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अभय चौटाला बोले- विनेश को गोत्र लिखने का पता नहीं:बोले-नाम के पीछे फोगाट लिखती है, राठी क्यों नहीं; हुड्‌डा ने कुश्ती-नौकरी छुड़वा दी

अभय चौटाला बोले- विनेश को गोत्र लिखने का पता नहीं:बोले-नाम के पीछे फोगाट लिखती है, राठी क्यों नहीं; हुड्‌डा ने कुश्ती-नौकरी छुड़वा दी

चंडीगढ़1 घंटे पहले

इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के राष्ट्रीय महासचिव अभय चौटाला ने कांग्रेस कैंडिडेट विनेश फोगाट के गौत्र को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने एक चुनावी कार्यक्रम में विनेश के बारे में बोलते हुए कहा, ‘इसका बाप काफी समय पहले चला गया था, खरखौंदा रहने लग गया था। वह तो अपने नाम के पीछे राठी भी नहीं लिखती, फोगाट लिखती है।

इसे इतनी समझ नहीं है कि परिवार में गौत्र का नाम किसके पीछे लिखा जाता है और कुछ नहीं ये समझने की जरूरत है।

बता दें कि विनेश के पिता फोगाट लिखते थे लेकिन उनकी शादी जुलाना के रहने वाले सोमवीर राठी से हुई है। शादी के बाद भी नाम के पीछे गोत्र न बदलने पर अभय चौटाला ने यह बयान दिया है।

दरअसल, बुधवार (25 सितंबर) को अभय चौटाला जुलाना से इनेलो-बसपा उम्मीदवार डॉक्टर सुरेंद्र लाठर के पक्ष में वोट मांगने गए हुए थे। इस सीट से कांग्रेस ने विनेश फोगाट को उम्मीदवार बनाया है।

विनेश समर्थकों ने जारी किया पोस्टर…

अभय चौटाला के बयान पर विनेश समर्थकों ने यह पोस्टर जारी किया। जिसमें उन्होंने फोगाट और राठी दोनों लिखा हुआ है।

चौटाला बोले- हुड्‌डा ने कुश्ती के साथ नौकरी भी छुड़वा दी जुलाना में ही एक दूसरे चुनावी कार्यक्रम में बोलते हुए चौटाला ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी बौखलाई हुई है। उसके पास चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं हैं। जुलाना हलके से कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ रही अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी पूरे देश की शान थी।

उसे सभी पार्टी के लोग बहन-बेटी मानकर सम्मान देते थे, लेकिन भूपेंद्र हुड्डा ने उसे एक पार्टी का सदस्य बनाकर रख दिया’। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने विनेश की कुश्ती के साथ नौकरी भी छुड़वा दी।

राजनीति में आने वाला खिलाड़ी नहीं रहता, नेता बन जाता है विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के कांग्रेस में शामिल होने पर अजय चौटाला ने कहा कि सबकी अपनी-अपनी सोच होती है, हमने खिलाड़ियों को काफी बराबरी का दर्जा दिया है, जब कोई खिलाड़ी राजनीति में आता है तो वह खिलाड़ी नहीं रहता, वह किसी पार्टी का कार्यकर्ता या नेता बन जाता है। इससे खिलाड़ी को सम्मान नहीं मिलता, तो ऐसा लगता है कि वह खेल की आड़ में राजनीति में आना चाहता था। अगर कोई खिलाड़ी राजनीति में आता है तो वह अपने खेल के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

चुनावी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए INLD के राष्ट्रीय महासचिव अभय चौटाला।

अब यहां पढ़िए विनेश की कैसे हुई कांग्रेस में एंट्री…

यहां से शुरू हुई चर्चा पेरिस ओलिंपिक 2024 में गोल्ड मेडल की रेस से बाहर हुई हरियाणा की रेसलर विनेश फोगाट को आखिर कांग्रेस की टिकट कैसे मिली इसके पीछे की कहानी खुद पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने बताई है।

इस पूरे मामले पर जानकारी देते हुए हुड्‌डा ने कहा, ‘विनेश फोगाट जब पेरिस से लौट कर आई थीं, तो उन्होंने बजरंग पूनिया के साथ राहुल गांधी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद उन्होंने मुझसे मुलाकात की, दिल्ली में हुई इस मुलाकात के बाद विनेश और पूनिया ने कहा कि हम दोनों में से किसी एक को टिकट दे दो। जिसके बाद विनेश के नाम पर राय बनी और फिर कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में ही विनेश फोगाट के नाम का ऐलान कर दिया’।

ये है टिकट मिलने की वजह भूपेंद्र हुड्डा ने विनेश को टिकट दिए जाने की वजह का खुलासा करते हुए कहा, ‘हरियाणा में देश की सिर्फ 2 फीसदी आबादी रहती है, लेकिन जब कॉमनवेल्थ गेम्स होते हैं और 38 गोल्ड मेडल जीते जाते हैं तो उनमें से 22 हरियाणा के खिलाड़ी जीतते हैं। अगर ओलंपिक में 6 मेडल होते हैं तो 4 हरियाणा के खिलाड़ी जीतते हैं, यह ऐसा माहौल है जो दूसरे खिलाड़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है, अगर खिलाड़ियों के साथ कोई अन्याय होता है तो उन्हें लगना चाहिए कि हरियाणा की जनता उनके साथ खड़ी है। विनेश फोगाट को टिकट दिए जाने की सिर्फ यही वजह थी’।

