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पूर्व TI का बेटा है ड्रग्स फैक्ट्री का मास्टरमाइंड:सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की, अपने काम करवा लेता था ड्रग सप्लायर

भास्कर एक्सक्लूसिव

पूर्व TI का बेटा है ड्रग्स फैक्ट्री का मास्टरमाइंड:सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की, अपने काम करवा लेता था ड्रग सप्लायर

सुधीर बिश्नोई। भोपाल51 मिनट पहले
अमित ने फैक्ट्री को फर्नीचर बनाने के नाम पर लिया था। बताया था कि इसमें लकड़ी पर होने वाला पॉलिश भी बनाया जाएगा।
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मैं तो सात दिन पहले ही यहां खाना बनाने आई हूं, क्योंकि भाभी मायके गई हैं। कल ही तो मैं खाना बनाकर गई थी। आज घर पर ताला लगा है। पता नहीं सभी लोग कहां चले गए।

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ये ओमवती है, जो एमडी ड्रग्स की फैक्ट्री के मास्टरमाइंड अमित चतुर्वेदी के द्वारिकापुरी कॉलोनी स्थित घर पर खाना बनाती है। ओमवती को नहीं पता कि अमित को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और गुजरात ATS ने अरेस्ट किया है। वो रोज की तरह सोमवार को भी खाना बनाने पहुंची थी। उसने 15 मिनट तक दरवाजा खटखटाया। जब घर से कोई बाहर नहीं निकला तो वह पड़ोस के घर काम करने चली गई।

इसी दौरान  से बातचीत में ओमवती ने बताया कि अमित के पिता प्रकाश चतुर्वेदी एमपी पुलिस में TI थे। उनका पांच साल पहले निधन हो चुका है। घर में अमित, उसकी पत्नी और मां रहती है। अमित का बेटा और बेटी दोनों विदेश में रहते हैं।

कॉलोनी के सिक्योरिटी गार्ड और लोगों ने बताया कि अमित ज्यादा बातचीत नहीं करता था। उसकी एक फैक्ट्री है, इसके बारे में सभी को पता था, लेकिन इसमें करता क्या था, ये किसी को नहीं पता।

भोपाल की द्वारिकापुरी कॉलोनी में अमित चतुर्वेदी का मकान इस समय खाली पड़ा है।

घर पर पिता की नेम प्लेट, गेट पर ताला कोटरा सुल्तानाबाद की द्वारिकापुरी कॉलोनी में कुल 66 मकान हैं। इनमें से पांचवें नंबर का मकान अमित का है। मकान दो मंजिला है और करीब 2 हजार स्क्वायर फीट में बना है। घर के बाहर पीसी चतुर्वेदी यानी प्रकाश चंद्र चतुर्वेदी की नेम प्लेट लगी हुई है।

अमित के एक पड़ोसी बेंगलुरु में रहते हैं। उनका मकान खाली पड़ा है। दूसरे पड़ोसी भी चतुर्वेदी हैं और वे अमित के रिश्तेदार बताए जाते हैं।  की टीम जब अमित के घर पहुंची तो बाहर का मेन गेट तो खुला था, लेकिन भीतर वाले गेट पर ताला लगा था। घर में कोई नहीं था।

रहवासियों ने बताया कि अमित का परिवार यहां 1990 से यहां पर रह रहा है। अमित नशे का आदी है। परिवार कई साल से कॉलोनी का मेंटेनेंस भी नहीं दे रहा है। उन पर करीब 60 हजार रुपए से ज्यादा बकाया है।

मेड बोली- विदेश से मेहमान आते हैं की टीम जब घर पर मौजूद थी, उसी वक्त खाना बनाने वाली बाई ओमवती वहां आई। उसने खटखटाया तो किसी ने दरवाजा नहीं खोला। ओमवती ने पूछने पर बताया कि एक दिन पहले यानी 6 अक्टूबर को उसने दोपहर का खाना बनाया था।

उसने बताया कि अमित, उसकी मां और पत्नी ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं और फर्स्ट फ्लोर खाली है।  ने पूछा कि अब मां कहां है तो बोली- मुझे नहीं पता। कल तो मैं उनके लिए खाना बनाकर गई थी। अमित के पड़ोस के मकान में पिछले 5 साल से खाना बना रही हूं। यहां तो पिछले सात दिन से ही खाना बना रही हूं, क्योंकि अमित की पत्नी अपने मायके कानपुर गई है। वे मुझे कहकर गई थी कि माताजी खाना नहीं बना सकेंगी।

