Headlines

जम्मू-कश्मीर में सेकेंड फेज की 26 सीटों पर कल वोटिंग:उमर अब्दुल्ला 2 सीटों से चुनाव लड़ रहे, पहले फेज में 61% मतदान हुआ था

जम्मू-कश्मीर में सेकेंड फेज की 26 सीटों पर कल वोटिंग:उमर अब्दुल्ला 2 सीटों से चुनाव लड़ रहे, पहले फेज में 61% मतदान हुआ था

श्रीनगर3 घंटे पहले
18 सितंबर को पहले फेज में 7 जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई थी। इस दौरान 61.38% वोटिंग हुई।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में कल बुधवार (25 सितंबर) को 6 जिलों की 26 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। इसमें 25.78 लाख मतदाता वोट डाल सकेंगे।

सेकेंड फेज की 26 सीटों में से 15 सीटें सेंट्रल कश्मीर और 11 सीटें जम्मू की हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, दूसरे फेज में 239 कैंडिडेट्स मैदान में हैं। इनमें 233 पुरुष और 6 महिलाएं हैं।

दूसरे फेज में 131 कैंडिडेट्स करोड़पति और 49 पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैना ने अपनी संपत्ति केवल 1,000 रुपए घोषित की है।

पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला गांदरबल और बीरवाह से चुनाव लड़ रहे हैं। उमर लोकसभा चुनाव में बारामुला सीट तिहाड़ जेल से चुनाव लड़े इंजीनियर राशिद से हार गए थे। इस बार भी गांदरबल सीट पर उनके खिलाफ जेल में बंद सरजन अहमद वागे उर्फ आजादी चाचा मैदान में हैं।

18 सितंबर को पहले फेज में 7 जिलों की 24 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग हुई। इस दौरान 61.38% मतदान हुआ। किश्तवाड़ में सबसे ज्यादा 80.20% और पुलवामा में सबसे कम 46.99% वोटिंग हुई।

श्रीनगर की सबसे ज्यादा 8 सीटों पर वोटिंग, PDP ने सभी सीटों पर कैंडिडेट्स उतारे दूसरे फेज में सबसे ज्यादा 8 श्रीनगर में और सबसे कम 2 सीटें गांदरबल जिले की हैं। इनके अलावा बडगाम और राजौरी की 5-5, रियासी और पुंछ की 3-3 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। श्रीनगर डिवीजन में गांदरबल, श्रीनगर, बडगाम और जम्मू डिविजन में रियासी, राजौरी और पुंछ शामिल हैं। श्रीनगर की हब्बाकदल सीट पर सबसे ज्यादा 16 कैंडिडेट्स चुनावी मैदान में हैं। वहीं राजौरी की बुद्धल में 4 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) इस फेज की सभी 26 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। गठबंधन में चुनाव लड़ रहे नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 20 जबकि कांग्रेस ने 6 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा के 17 जबकि 98 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं। दूसरे चरण में श्रीनगर जिले में 93 कैंडिडेट्स मैदान में हैं। इसके बाद बडगाम में 46, राजौरी में 34, पुंछ में 25, गांदरबल में 21 और रियासी में 20 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।

कांग्रेस के सभी 6 कैंडिडेट्स करोड़पति, भाजपा अध्यक्ष की संपत्ति केवल 1000 रुपए एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के फेज 2 के 238 उम्मीदवारों के हलफनामे के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की। ADR की रिपोर्ट के अनुसार, दूसरे फेज के 238 कैंडिडेट की औसत संपत्ति 5.80 करोड़ रुपए है।

238 में से 55% यानी 131 कैंडिडेट्स करोड़पति हैं। इनके पास एक करोड़ या उससे ज्यादा की संपत्ति है। कांग्रेस पार्टी के सभी 6 कैंडिडेट्स करोड़पति हैं, जिनकी औसत संपत्ति 29.39 करोड़ रुपए है। वहीं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के 26 में से 19 कैंडिडेट करोड़पति हैं।

जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के कैंडिडेट सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी की संपत्ति सबसे ज्यादा 165 करोड़ और सबसे कम निर्दलीय कैंडिडेट मोहम्मद अकरम की 500 रुपए हैं। इनके अलावा जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रविंदर रैनाने अपनी संपत्ति केवल 1,000 रुपए घोषित की है।

49 कैंडिडेट्स पर क्रिमिनल केस दर्ज, 8 रेड अलर्ट सीटें ADR की रिपोर्ट के अनुसार, दूसरे फेज के 238 में से 21% यानी 49 उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। वहीं 16% यानी 37 कैंडिडेट्स ऐसे हैं जिन पर हत्या, किडनैपिंग जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। 3 उम्मीदवारों पर हत्या की कोशिश के मामले हैं। 7 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं। इनमें से एक पर IPC की धारा 376 के तहत रेप का मामला भी दर्ज है।

सेकेंड फेज की 26 में से 8 रेड अलर्ट सीटें हैं। रेड अलर्ट सीटें उन्हें कहा जाता है जहां 3 या उससे अधिक कैंडिडेट पर क्रिमिनल केस दर्ज हों। 8 सीटों में हब्बाकदल, ईदगाह, बडगाम, गांदरबल, कालाकोट-सुंदरबनी, बीरवाह, जदीबल और खानसाहिब शामिल हैं।

सेकेंड फेज की 5 हॉट सीट

1. गांदरबल

गांदरबल विधानसभा अब्दुल्ला परिवार का गढ़ रहा है। इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला गांदरबल सीट से चुनाव मैदान में है। उनसे दादा शेख अब्दुल्ला 1977 और पिता फारूक अब्दुल्ला 1983, 1987 और 1996 में सीट से चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि 2002 में नेशनल कॉन्फ्रेंस यह सीट हार गई थी। 2008 के चुनाव में ​उमर अब्दुल्ला सीट से चुनाव जीते। इसके बाद वो मुख्यमंत्री भी बने। 2014 विधानसभा में शेख इशफाक जब्बार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर गांदरबल सीट पर जीत दर्ज की थी।

गांदरबल सीट पर 15 उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि उमर अब्दुल्ला का मुकाबला जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (JKPDP) के बशीर अहमद मीर और 2014 में नेशनल कॉन्फ्रेंस की टिकट से विधायक रहे जम्मू-कश्मीर यूनाइटेड मूवमेंट के शेख इश्फाक जब्बार से है। भाजपा ने यहां से कैंडिडेट नहीं उतारा है। गांदरबल सीट पर जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (JKAP) के काजी मुबिशर फारूक और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के नेता कैसर सुल्तान गनी चुनाव लड़ रहे हैं।

इनके अलावा अब्दुल्ला के सामने कश्मीर घाटी में आजादी चाचा के नाम से मशहूर अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती से भी है। बरकती इस समय जेल में बंद है। उनपर बरकती वुरहान वानी की मौत के बाद भड़काऊ भाषणों देकर युवाओं को आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाने का आरोप है। इससे पहले उमर बारामुला से लोकसभा चुनाव तिहाड़ जेल से चुनाव लड़े इंजीनियर रशिद से हार गए थे। इंजीनियर रशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी की ओर से शेख आशिक मैदान में है। NC-कांग्रेस गठबंधन के बाद गांदरबल जिले के कांग्रेस अध्यक्ष साहिल फारूक ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

2. बडगाम

1962 में अस्तित्व में आई बडगाम विधानसभा सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) का दबदबा रहा है। पिछले 10 विधानसभा चुनावों में सिर्फ एक बार ऐसा हुआ है जब NC को हार का सामना करना पड़ा है। 1972 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के अली मोहम्मद मीर ने यहां से जीत दर्ज की थी। ऐसे में बडगाम को उमर के लिए एक सेफ सीट कहा जा रहा है।

