भारत में Mpox क्लेड 1 का पहला मरीज मिला:UAE से केरल लौटा था; क्लेड 1 स्ट्रेन को WHO हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है
भारत में मंकीपॉक्स (MPox) के क्लेड 1 स्ट्रेन का पहला मरीज मिला है। यह वही स्ट्रेन है, जिसे वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है। मरीज पिछले हफ्ते UAE से केरल लौटा था।
केरल के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, पीड़ित 38 साल का है। 17 सितंबर को मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर उसने खुद को क्वारंटीन कर लिया था।
इससे पहले 9 सितंबर को देश में मंकीपॉक्स के पहले मरीज मिलने की पुष्टि हुई थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि विदेश से लौटे एक व्यक्ति को 8 सितंबर को मंकीपॉक्स के संदेह में आइसोलेशन में रखा गया था। सैंपल लेकर जांच कराई गई, जिसमें मंकीपॉक्स के स्ट्रेन क्लेड 2 (क्लेड 1 नहीं) की पुष्टि हुई थी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की राज्यों को एडवाइजरी 9 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने मंकीपॉक्स को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की थी। चंद्रा ने कहा था कि मंकीपॉक्स के खतरे को रोकने के लिए सभी राज्यों को हेल्थ एक्शन लेना चाहिए।
राज्यों को मंकीपॉक्स पर स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के मंकीपॉक्स पर जारी सीडी-अलर्ट (कम्यूनिकेवल डिजीज अलर्ट) पर एक्शन लेना चाहिए।
इसके अलावा राज्यों को अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की समीक्षा करनी चाहिए। सीनियर अधिकारियों को जिलों की स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लेना चाहिए।
WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले युवा पुरुषों में सामने आए हैं, जिनकी औसत आयु 34 वर्ष (सीमा 18-44 वर्ष) है। सबसे ज्यादा मामले सेक्सुअल कॉन्टेक्ट से संक्रमण के हैं। इसके बाद जिसके बाद पर्सन-टू-पर्सन नॉन सेक्सुअल कॉन्टेक्ट के मामले हैं।
WHO ने मंकीपॉक्स को हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। भारत ने 20 अगस्त को देश के सभी पोर्ट, एयरपोर्ट के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटे बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया था।
यह दो साल में दूसरी बार है, जब WHO ने मंकीपॉक्स को लेकर हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीकी देश कांगो से हुई थी। अफ्रीका के दस देश इसकी गंभीर चपेट में हैं। इसके बाद ये तेजी से पड़ोसी देशों में फैली। आशंका है कि यह दुनिया के दूसरे देशों में भी फैल सकती है।
कोरोना की तरह यह विमान यात्रा और ट्रैवलिंग के दूसरे साधनों से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल रही है। WHO इसलिए भी चिंतित है क्योंकि मंकीपॉक्स के अलग-अलग प्रकोप में मृत्यु दर अलग-अलग देखी गई है। कई बार तो यह 10% से भी अधिक रही है।
क्या है मंकीपॉक्स मंकीपॉक्स चेचक जैसी एक वायरल बीमारी है। आमतौर इस वायरस से संक्रमण के ज्यादा दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह घातक हो सकता है। इसके चलते फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं और शरीर पर मवाद से भरे घाव हो जाते हैं। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस फैमिली का ही मेंबर है, जो चेचक (स्मालपॉक्स) के लिए भी जिम्मेदार है।
भारत में 2022 से मंकीपॉक्स के 30 केस मिले WHO के मुताबिक, 2022 के बाद से वैश्विक स्तर पर 116 देशों में मंकीपॉक्स के 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं। इस साल अब तक 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें दर्ज की गई हैं। 2022 के बाद से भारत में मंकीपॉक्स (Clade 2) के तीस मामले सामने आए हैं। आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था। भारत में मंकीपॉक्स की जांच के लिए 32 लेबोरेटरी हैं।