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DU के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा का निधन:​​​​​​​गॉल ब्लैडर इन्फेक्शन था, किडनियां खराब हुईं, फिर हार्ट अटैक; UAPA केस में 10 साल जेल में रहे

DU के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा का निधन:​​​​​​​गॉल ब्लैडर इन्फेक्शन था, किडनियां खराब हुईं, फिर हार्ट अटैक; UAPA केस में 10 साल जेल में रहे

हैदराबाद5 घंटे पहले
जीएन साईबाबा की किडनियां फेल हो चुकी थीं।

डीयू के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा (57) का शनिवार को निधन हो गया। उन्हें गॉल ब्लैडर में इन्फेक्शन था। शनिवार रात उन्हें हार्ट अटैक भी आया, जिसके बाद उन्होंने दम तोड़ा। नक्सलियों से संबंधों के चलते वे 10 साल जेल में रहने के बाद मार्च 2024 में बरी हुए थे।

साईबाबा के भाई रामदेव ने कहा- हैदाराबाद के NIMS के डॉक्टरों ने रात 8:36 बजे उन्हें मृत घोषित किया। वे एक साथ कई बीमारियों से ग्रसित थे। NIMS में 5 दिन पहले उनकी गॉल ब्लैडर की सर्जरी हुई थी। इसके बाद वे ठीक हो रहे थे।

लेकिन अचानक उनके गॉल ब्लैडर में पस बनने लगा। उन्हें फीवर और एब्डॉमिन में दर्द होने लगा। डॉक्टरों ने 2 दिन पहले पस निकालने का इलाज शुरू किया। इसके बाद पेट में इंटरनल ब्लीडिंग शुरू हुई। उनका बीपी लेवल गिरा। दिल की धड़कनें बंद हुईं। किडनियों ने भी काम करना बंद कर दिया। शनिवार को आए हार्ट अटैक के बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका।

नक्सलियों से कथित संबंध रखने के शक में 2014 में वे गिरफ्तार हुए थे। महाराष्ट्र की गढ़चिरौली कोर्ट ने मार्च 2017 में साईबाबा को दोषी ठहराया था। 5 मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट ने साईबाबा और 5 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने उनकी उम्रकैद की सजा रद्द कर दी है। उन्हें दोषसिद्धि के खिलाफ अपील करने की इजाजत भी दी गई है।

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने पहले भी 14 अक्टूबर 2022 को साईबाबा को बरी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने अगले ही दिन इस फैसले पर रोक लगा दी थी। (फाइल फोटो)

2014 में गिरफ्तारी से 2024 में रिहाई तक, 4 पॉइंट्स

2014: माओवाद से कनेक्शन के आरोप में गिरफ्तारी

  • 2013 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पुलिस ने माओवाद से जुड़े महेश तिर्की, पी. नरोटे और हेम मिश्रा को गिरफ्तार किया। इन्हीं तीनों से पूछताछ में जीएन साईबाबा का नाम आया, जिसके बाद पुलिस उनके खिलाफ कोर्ट गई। माओवाद से कनेक्शन के आरोप में 9 मई 2014 को दिल्ली आवास से साईबाबा को गिरफ्तार किया गया। 2015 में साईबाबा के खिलाफ UAPA के तहत केस दर्ज कर कार्यवाही शुरू की गई।

2017: गढ़चिरौली कोर्ट ने दोषी ठहराया

  • महाराष्ट्र के गढ़चिरौली कोर्ट ने 2017 में साईबाबा और पांच अन्य को आरोपियों को UAPA और भारतीय दंड संहिता के तहत दोषी ठहराया। साईबाबा और चार अन्य को आजीवन कारावास की सजा और एक को दस साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। गढ़चिरौली कोर्ट के फैसले के खिलाफ साईबाबा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दायर की।
बॉम्बे हाईकोर्ट में पेशी के दौरान पत्नी वसंथा के साथ जीएन साईबाबा।

2022: हाईकोर्ट से बरी, सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

  • 14 अक्टूबर 2022 को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने साईबाबा को बरी कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि तुरंत साईबाबा को जेल से रिहा कर दिया जाए। हाईकोर्ट से जीएन साईबाबा के बरी होने के बाद महाराष्ट्र सरकार की ओर से तुषार मेहता जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच में गए।
  • मेहता ने कहा- टेक्निकल आधार पर साईबाबा को रिहा किया गया है। वे अगर जेल से बाहर आते हैं तो देश के लिए ये खतरनाक होगा। साईबाबा का माओवादियों से कनेक्शन है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अर्जेंट सुनवाई के लिए आप चीफ जस्टिस के पास जाइए, हम रिहाई पर रोक नहीं लगा सकते हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने अगले ही दिन 15 अक्टूबर को साईबाबा को बॉम्बे हाईकोर्ट से बरी किए जाने के फैसले पर रोक लगा दी थी। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने कहा था कि मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है, इसलिए अभी साईबाबा जेल से बाहर नहीं निकल पाएंगे।

2024: बॉम्बे हाईकोर्ट बरी किया

  • मार्च 2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने उन्हें रिहा कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष उनपर लगे आरोपों को सिद्ध नहीं कर पाया है। इसलिए उनकी उम्रकैद की सजा नहीं दी जा सकती है। जेल से बाहर आने के बाद साईबाबा ने कहा था कि वे बहुत बीमार हैं। वे इलाज करवाने के बाद ही बोलने लायक हो पाएंगे।
जीएन साईबाबा ने कहा कि रिहाई के बाद मैंने अस्पताल जाने के बजाय प्रेस से बात करना जरूरी समझा क्योंकि आप लोगों ने मेरा सपोर्ट किया।

रिहाई के बाद कहा था- जेल में दवाएं नहीं दी गईं

साईबाबा ने रिहाई के बाद कहा था- मेरी खराब तबीयत के लिए डॉक्टर जो दवाएं देते थे, वो मुझे नहीं दिया जाता था। मैं आज आपके सामने जिंदा हूं पर मेरे शरीर का हर हिस्सा फेल हो रहा है। मुझे जेल के अंदर कई मेडिकल इमरजेंसी हुईं, पर उन्होंने मुझे सिर्फ पेनकिलर्स दिए और कुछ टेस्ट कराए। मैं अब तक मान नहीं पा रहा हूं कि मैं आजाद हो गया हूं। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अब तक उसी जेल में हूं।

साईबाबा को मां के अंतिम संस्कार में शामिल न हो पाने का अफसोस साईबाबा ने कहा कि मेरा परिवार सिर्फ उम्मीद पर जिंदा था। मुझे इस बात का अफसोस है कि मैं अपनी मां से उनके आखिरी समय में नहीं मिल पाया। मुझे उनकी अंतिम संस्कार की रस्में भी पूरी करने की इजाजत नहीं दी गई। मुझे आतंकवादी कहा गया, मेरे परिवार पर लांछन लगाया गया।

साईबाबा ने कहा कि जेल में उन्हें बहुत छोटी सी जगह में रहने को मजबूर होना पड़ा। जेल में 1500 लोगों की जगह में 3000 लोगों को रखा गया था। वहां सोने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं थी। बिना व्हीलचेयर के मुझे टॉयलेट जाने, नहाने यहां तक कि अपने लिए पानी का एक गिलास भी लाने में परेशानी होती थी।

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