अमित के बारे में पूछने पर ओमवती ने बताया- वो क्या काम करते हैं मुझे नहीं पता, मगर उनका बेटा विदेश में रहता है। पत्नी प्राइवेट स्कूल में टीचर है।

पुलिस आई तब पता चला कि ड्रग्स का कारोबार करता है अमित चतुर्वेदी के मकान के पड़ोस में उनके रिश्तेदार रहते हैं, जो नेवी से रिटायर्ड अफसर हैं। नाम न बताने की शर्त पर उन्होंने कहा- बगरोदा में उसकी फैक्ट्री है, केवल इतनी ही जानकारी है। उस फैक्ट्री में क्या काम होता था, इसके बारे में नहीं पता। उसे जब गिरफ्तार किया और लोकल पुलिस घर पर आई, तब पता चला कि वह इस तरह का काम करता है। उससे बातचीत में कभी ऐसा नहीं लगा कि वह ड्रग्स बनाने का कारोबार करता है।

उन्होंने कहा- अमित बहुत सिंपल है। उसकी मां, पत्नी सब बहुत अच्छे हैं। पता नहीं, वह इस रास्ते पर कैसे चला गया?

कोर्ट से बाहर आते अमित चतुर्वेदी (पीली टीशर्ट पहने) और सान्याल बाने (मुंह पर कपड़ा बांधे हुए)।

सिक्योरिटी गार्ड बोला- फैक्ट्री जाने का समय तय नहीं था द्वारिकापुरी कॉलोनी में एंट्री के लिए दो गेट हैं। दिन के समय एक गेट खुला रहता है और दूसरा बंद रहता है। जो गेट खुला होता है, वहां सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहता है। इस गार्ड से बात हुई तो उसने बताया कि अमित से रोजाना ही मुलाकात होती थी। वे बेहद कम बोलते थे।

सोसाइटी में रहने वाले लोगों से भी उनका ज्यादा संपर्क नहीं है। बेहद सिंपल तरीके से रहते हैं। केवल इतना पता है कि वह एक फैक्ट्री चलाते हैं, लेकिन वहां क्या काम होता है, इसके बारे में जानकारी नहीं है।

गार्ड ने कहा- उनके फैक्ट्री जाने का समय निर्धारित नहीं था। कभी भी चले जाते थे। उनकी मां जरूर शाम के समय कॉलोनी में वॉक करती थीं। उस दौरान उनसे बातचीत होती थी।

बगरौदा की ये वही फैक्ट्री है, जहां ATS और NCB की टीम ने कार्रवाई की।

अब जानिए, अमित ने कैसे शुरू की थी ड्रग्स बनाने वाली फैक्ट्री अमित चतुर्वेदी साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट है। पहले वो प्राइवेट जॉब करता था। बाद में दो बार खुद का अलग-अलग कारोबार शुरू किया। दोनों बार बिजनेस में नाकाम रहा। जब उसे NCB और गुजरात ATS ने पकड़ा और पूछताछ की तो उसने बताया कि उसे इस बात की जानकारी नहीं है कि उसकी फैक्ट्री में तैयार होने वाला केमिकल नशे के लिए इस्तेमाल होता है।

ATS ने जब अमित से सख्ती से पूछताछ की तब उसने बताया कि नासिक के रहने वाले सान्याल बाने से उसका पुराना परिचय था। एक दोस्त के जरिए उसकी सान्याल से पहली मुलाकात मुंबई में हुई। इसके बाद कई बार दोनों नासिक में भी मिले।

अमित ने पूछताछ में बताया कि सान्याल से उसकी मुलाकात हरीश आंजना ने कराई थी। हरीश और सान्याल ऑर्थर रोड जेल में साथ रहे हैं। हरीश के जरिए सान्याल ने उसे भोपाल के आउटर में फैक्ट्री की जमीन तलाशने के लिए कहा था। इसी के तहत उसने बगरोदा में जयदीप सिंह की फैक्ट्री को किराए पर लिया। इस फैक्ट्री का अलॉटमेंट एके सिंह नाम के व्यक्ति को था, जिसे बाद में जयदीप ने खरीद लिया था।

तस्करी में पकड़ाया तो भाजपा ने पार्टी से निकाला मंदसौर का ड्रग सप्लायर हरीश आंजना यहां भाजयुमो का मंडल पदाधिकारी रहा था। साल 2019 से 2022 तक आंजना पर कुल 4 केस दर्ज हुए, जिसमें से 2 मादक पदार्थ की तस्करी के हैं। करीब ढाई साल पहले NDPS के दूसरे केस में पकड़ाने पर भाजपा ने उसे पार्टी से बाहर कर दिया, लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव में हरीश ने में जगदीश देवड़ा के लिए प्रचार किया। डिप्टी CM बने तो देवड़ा को गुलदस्ता देने भोपाल तक गया।

