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हरियाणा की 90 सीटों की स्थिति:BJP की स्थिति में सुधार, कांग्रेस में ग्राफ गिरने से टेंशन; जाट-दलित वोटर और थर्ड प्लेयर डिसाइडिंग फैक्टर

हवा का रुख

हरियाणा की 90 सीटों की स्थिति:BJP की स्थिति में सुधार, कांग्रेस में ग्राफ गिरने से टेंशन; जाट-दलित वोटर और थर्ड प्लेयर डिसाइडिंग फैक्टर

हरियाणा4 घंटे पहलेलेखक: रोहित चौधरी, स्टेट एडिटर

हरियाणा का चुनावी सीन हर दिन बदल रहा है। BJP और कांग्रेस ने दिल्ली से सटे इस राज्य में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। मुख्य मुकाबला इन्हीं दोनों दलों में है। बीते 10-12 दिन में भाजपा यहां रिकवरी मोड में नजर आई और उसने कई चीजों को ठीक किया। दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने पक्ष में दिख रहे मोंमेटम को बनाए रखने के लिए दिन-रात एक कर रखा है।

हरियाणा की 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को एक साथ वोट डाले जाएंगे। प्रदेश में हवा का रुख समझने के लिए दैनिक भास्कर ने अलग-अलग इलाकों में आम लोगों, पॉलिटिकल पार्टियों और एक्सपर्ट्स से बात की। इसके मुताबिक पोलिंग से 2 दिन पहले तक कांग्रेस 40 से 50 और भाजपा 22 से 32 सीटों पर मजबूत दिख रही है। BJP की सीटों का आंकड़ा बहुत हद तक इस बात पर भी डिपेंड रहेगा कि साइलेंट वोटर आखिरी समय में किस तरफ जाता है और जाट-दलित वोट बंटते हैं या नहीं।

राम रहीम बाहर, डेरे का कई सीटों पर प्रभाव

साध्वी यौन शोषण केस में सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम पोलिंग से ठीक पहले पैरोल पर बाहर आ चुका है। कांग्रेस इसके खिलाफ चुनाव आयोग गई, लेकिन उसकी आपत्तियां दरकिनार कर दी गईं। राज्य की दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर डेरे का प्रभाव है और वह आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर रिजल्ट प्रभावित कर सकता है। इसका फायदा भाजपा को मिलने का अनुमान है।

इनेलो-BSP और निर्दलीय दर्जनभर सीटों पर टक्कर में

अन्य दलों की बात करें तो इनेलो-BSP गठबंधन 1 से 5 और निर्दलीय 4 से 9 सीटों पर आगे रह सकते हैं। दर्जनभर सीटों पर वह मुख्य टक्कर में हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) का वोट शेयर तो इस बार बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन वह एकाध सीट पर ही मुख्य मुकाबले में है। दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) और सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (ASP) कहीं फाइट में नजर नहीं आती।

डेढ़ दर्जन सीटों पर कांटे की टक्कर मतदान से 48 घंटे पहले तक की बात करें तो तकरीबन डेढ़ दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा-कांग्रेस के बीच मुकाबला बेहद कड़ा है। यहां आखिरी समय में पलड़ा किसी भी तरफ झुक सकता है। इन सीटों पर जीत-हार का मार्जिन भी कम रहने का अनुमान है। कई सीटों का रिजल्ट इस बात पर भी डिपेंड करेगा कि वहां थर्ड प्लेयर के रूप में इनेलो-BSP, AAP और JJP-ASP के अलावा निर्दलीय कितने वोट ले पाते हैं।

