मणिपुर में 6 दिन से बंधक 2 मैतेई युवक रिहा:मुख्यमंत्री ने जानकारी दी; सेना भर्ती के लिए गए थे, गलती से कुकी इलाके में घुसे
मणिपुर के कांगपोकपी में 27 सितंबर को अगवा किए गए दो युवकों को कुकी उग्रवादियों ने रिहा कर दिया गया है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने गुरुवार, 3 अक्टूबर को X पर पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी। सीएम ने बताया कि दोनों युवक पुलिस कस्टडी में हैं।
मणिपुर यूनिवर्सिटी से एमए कर चुका 22 साल का ओइनम थोईथोई दो दोस्तों- निंगोमबाम जॉनसन और थोकचोम थोइथोइबा के साथ सेना में भर्ती के लिए इंफाल वेस्ट जिले के न्यू कीथेलमैनबी गया था। यहां कुकी उग्रवादियों ने तीनों को किडनैप कर लिया। थोईथोई थौबल का रहने वाला है।
थौबल में गठित जॉइंट एक्शन कमेटी की संयोजक केइशम याइफाबी ने बताया कि जॉनसन के पास एडमिट कार्ड था तो उग्रवादियों ने उसे असम राइफल्स को सौंप दिया, लेकिन बाकी को पकड़ लिया। जॉनसन ने बताया कि वे तीनों बाइक से गूगल मैप को फॉलो कर रहे थे। गलती से कुकी इलाके में घुस गए थे।
युवकों को परेशान करते वीडियो सोशल सामने आया था मणिपुर में दोनों युवकों की किडनैपिंग के विरोध में पिछले कुछ दिनों से हालात तनावपूर्ण हैं। मैतेई लोगों ने दोनों युवकों की हत्या की आशंका जताई थी। बंधक बनाए जाने के बाद दोनों युवकों थोईथोई और थोइथोइबा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें दोनों को परेशान करते दिखाया गया।
मैतेई संगठनों ने सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर कुकी उग्रवादियों ने एक-दो दिन में युवकों को नहीं लौटाया गया तो हालात बिगड़ने के लिए सरकार जिम्मेदार होगी। मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह युवकों को कुकी उग्रवादियों से छुड़ाने के लिए कुकी बहुल कांगपोकपी पहुंचे थे। सीएम बीरेन सिंह ने कहा था कि युवकों को बचा लाएंगे।
मैतेई लोगों ने हत्या की आशंका जताई थी घटना के विरोध में 2 अक्टूबर को मैतेई बहुल 5 जिले इंफाल ईस्ट, वेस्ट, विष्णुपुर, काकचिंग और थौबल पूरी तरह बंद रहे। यहां मैतेई संगठनों ने 48 घंटे का बंद बुलाया है।
इंफाल से लेकर थौबल के मेला ग्राउंड तक नेशनल हाईवे नंबर 102 पर मैतेई महिलाओं ने बांस-बल्लियों से सड़कें रोक रखी हैं। यहां तक न पुलिस जा पा रही है और न ही राज्य सरकार
मणिपुर के उखरुल में हिंसा, 3 की मौत, 10 घायल
दूसरी तरफ, मणिपुर के उखरुल जिले में बुधवार, 2 अक्टूबर को नगा समुदाय के दो पक्षों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई। 10 से ज्यादा घायल हैं। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163, 2023 की उप-धारा 1 के तहत इलाके में निषेधाज्ञा लागू कर दी है। अगले आदेश तक लोगों के घरों से निकलने पर रोक है।
पुलिस ने बताया कि दोनों पक्ष नगा समुदाय के हैं, लेकिन हुनफुन और हंगपुंग नाम के दो अलग-अलग गांव हैं। दोनों पक्ष एक जमीन पर अपना दावा करते हैं। स्वच्छता अभियान के तहत विवादित जमीन की सफाई को लेकर दोनों पक्षों के बीच हिंसा हुई। इलाके में असम राइफल्स को तैनात किया गया है।
चुराचांदपुर में उग्रवादी की गोली मारकर हत्या दूसरी तरफ, चुराचांदपुर जिले के लीशांग गांव के पास मंगलवार को अज्ञात लोगों ने एक प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के टाउन कमांडर की गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक की पहचान जिले के कपरंग गांव के निवासी सेखोहाओ हाओकिप के रूप में की गई।
पुलिस ने बताया कि मृतक यूनाइटेड कुकी नेशनल आर्मी (UKNA) का सदस्य था। घटना कल सुबह 12:15 बजे चुराचांदपुर में टोरबुंग बंगले से करीब 1.5 किमी दूर हुई। पुलिस ने हाओकिप के शव को चुराचांदपुर मेडिकल कॉलेज के मॉर्चुरी में रखवा दिया है।
मणिपुर में हिंसा को लगभग 500 दिन हुए कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया। इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत।
स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। हालांकि 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था।
4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।