हरियाणा के सोनीपत से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र पंवार जेल से बाहर आए गए हैं। 2 दिन पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) के केस को खारिज कर दिया था। कोर्ट के ऑर्डर जारी न होने के चलते उनको फैसले के बाद भी जेल से रिहा नहीं किया जा सका था।
बुधवार को हाईकोर्ट ने सुरेंद्र पंवार की रिहाई के लिए ऑर्डर जारी किए। इसके बाद वकील ऑर्डर लेकर अंबाला जेल पहुंचे। इससे पहले मंगलवार को वकील दिनभर कोर्ट से ऑर्डर निकलवाने में लगे रहे।
जेल से बाहर आने की पहली 2 तस्वीरें…
3 महीने से अंबाला जेल में थे पंवार सुरेंद्र पंवार को ईडी ने गुरुग्राम में पूछताछ के बाद 20 जुलाई को गिरफ्तार किया था। तब से वे अंबाला जेल में थे। सुरेंद्र पंवार 2019 में कांग्रेस के टिकट पर सोनीपत से विधायक बने थे। अब कांग्रेस ने उन्हें फिर से टिकट दिया है। कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद सुरेंद्र पंवार ने 12 सितंबर को सोनीपत में पुलिस हिरासत में नामांकन दाखिल किया था।
पंवार के बाहर आने से मुकाबला दिलचस्प होगा बीजेपी ने सोनीपत में कांग्रेस के बागी नगर निगम मेयर निखिल मदान को टिकट देकर मैदान में उतारा है। हालांकि, बीजेपी प्रत्याशियों को अभी भी यहां गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, सुरेंद्र पंवार के जेल में होने की वजह से यहां उनका चुनाव प्रचार भी प्रभावित हो रहा था। उनकी गैरमौजूदगी में उनकी पुत्रवधू समीक्षा पंवार मैदान में थीं।
राजनीति से जुड़े लोग बताते हैं कि सुरेंद्र पंवार के जेल से बाहर आने के बाद अब सोनीपत सीट पर चुनावी मुकाबला बड़ा ही रोचक हो जाएगा। यहां विधानसभा चुनाव में सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच है। निखिल मदान ने जीत के लिए पूरी ताकत झोंकी हुई है। हालांकि पूर्व मंत्री कविता जैन व राजीव जैन भाजपा प्रत्याशी के चुनाव प्रचार से दूर हैं।
खनन कारोबार को लेकर जनवरी में रेड हुई विधायक सुरेंद्र पंवार का हरियाणा के साथ राजस्थान में भी खनन कारोबार है। इसी साल 4 जनवरी को ED की टीम ने उनके सोनीपत में सेक्टर-15 स्थित आवास पर रेड की थी। खनन कारोबार में करीब 36 घंटे तक जांच हुई थी। जिसके बाद खनन कारोबार में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए टीम ने घर में रखे डॉक्यूमेंट खंगाले थे।
उसी दिन यमुनानगर के पूर्व विधायक दिलबाग सिंह के ठिकानों पर भी ED की टीम ने रेड की थी। उनके महाराणा प्रताप चौक के पास ऑफिस, सेक्टर-18 में खनन एजेंसी के ऑफिस और कलेसर में फार्म हाउस पर जांच की गई। उनके करीबियों संजीव गुप्ता, इंद्रपाल सिंह उर्फ बबल के घर, ट्रांसपोर्टर गुरबाज सिंह के ऑफिस पर भी टीमें पहुंची थीं।
5 दिन रेड के बाद 8 जनवरी को दिलबाग सिंह को ED ने गिरफ्तार कर लिया था। ED ने दावा किया था कि रेड के दौरान दिलबाग के घर से 5 करोड़ रुपए कैश, 3 गोल्ड बिस्किट, विदेशी शराब की 100 से ज्यादा बोतलें, विदेश में बनाई कई संपत्तियों के कागजात, 5 विदेशी राइफलें, 300 कारतूस समेत अन्य चीजें बरामद की।
जिसके बाद यमुनानगर में उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट और एक्साइज एक्ट में 2 केस दर्ज किए गए थे। एक महीने बाद दिलबाग सिंह को जमानत मिल गई थी।