अब पढ़िए… क्या है दोनों प्रमुख पार्टियों की स्थिति

भाजपा: जीटी रोड-बागड़ बेल्ट में सुधार, बागी-भितरघात से निपटना चैलेंज भाजपा ने सत्ता विरोधी लहर के बीच अपने ऑर्गनाइज और ताबड़तोड़ प्रचार के दम पर बीते दो हफ्तों में ग्राउंड पर इम्प्रूव किया है। PM नरेंद्र मोदी ने 28 सितंबर को हिसार में रैली की थी। 21 सीट वाली जाट बाहुल्य बागड़ बेल्ट में हुई इस रैली और मोदी-शाह के आक्रामक रवैये से बदलाव दिखना शुरू हुआ। उम्मीदवारों के साथ-साथ वर्करों का मनोबल भी बढ़ा। नतीजा- आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर पार्टी ने दमखम दिखाया। मोदी 4 सभाओं के जरिए सभी सीटें कवर कर चुके हैं।

बागड़ के अलावा 23 सीटों वाली जीटी रोड बेल्ट BJP का गढ़ है। यहां भी कई सीटों पर उसके कैंडिडेट्स की स्थिति 2 हफ्ते पहले के मुकाबले सुधरी है। 2014 में पार्टी की 47 में से 21 और 2019 में 40 में से 12 सीटें जीटी रोड बेल्ट से ही आई थीं।

भाजपा के लिए चैलेंज : चुनौतियों की बात करें तो भगवा पार्टी के लिए भितरघात और बागी मुश्किल पेश कर सकते हैं। भाजपा हाईकमान ने अहीरवाल बेल्ट में केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत को फ्री हैंड दिया और सबसे ज्यादा चुनौतियां इसी इलाके में नजर आती हैं। 2014 में पार्टी ने यहां की सभी 11 और 2019 में 11 में से 8 सीटें जीती थी। यहां भाजपा के कई बड़े चेहरे या तो चुप बैठे हैं या फिर पार्टी उम्मीदवार की जगह विरोधी की मदद में लगे हैं। इसी भीतरघात के चलते अहीरवाल बेल्ट में BJP के कई दिग्गज चेहरे भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर नहीं आ रहे।

भाजपा के लिए बागी भी मुसीबत बने हुए हैं। पार्टी नेतृत्व के तमाम प्रयासों, मिन्नतों और घुड़कियों के बावजूद 15 सीटों पर उसके तकरीबन डेढ़ दर्जन बागी मैदान से नहीं हटे। यही कारण है कि अमित शाह से लेकर राव इंद्रजीत तक को सभाओं में ये बात कहनी पड़ रही है कि लोग भाजपा के कैंडिडेट को देखकर नहीं, बल्कि कमल का निशान देखकर वोट दें।

कांग्रेस: मेवात-बांगर-जाटलैंड में एडवांटेज, गिरते ग्राफ को रोकना चुनौती कांग्रेस की बात करें तो पोलिंग से 48 घंटे पहले तक सीटों के लिहाज से वह सबसे बड़ी पार्टी तो बनती दिख रही है, लेकिन 2 हफ्ते में उसका ग्राफ जिस तेजी से गिरा है, वह अपने आप में चौंकाने जैसा है। मेवात की 3 सीटों पर वह सेफ दिख रही है। बांगर (9 सीट) और जाटलैंड कहलाने वाली देशवाल (14 सीट) बेल्ट में भी पार्टी को एडवांटेज तो नजर आता है, लेकिन उसके कई कैंडिडेट नजदीकी मुकाबले में फंसे हैं।

कांग्रेस को सबसे बड़ी उम्मीद जीटी रोड (23 सीट), अहीरवाल (11 सीट) और साउथ हरियाणा (9 सीट) से है। यह तीनों इलाके भाजपा का गढ़ कहे जा सकते हैं। 2019 में कांग्रेस को यहां की 43 में से सिर्फ 12 सीटों पर जीत मिली थी। जीटी रोड इलाके की अहमियत समझते हुए खुद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने रोड शो करते हुए यहां की 12 सीटों को कवर किया। पूरे रास्ते भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा और कुमारी सैलजा को साथ रखा।