कांग्रेस में विनेश के आने का कैसे शुरू हुआ सिलसिला…

17 अगस्त को पेरिस से वापसी पेरिस से विनेश फोगाट की 17 अगस्त को वापसी हुई थी। इस दौरान उनका दिल्ली एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत हुआ। इसके बाद हरियाणा में उनका जगह-जगह स्वागत किया गया। इस ग्रैंड वेलकम की सबसे अहम बात यह थी कि विनेश के काफिले में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा ने भी हिस्सा लिया था। तभी से ये चर्चाएं शुरू हो गई थीं कि विनेश फोगाट कांग्रेस जॉइन करेंगी।

रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा ने एयरपोर्ट पर विनेश फोगाट को रिसीव किया था।

4 सितंबर को राहुल गांधी से मिली वतन वापसी के 19 दिन बाद विनेश फोगाट की राहुल गांधी से मुलाकात ने सबको चौंका दिया। विनेश की इस मुलाकात में रेसलर बजरंग पूनिया भी मौजूद रहे। उस समय यह चर्चा शुरू हो गई कि कांग्रेस की टिकट से विनेश और पूनिया दोनों विधानसभा चुनाव लड़ेंगे।

विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया की राहुल गांधी से मुलाकात की तस्वीर।

2 घंटे बाद वेणुगोपाल से मिले राहुल से मिलने के बाद विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया की मुलाकात कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से हुई। उनकी करीब 20 मिनट तक हुई मुलाकात में यह तय किया गया कि विनेश और बजरंग में से कौन चुनाव लड़ेगा।

केसी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया।

2 दिन बाद कांग्रेस जॉइन की राहुल गांधी और पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात के 2 दिन बाद ही विनेश की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की उपस्थिति में विनेश और बजरंग ने कांग्रेस पार्टी जॉइन कर ली थी।

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने विनेश-बजरंग को कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी।

पहली लिस्ट में विनेश का नाम हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की ओर से पहली लिस्ट 6 सितंबर की शाम को जारी की गई थी। इस लिस्ट में 28 सिटिंग विधायकों के साथ ही विनेश फोगाट का भी नाम शामिल था। विनेश की जॉइनिंग के कुछ घंटों बाद ही कांग्रेस ने उन्हें जुलाना से उम्मीदवार घोषित कर दिया था।

जहां से चुनाव लड़ रही वहां क्या है माहौल… विनेश फोगाट जुलाना से विधानसभा चुनाव लड़ रही हैं। यहां की जातीय गणित कांग्रेस और विनेश, दोनों के लिए पेंच फंसा सकता है। जुलाना में 1.87 लाख वोटर हैं। सबसे ज्यादा 70% यहां जाट समाज के वोट हैं, लेकिन 5 पार्टियों में से 4 ने उम्मीदवार जाट समाज से उतारे हैं। उसमें विनेश, लाठर, ढांडा और कविता दलाल शामिल हैं। ऐसे में जाट वोट बंटे तो विनेश का कड़े मुकाबले में फंसना तय है।

अब यहां 4 पॉइंट में समझिए जुलाना का समीकरण 1. जुलाना सीट इनेलो का गढ़ रही है। 2009 और 2014 में यहां इनेलो के परमेंद्र सिंह ढुल ने जीत दर्ज की थी। इनेलो-बसपा के उम्मीदवार डॉ. सुरेंद्र लाठर का 12 गांवों में अच्छा प्रभाव है। इन गांवों में लाठर गोत्र के वोटर हैं।

2. कांग्रेस के लिए यहां 15 साल का सूखा है। साल 2000 और 2005 में कांग्रेस के शेर सिंह ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद लगातार तीन चुनाव में यह सीट इनेलो और जजपा के पास रही। इस विधानसभा चुनाव में स्थानीय कांग्रेस नेता परमेंद्र ढुल, धर्मेंद्र ढुल और रोहित दलाल टिकट के दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस ने विनेश पर दांव खेला। यहां विनेश को भीतरघात का भी खतरा है।

3. भाजपा इस सीट पर कभी खाता नहीं खोल पाई है। यहां लोगों की पहली पसंद जाट उम्मीदवार ही रहे हैं। यहां ओबीसी समाज के 29 हजार और ब्राह्मण समाज के 21 हजार वोटर हैं। वह भी भाजपा के पक्षदार रहे हैं।

4. 2019 में चौटाला परिवार में फूट के बाद वोटरों ने इनेलो छोड़कर जजपा की तरफ रुख किया। जजपा का भाजपा से गठबंधन और किसान आंदोलन की वजह से लोगों में जजपा को लेकर नाराजगी है।

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