सीट पर 8 प्रत्याशी मैदान में है, लेकिन मुख्य मुकाबला उमर अब्दुल्ला और JKPDP कैंडिडेट आगा सैयद मुंतजिर मेहदी के बीच है। आगा सैयद मुंतजिर प्रमुख शिया मौलवी और हुर्रियत नेता आगा सैयद हसन मोसावी के बेटे हैं। आगा परिवार कश्मीर के तीन प्रमुख शिया मौलवी परिवारों में से एक है। मोसावी का कश्मीर के बडगाम जिले में धार्मिक और राजनीतिक प्रभाव है। बडगाम विधानसभा में 30 से 33 हजार वोटर शिया हैं जो जिले की आबादी का करीब 35 प्रतिशत है।

इससे पहले सीट का प्रतिनिधित्व मेहदी के चचेरे भाई आगा सैयद रूहुल्लाह ने किया था जो लोकसभा चुनाव में श्रीनगर से संसद के लिए चुने गए है। 2014 के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रत्याशी आगा सैयद रुहुल्लाह मेहदी बडगाम सीट से चुनाव जीते थे।

3. नौशेरा

नौशेरा विधानसभा परंपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है। 1962 में अस्तित्व में आने के बाद से 2002 तक लगातार आठ बार कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की, लेकिन 2008 के चुनावों में यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के सामने हार गई। इस बार नौशेरा सीट पर भाजपा ने जम्मू-कश्मीर प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना को एक बार फिर से टिकट दिया है। उनके सामने में 2014 चुनाव में उन्हें कड़ी टक्कर देने वाले तत्कालीन PDP कैंडिडेट सुरेंद्र चौधरी की चुनौती है जो इस बार JKNC के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं पीडीपी ने एडवोकेट हक नवाज चौधरी को टिकट दिया है।

2014 के जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रविंदर रैना ने 9,503 वोटों के अंतर से नौशेरा सीट पर जीत दर्ज की थी। उन्होंने तत्कालीन तत्कालीन PDP उम्मीदवार सुरेंद्र चौधरी को हराया था।

4. बुद्धल

जम्मू के पीर पंजाल इलाके में राजौरी जिले के बुद्धल विधानसभा सीट पर चाचा और भतीजा के बीच मुकाबला है। यह विधानसभा सीट परिसीमन के बाद आधार पर बनी है। भाजपा ने इस सीट से पूर्व मंत्री चौधरी जुल्फिकार अली को टिकट दिया है। उनके सामने नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जावेद इकबाल चौधरी को मैदान में उतारा है। जावेद, जुल्फकार की सगी बड़ी बहन के बेटे हैं। वो कोटरंका ब्लॉक से ब्लॉक विकास परिषद (BDC) का चुनाव जीता और BDC चेयरमैन रहे हैं। जावेद अपनी पत्नी के साथ स्वतंत्र राजनीतिक नेता थे, अगस्त 2024 में नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हो गए।

दूसरी तरफ कैंडिडेट्स की नामों की घोषणा से ठीक दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष चौधरी जुल्फकार भाजपा में शामिल हो गए। जुल्फकार अली पेशे से एक वकील हैं। उन्होंने 2008 और 2014 के विधानसभा चुनावों में PDP के टिकट पर राजौरी जिले की दरहाल विधानसभा से चुनाव लड़ा था। दोनों चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई थी। 2015 से 2018 तक वे महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली PDP-BJP गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे थे। लेकिन BJP के गठबंधन सरकार से बाहर होने के बाद जून 2018 में गठबंधन की ये सरकार गिर गई थी। इसके बाद पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में कई PDP नेताओं ने साल 2020 में JKAP यानी जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी की स्थापना की थी।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने यहां से युवा चेहरे गुफ्तार अहमद चौधरी को मौका दिया है। बुद्धल विधानसभा क्षेत्र से केवल चार उम्मीदवार मैदान में हैं और चौथे उम्मीदवार बहुजन समाज पार्टी (BSP) के अब्दुल रशीद हैं।

5. श्रीमाता वैष्णो देवी

श्रीमाता वैष्णो देवी क्षेत्र पहले जम्मू की रियासी विधानसभा सीट का हिस्सा हुआ करता था। 2022 में परिसीमन के बाद नई सीट श्रीमाता वैष्णो देवी बनी। रियासी का हिस्सा रहते हुए 2014 और 2008 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने जीता था।