कांग्रेस के लिए चुनौतियां : कुछ हफ्ते पहले तक सब कुछ कांग्रेस के फेवर में नजर आ रहा था, लेकिन बीते 10-12 दिन उसके लिए अच्छे नहीं कहे जा सकते। पार्टी उम्मीदवारों से लेकर रणनीति बनाने वाले भी ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में इससे इनकार नहीं कर रहे।

सत्ता कभी कोई तश्तरी में सजाकर नहीं देता, ये बात कांग्रेस के जो कैंडिडेट भूल गए थे, वह अब दिक्कत में नजर आ रहे हैं। आखिरी समय तक मैदान नहीं छोड़ने और कमजोर पोजिशन को भांपकर एक्स्ट्रा ताकत झोंक देने वाली भाजपा के सामने ओवरकॉन्फिडेंस का शिकार हो जाना कहीं न कहीं भारी पड़ता दिख रहा है। रोहतक शहर की सीट हुड्‌डा कैंप के लिए नाक का सवाल बन गई है। सोनीपत, गन्नौर, राई, बादली और बहादुरगढ़ का गढ़ बचाने के लिए उसे अतिरिक्त ताकत लगाते हुए राहुल गांधी का रोड शो कराना पड़ गया।

कांग्रेस को अपने नेताओं की गुटबाजी से भी नुकसान हो रहा है। एक दर्जन के आसपास सीटों पर कैंडिडेट्स हुड्‌डा कैंप और सैलजा धड़े की अंदरूनी खींचतान के शिकार हैं। राहुल गांधी भी ये जानते हैं, इसलिए 30 सितंबर को नारायणगढ़ की सभा में उन्होंने खुद मंच पर सबके सामने हुड्‌डा और सैलजा के हाथ मिलवाए। हालांकि, राहुल गांधी का ‘ऑल इज वेल’ का यही मैसेज थोड़ा जल्दी आ जाता तो शायद ज्यादा फायदा होता।

हुड्‌डा कैंप के लिए यह चुनाव डू और डाई जैसा है। खुद भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा लोगों से कह चुके हैं कि वह आखिरी बार भाजपा से दो-दो हाथ करना चाहते हैं। उनकी इस भावनात्मक अपील ने कितना काम किया, यह 8 अक्टूबर को चुनाव नतीजे बता देंगे।

इनेलो-BSP, AAP, JJP-ASP और निर्दलीय कितने असरदार भाजपा और कांग्रेस के अलावा हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ-साथ इनेलो-BSP और JJP-ASP गठबंधन भी मैदान में है। भाजपा विरोधी वोट इनमें जितने बंटेंगे, उतना ही कांग्रेस को नुकसान और BJP को फायदा होगा। सिरसा की 3 और हिसार-यमुनानगर-जींद की एक-एक सीट पर इनेलो-बसपा के उम्मीदवार मुख्य मुकाबले में नजर आ रहे हैं। JJP-ASP गठजोड़ ज्यादा प्रभावी नजर नहीं आ रहा। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार भी एकाध सीट पर ही टक्कर में हैं।

हरियाणा के चुनावी इतिहास में निर्दलीय अच्छी-खासी तादाद में जीतते रहे हैं। इस बार भी महम सीट पर बलराज कुंडू, हिसार में सावित्री जिंदल, अंबाला कैंट में चित्रा सरवारा, बहादुरगढ़ में राजेश जून, रानियां में रणजीत चौटाला, गन्नौर से देवेंद्र कादियान, पुंडरी में सतबीर भाणा, उचाना में वीरेंद्र घोघड़िया, गुरुग्राम में नवीन गोयल, पानीपत सिटी में रोहिता रेवड़ी और पानीपत ग्रामीण में विजय जैन नतीजे को प्रभावित करने या बदलने की स्थिति में नजर आ रहे हैं।

