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खट्‌टर बोले-शंभू बॉर्डर पर बैठे लोग किसान नहीं:मुखौटा पहन सिस्टम खराब करना चाहते हैं; डिटेल में जाने की जरूरत नहीं, जल्द फैसला होगा

हरियाणा के अंबाला में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर ने किसानों को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि हरियाणा-पंजाब के बॉर्डर जो लोग उस पार बैठे हैं, वे किसान नहीं हैं। किसान के नाम का मुखौटा पहने पहने वे चंद लोग हैं, जो सिस्टम को खराब करना चाहते हैं।

खट्‌टर ने कहा है कि, “यहां का एक बड़ा मुद्दा जरूर है। यह जो पंजाब का रास्ता बंद है, इससे आम लोगों, व्यापारी भाइयों को थोड़ी परेशानी हुई है। हमने खोलने की सभी योजनाएं बना ली थीं, लेकिन वे (प्रदर्शनकारी) लोग स्थिर सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं। इस प्रकार के लोग हैं। पूर्व CM ने कहा कि डिटेल में जाने की जरूरत नहीं है। आप भी जानते हैं कि वे कौन हैं।

सुप्रीम कोर्ट निकाल रहा हल, जल्द होगा फैसला पूर्व CM ने कहा कि अंबाला शहर इसके (शंभू बॉर्डर) नजदीक है, तो जाहिर है कि जो नजदीक होगा, उसे परेशानी ज्यादा होगी। आज हरियाणा के लोग खुश हैं कि उन्होंने ऐसे लोगों को राज्य में कदम नहीं रखने दिया। मजबूत नाकाबंदी की है।

खट्‌टर बोले कि हम इस मुद्दे को लेकर आगे बढ़ रहे थे, लेकिन कुछ मामले कोर्ट में आ गए। आखिरकार, अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले का हल निकालने में लगा हुआ है। कोर्ट ने कमेटी बनाई है। कमेटी के लोग बातचीत कर इस मसले का हल निकालने में लगे हुए हैं।

जनवरी 2021 में किसान आंदोलन के दौरान लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज उतारकर अपना झंडा फहरा दिया था।

लाल किले पर चढ़ने वाले किसान नहीं केंद्रीय मंत्री कार्यकर्ताओं की बैठक में बोले, ‘अब यह बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि जो मुखौटा पहने लोग बैठे हुए हैं, उन पर सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले रहा है। सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मसले का हल निकालने में लगा हुआ है। आज नहीं निकलेगा, एक हफ्ते बाद निकलेगा।

सुप्रीम कोर्ट हल बिना कंडीशन के नहीं निकालेगा। इसका कारण है कि जिस प्रकार वह उत्पात पिछली बार मचा गए, ऐसा किसान कौन होगा, जो किसान लाल किले पर चढ़ जाए। यह देश के प्रति अपमान है। इसे देश सहेगा नहीं।

CRPC की धाराओं में बदलाव चाहते हैं ये लोग खट्‌टर ने कहा कि देश की कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए CRPC की धाराओं में बदलाव किया जा रहा है। इसे लेकर किसान का मुखौटा पहने लोग आकर कह रहे हैं कि ये कानून किसान हित में नहीं हैं। अरे भाई किसान हो तो किसान की बात करो।

कानून व्यवस्था को तो सिस्टम ही चलाएगा। हम देश भक्त लोग हैं। सबसे पहले हमारे लिए देश है। बाकी सब बाद में।

किसान आंदोलन 2.0 के दौरान शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड्स को ट्रैक्टर से खींचकर साइड करते प्रदर्शनकारी।

यह बयान भी चर्चा में रहा खट्‌टर ने इससे पहले किसानों के आंदोलन के तरीके पर भी सवाल खड़े किए थे। चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खट्‌टर ने कहा था कि उनका (किसान) आंदोलन आक्रमण टाइप का होता है। जैसे कोई सेना आक्रमण करने के लिए चलती हो, इस प्रकार का माहौल बनाया जाता है। उसमें भी ट्रैक्टर, ट्रॉली, JCB, हाइड्रो लेकर जाते हैं। सबको कहते हैं कि एक साल का राशन लेकर चलो।

CM ने कहा था कि हमें भी अपने नागरिकों और किसानों की सुरक्षा करनी होती है। किसान भी अपने ही हैं। अपने देश के हैं, लेकिन उनका जो तरीका है, उस पर हमें आपत्ति है। उन्हें अपनी बात लोकतांत्रिक ढंग से रखनी चाहिए। ट्रैक्टर खेती के लिए है, ट्रांसपोर्ट के लिए नहीं।

फरवरी 2024 से बॉर्डर पर बैठे हैं किसान बता दें कि पंजाब और हरियाणा के किसान फसलों पर MSP को लेकर फरवरी 2024 से शंभू बॉर्डर पर बैठे हैं। वे हरियाणा होकर दिल्ली के लिए कूच करने वाले थे, लेकिन सुरक्षा तो ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने उन्होंने बॉर्डर पर ही रोककर बॉर्डर को बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया।

अब किसान वहां स्थायी मोर्चा लगाकर बैठे हैं और वहां से आवाजाही बंद है। इससे अंबाला के व्यापारियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। इस कारण उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को बॉर्डर खोलने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

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