रीरामानुजाचार्य जी लगभग डेढ़ सौ साल तक जीवित रहे और उन्होंने सारी उम्र भगवान विष्णु की सेवा की, जिसके फलस्वरूप यहीं पर भगवान ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए थे।