जहां अपना कैंडिडेट कमजोर, वहां थर्ड प्लेयर की मदद प्रचार के आखिरी दौर में रणनीति के अंदर एक और महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। भाजपा-कांग्रेस को जिन सीटों पर अपने कैंडिडेट्स पिछड़ते दिख रहे हैं और थर्ड प्लेयर के रूप में इनेलो-BSP, आम आदमी पार्टी या कोई निर्दलीय उम्मीदवार की स्थिति ठीक है, वहां अंदरखाने उसकी मदद की जा रही है।

चूंकि ये थर्ड प्लेयर सीधे-सीधे BJP विरोधी वोट बैंक में सेंध लगा रहे हैं। इसलिए अगर ये मजबूत होते हैं तो सीधा फायदा भाजपा उम्मीदवारों को होगा। पार्टी की ये रणनीति दर्जनभर सीटों पर ठीक-ठाक काम भी कर रही है।

कैश, शराब और ड्रग का जमकर इस्तेमाल हरियाणा के चुनावी कुरुक्षेत्र में उतरे कैंडिडेट और पार्टियां जीत के लिए साम-दाम-दंड-भेद जैसे सारे हथकंडे अपना रहे हैं। इलेक्शन कमीशन की टीमों ने 16 अगस्त से 30 सितंबर के बीच 26 करोड़ 19 लाख रुपए से ज्यादा कैश पकड़ा।

इन 46 दिनों में 15 करोड़ रुपए की 4.32 लाख लीटर शराब और साढ़े 9 करोड़ रुपए की ड्रग भी जब्त की गई। प्रदेश में 30 सितंबर की शाम तक कुल 65 करोड़ 88 लाख रुपए का कैश और सामान बरामद हो चुका था।

अब पढ़िए कांग्रेस-भाजपा के 7-7 बड़े चुनावी वादे…

एक्सपर्ट बोले- नया इतिहास बनाने या परंपरा कायम रखने का चुनाव सीनियर जर्नलिस्ट कुमार मुकेश कहते हैं कि हरियाणा का मिजाज रहा है कि पार्टियों ने यहां लगातार 2 बार तो सरकार रिपीट की है, लेकिन लगातार 3 बार कोई सरकार नहीं बना पाया। एक फैक्ट यह भी है कि हरियाणा में उसी पार्टी की सरकार बनती है जो केंद्र में सत्तारूढ़ होता है। इसलिए समझ नहीं आ रहा कि इस बार हरियाणा नया इतिहास लिखेगा या अपनी परंपरा कायम रखेगा।

कुमार मुकेश के मुताबिक 2019 में भी भाजपा के सामने एंटी इनकम्बेंसी थी, लेकिन उसके 75 पार के नारे के बाद कांग्रेस कॉन्फिडेंस खो बैठी। इस बार किसान आंदोलन मुद्दा है। भाजपा के बिना खर्ची-पर्ची नौकरी के नारे का असर दिख रहा है, लेकिन कुछ ही सीटों पर। मैं पूरे हरियाणा में घूमा हूं। कोई भी कांग्रेस की 55 सीट से कम नहीं बता रहा। हालांकि, कांग्रेस के नेताओं ने प्रचार के दौरान कुछ ऐसी बात बोली हैं, जिससे उन्हें नुकसान होगा।

अब बात पॉलिटिकल पार्टियों के दावों की…

भाजपा ने 10 साल में चहुंमुखी विकास किया, इस बार भी हमारी सरकार : संदीप आजाद हरियाणा प्रदेश भाजपा के सहमीडिया प्रभारी संदीप आजाद का दावा है कि पार्टी हरियाणा में इस बार भी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। सड़कों की बात हो, मेडिकल कॉलेज-यूनिवर्सिटी या कॉलेज खोलने की बात हो या फिर वंदे भारत ट्रेन चलाने का काम हो, भाजपा 10 साल में प्रदेश का चहुंमुखी विकास किया है।