इस सीट पर पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं। रियासी से पिछले दो विधानसभा चुनाव जीतने वाली BJP ने बलदेव राज शर्मा को कैंडिडेट बनाया है। हालांकि इनसे पहले पार्टी ने रियासी के जिला अध्यक्ष रोहित दुबे को उम्मीदवार बनाया, लेकिन कुछ ही घंटों बाद उनका नाम वापस ले लिया। कांग्रेस के उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह हैं। वहीं पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट रहे जुगल किशोर इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर करीब 15 हजार बारीदार वोटर्स हैं। बारीदार संघर्ष समिति ने अपने अध्यक्ष श्याम सिंह को निर्दलीय उतारा है। जम्मू में वोटर्स के लिहाज से ये सबसे छोटी सीट है। यहां कुल 55,618 वोटर्स हैं।

2014 से कितना अलग 2024 जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव

  • 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटाया गया। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहा है।
  • आखिरी बार 2014 में 87 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ था, जिसमें 4 सीटें लद्दाख की थीं। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद 7 विधानसभा सीटें बढ़ीं। इसलिए इस बार 90 सीटों पर चुनाव हो रहा है।
  • जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों में से 74 जनरल, 7 एससी और 9 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं।
  • आर्टिकल 370 हटने के पहले विशेष राज्य होने के कारण जम्मू-कश्मीर सरकार का कार्यकाल 6 साल का होता था, लेकिन अब यह 5 साल का ही होगा।

90 सीटों पर 3 फेज में हो रही वोटिंग जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों पर 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को तीन फेज में वोटिंग होनी है। बहुमत का आंकड़ा 46 है। नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। 2014 चुनाव में PDP ने सबसे ज्यादा 28 और भाजपा ने 25 सीटें जीती थीं। दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई थी।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 87 लाख वोटर्स और 11 हजार से ज्यादा बूथ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 87 लाख 9 हजार वोटर्स हैं। विधानसभा चुनाव के लिए 11838 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। हर बूथ पर औसतन 735 वोटर्स वोट डालेंगे। महिलाओं और दिव्यांग के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। वहीं 360 मॉडल पोलिंग स्टेशन बनाए जाएंगे।

तीसरे फेज में 1 अक्टूबर को 40 सीटों पर वोटिंग होगी

2014 में हुए थे आखिरी विधानसभा चुनाव जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब BJP और PDP ने गठबंधन सरकार बनाई थी। 2018 में गठबंधन टूटने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन (उस समय जम्मू-कश्मीर संविधान के अनुसार) रहा। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

राष्ट्रपति शासन के बीच ही 2019 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें BJP भारी बहुमत के साथ केंद्र में लौटी। इसके बाद 5 अगस्त 2019 को BJP सरकार ने आर्टिकल -370 खत्म करके राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था। इस तरह जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर की 90 सीटें, परिसीमन में 7 जुड़ीं जम्मू-कश्मीर में 2014 के विधानसभा चुनाव में 87 सीटें थीं। जिनमें से 4 लद्दाख की थीं। लद्दाख के अलग होने पर 83 सीटें बचीं थीं। बाद में परिसीमन के बाद 7 नई सीटें जोड़ी गईं। उनमें 6 जम्मू और 1 कश्मीर में है। अब कुल 90 सीटों पर चुनाव होगा। इनमें 43 जम्मू, 47 कश्मीर संभाग में हैं। 7 सीटें SC (अनुसूचित जाति) और 9 सीटें ST (अनुसूचित जनजाति) के लिए रिजर्व हैं।

जम्मू-कश्मीर लोकसभा चुनाव का परिणाम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की पांच सीटें हैं। 2024 चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और भाजपा को 2-2 सीटों पर जीत मिली थी जबकि एक सीट से निर्दलीय इंजीनियर राशिद को जीत मिली थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Budget 2024