साल 2018 से 2020 मार्च के पहले तक जब कमलनाथ सरकार थी तो वह कांग्रेस नेताओं के साथ हो लिया। सरकार कोई भी रही उसके काम करवा लेता था। सुवासरा में 2020 उपचुनाव व 2023 में कांग्रेस से विधानसभा चुनाव लड़े राकेश पाटीदार के सगे साले प्रेमसुख पाटीदार से उसका खासा संपर्क रहा।

फर्नीचर कारोबार के नाम पर किराए से ली फैक्ट्री अमित ने फैक्ट्री को फर्नीचर बनाने के नाम पर लिया था। बताया था कि इसमें लकड़ी पर होने वाला पॉलिश भी बनाया जाएगा। फैक्ट्री शुरू करने के लिए एडवांस और किराए से लेकर सामान मंगाने तक का पूरा इन्वेस्टमेंट सान्याल ने किया था। हरीश ही सान्याल के इशारे पर हवाला से आई रकम को अमित तक पहुंचाता था।

जब इसमें ड्रग्स प्रोडक्शन शुरू हुआ तो हरीश ही इस ड्रग्स को अलग-अलग तरीकों से मंदसौर, फिर वहां के रास्ते ग्राहकों तक भेजा करता था। इस काम के लिए उसे हर खेप से कमाई रकम का 10% हिस्सा मिलता था। सान्याल जेल से रिहाई के बाद अमित के साथ ही फैक्ट्री चलाने लगा था। भोपाल में वो होटल में ठहरता था।

फैक्ट्री मालिक और किराएदार की भूमिका तलाश रही पुलिस भोपाल DCP जोन-2 संजय अग्रवाल ने बताया कि पुलिस कमिश्नर भोपाल की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी हुआ था। इसमें घरेलू नौकर और किराएदार की निर्धारित सूचना स्थानीय थाना और पुलिस पोर्टल पर देना अनिवार्य है। ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

जयदीप सिंह ने एसके सिंह को किराए पर फैक्ट्री दी, लेकिन न उसकी सूचना पुलिस को नहीं दी और न ही सिटीजन पोर्टल पर जानकारी दर्ज की। पुलिस को सूचना न देने के कारण पुलिस ने फैक्ट्री मालिक के खिलाफ कार्रवाई की है।

एसके सिंह ने किस आधार पर फैक्ट्री अमित चतुर्वेदी को किराए पर चलाने के लिए दी थी, इसकी भी जांच की जा रही है। पुलिस ने इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163 और 233 के तहत मामला दर्ज किया है।

बगरोदा में बंद फैक्ट्री में ड्रग्स निर्माण पकड़े जाने के बाद MPIDC के सहयोग से भोपाल पुलिस बागरोदा क्षेत्र की फैक्ट्री चेक करेगी। सोमवार को हुई बैठक में इसकी रूपरेखा तैयार की गई। यहां बनने वाले प्रोडक्ट के लिए इस्तेमाल होने वाले केमिकल की जानकारी जुटाएगी। इधर, MPIDC ने जयदीप सिंह के नाम से अलॉट फैक्ट्री की जमीन निरस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी।

लीज निरस्त करने का नोटिस MPIDC के कार्यकारी संचालक विशाल सिंह चौहान के मुताबिक, मेसर्स वास्तुकार फर्म के नाम से जयदीप सिंह के नाम पर औद्योगिक प्लॉट की लीज है। लीज निरस्त करने के लिए सोमवार को नोटिस भेज दिया। इंड्रस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ बगरोदा के अध्यक्ष नवदीप व्यास ने बताया कि एसोसिएशन क्षेत्र की फैक्ट्रियों का वेरिफिकेशन करेगी।

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भोपाल के बगरौदा गांव स्थित प्लॉट नंबर एफ-63 में ड्रग्स की फैक्ट्री चल रही थी। इसकी भनक भोपाल पुलिस को तब लगी, जब गुजरात एटीएस और एनसीबी की 15 सदस्यीय टीम ने फैक्ट्री पर दबिश दी। अब तक की जांच में पता चला है कि ड्रग्स तस्करी का ये इंटरनेशनल नेटवर्क जेल में तैयार हुआ। आरोपी ड्रग्स खरीदने के लिए क्रिप्टो करेंसी का भी इस्तेमाल करते थे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें..

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