आजाद के मुताबिक भाजपा की सरकार ने माता-बहनों को तीज के मौके पर गिफ्ट दिए। माताओं-बहनों के लिए ‘हर घर-हर गृहिणी’ योजना शुरू की। 500 रुपए में LPG सिलेंडर दिया जा रहा है। जिन परिवारों की सालाना इनकम 1 लाख 80 हजार रुपए से कम है, उनके बिजली बिल खत्म करने के लिए 2 किलोवॉट के सोलर पैनल उनकी घरों की छत पर लगाए जा रहे हैं।

भाजपा ने हर वर्ग को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, लोग मुक्ति चाहते हैं : गर्ग हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के सीनियर प्रवक्ता बजरंग दास गर्ग कहते हैं कि भाजपा सरकार के 10 साल के कार्यकाल में समाज का हर वर्ग परेशान रहा। अब जनता बदलाव चाहती है। चाहे किसान हो, सरकारी कर्मचारी हों, बेरोजगार युवा हों या छात्र, आंगनवाड़ी वर्कर हों या सरपंच, BJP सरकार ने सबको दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। अब लोग इनसे मुक्ति चाहते हैं। जनता महंगाई और बढ़ते अपराध से दुखी है। हरियाणा नशे का अड्‌डा बनता जा रहा है।

गर्ग ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 2005 से 2014 तक जितनी घोषणाएं कीं, उन सबको समय पर पूरा किया। कांग्रेस ने स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटी खोलीं। गरीबों को फ्री राशन, 100-100 गज के मुफ्त प्लाट, 20 रुपए प्रति किलो के हिसाब से दाल दी और हर घर में नल-टंकी लगवाई। दूसरी ओर भाजपा सरकार एक नया उद्योग नहीं लगा पाई।

क्या कहते हैं वोटर….

सुरेश बोले- हिसार में सावित्री जिंदल का माहौल हिसार के रहने वाले सुरेश नोखवाल कहते हैं कि हिसार में निर्दलीय उम्मीदवार सावित्री जिंदल का माहौल है। ये एरिया जिंदल परिवार का गढ़ है, उन्होंने यहां बहुत काम किए हैं। लोगों को रोजगार देना, स्कूल, कॉलेज, पार्क और लोगों के पर्सनल काम कर रखे हैं। इसी वजह से यहां इस बार पार्टियों का माहौल नहीं है।

राकेश ने कहा- कांग्रेस-AAP में वोट बंटे तो भाजपा जीतेगी रेवाड़ी के रहने वाले राकेश सैनी का कहना है कि यहां कुछ ऐसी स्थिति बनी हुई है कि या तो भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण यादव 1500 से लेकर 5 हजार वोट से जीत जाएं। अगर कांग्रेस के वोट आम आदमी पार्टी में बंट गए तो भाजपा आगे निकल जाएगी। अगर ज्यादा वोट नहीं गए तो कांग्रेस कैंडिडेट चिरंजीव राव जीत जाएंगे।

देवेंद्र सिंह बोले- राहुल गांधी की रैलियों से माहौल बना थानेसर के रहने वाले देवेंद्र सिंह का कहना है कि राहुल गांधी की हरियाणा में रैलियों के बाद माहौल एकतरफा हो गया है। जनता की जो उम्मीदें थीं, वे पूरी नहीं हो पाईं। नया प्रोजेक्ट कोई नहीं आया, जो हैं वे बेकार हैं। हमारा भारत अभी फैमिली आईडी के लिए तैयार ही नहीं है।

नरेंद्र सिंह ने कहा- बाहरी उम्मीदवार लेकर आई भाजपा अटेली के रहने वाले नरेंद्र सिंह कहते हैं कि हमें भाजपा से एलर्जी नहीं है। भाजपा यहां हलके से बाहरी उम्मीदवार (आरती राव) लेकर आई है। उम्मीदवार ऐसे शाही खानदान से है कि उनके करीबियों के पास भी उनका नंबर नहीं है। भाजपा को इससे नुकसान होगा। इसलिए कांग्रेस चुनाव में आगे निकल जाएगी।

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