बॉम्बे हाईकोर्ट में गुरुवार को पुणे पोर्श केस मामले से जुड़ीं तीन याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इसमें पुलिस की ओर से नाबालिग पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाने, बचाव पक्ष की ओर से जब्त पोर्श कार लौटाने और नाबालिग आरोपी का पासपोर्ट जारी करने की याचिकाएं शामिल हैं।
पुणे के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) ने 29 अगस्त को तीनों आवेदनों की सुनवाई को 26 सितंबर के लिए स्थगित कर दिया था। जब्त की गई पोर्श कार और नाबालिग के पासपोर्ट को वापस करने के बचाव पक्ष के आवेदन को भी स्थगित कर दिया था।
22 अगस्त को पुणे की एक अदालत ने इस मामले में नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल की हेराफेरी में शामिल 6 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज की थी।
पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 18 मई की रात 17 साल 8 महीने के एक लड़के ने IT सेक्टर में काम करने वाले बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई थी। घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कार चला रहा था।
पोर्श मामले में 9 लोगों की गिरफ्तारी पुणे पुलिस के अनुसार, अब तक मामले में 9 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पुणे पुलिस ने 25 जुलाई में 7 लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने, सबूत मिटाने और ब्लड सैंपल बदलने के आरोप में केस दर्ज किया था। इनमें नाबालिग के माता-पिता, ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टर, एक कर्मचारी और दो बिचौलिए शामिल हैं।
25 जून: हाईकोर्ट ने 3 आधार पर नाबालिग को जमानत दी थी…
1. हाईकोर्ट ने कहा- आरोपी की उम्र 18 साल से कम, उसे ध्यान में रखना जरूरी आरोपी लड़के की आंटी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में रिहाई की याचिका लगाई थी। इस याचिका में कहा गया था कि लड़के को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया है। उसे तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। जस्टिस भारती डांगरे और मंजुशा देशपांडे ने आरोपी को ऑब्जर्वेशन होम भेजने के जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के आदेश को रद्द कर दिया था।
बेंच ने यह भी नोट किया था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का आदेश अवैध था और बिना जुरिस्डिक्शन के जारी किया गया था। एक्सीडेंट को लेकर रिएक्शन और लोगों के गुस्से के बीच आरोपी नाबालिग की उम्र पर ध्यान नहीं दिया गया। CCL 18 साल से कम उम्र का है, उसकी उम्र को ध्यान में रखना जरूरी है।
2. कोर्ट बोला- नाबालिग आरोपी के साथ बड़े आरोपियों जैसा बर्ताव नहीं कर सकता कोर्ट ने कहा था कि हम कानून और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के उद्देश्य से बंधे हुए हैं और हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते। फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो। आरोपी रिहैबिलिटेशन में है, जो कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट मुख्य उद्देश्य है। वह साइकोलॉजिस्ट की सलाह भी ले रहा है और इसे आगे भी जारी रखा जाएगा।
3. कोर्ट ने कहा था- एक्सीडेंट के बाद से आरोपी भी सदमे में है कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि, ये सही है कि इस एक्सीडेंट में दो लोगों की जान गई, लेकिन ये भी सच है कि नाबालिग बच्चा भी सदमे में है। कोर्ट ने पुलिस से भी पूछा था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने किस नियम के आधार पर अपने बेल ऑर्डर में बदलाव किया था। बेंच ने नोट किया था कि पुलिस ने जुवेनाइल बोर्ड के जमानत के आदेश के खिलाफ किसी ऊपरी अदालत में याचिका दाखिल नहीं की थी।
इसे लेकर कोर्ट ने पूछा कि यह किस तरह की रिमांड है? इस रिमांड के पीछे कौन सी ताकत का इस्तेमाल किया गया है। यह कौन सी प्रक्रिया है जिसमें एक शख्स को बेल मिलने के बाद उसे कस्टडी में भेजने का आदेश दिया जाता है।
नाबालिग को जमानत दे दी गई थी, लेकिन अब उसे ऑब्जर्वेशन होम में रखा गया है। क्या ये बंधक बनाने जैसा नहीं है। हम जानना चाहते हैं कि आपने किस ताकत का प्रयोग करके यह कदम उठाया है। हमें लगता था कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड जिम्मेदारी से काम करेगा।
900 पेज की चार्जशीट, नाबालिग का नाम नहीं पुणे पोर्श केस में 25 जुलाई को पुलिस ने 900 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। हालांकि, इसमें 17 साल के नाबालिग आरोपी का नाम शामिल नहीं किया गया। नाबालिग का मामला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) में है। 7 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने और साक्ष्य मिटाने से संबंधित धाराओं के तहत आरोपी बनाया गया है।