केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते (DA) में 3% बढ़ोतरी की गई है। बुधवार (16 अक्टूबर) को हुई कैबिनेट मीटिंग में DA बढ़ोतरी पर फैसला हुआ।
दिवाली से पहले हुई इस बढ़ोतरी के बाद महंगाई भत्ता 50% से बढ़कर 53% हो गया है। इसका फायदा करीब 49.18 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 64.89 लाख पेंशनर्स को होगा।
DA हर 6 महीने में बढ़ता है। बढ़ा हुआ DA 1 जुलाई से लागू होगा। यानी, कर्मचारियों को 3 महीने का एरियर मिलेगा।
10,000 बेसिक सैलरी पर 330 रुपए का फायदा
इसके लिए नीचे लिखे फॉर्मूला में अपनी सैलरी भरें..(बेसिक पे + ग्रेड पे) × DA% = DA अमाउंट
आसान भाषा में समझें तो बेसिक सैलरी में ग्रेड सैलरी को जोड़ने के बाद जो सैलरी बनती है, उसमें महंगाई भत्ते की दर का गुणा किया जाता है। जो नतीजा आता है, उसे ही महंगाई भत्ता यानी डियरनेस अलाउंस (DA) कहा जाता है। अब इसे एक उदाहरण से समझते हैं, मान लीजिए आपकी बेसिक सैलरी 10 हजार रुपए और ग्रेड पे 1000 रुपए है।
दोनों को जोड़ने पर टोटल 11 हजार रुपए हुआ। ऐसे में बढ़ने के बाद 53% महंगाई भत्ते के लिहाज से देखें, तो यह 5,830 रुपए हुआ। सबको जोड़कर आपकी टोटल सैलरी 16,830 रुपए हुई। वहीं 50% DA के लिहाज से आपको 16,500 रुपए सैलरी मिल रही है। यानी 3% DA बढ़ने के बाद हर महीने 330 रुपए का फायदा होगा।
महंगाई से निपटने के लिए दिया जाता है DA
महंगाई भत्ता ऐसा पैसा है जो महंगाई बढ़ने के बावजूद सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए दिया जाता है।
यह पैसा सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को मिलता है। इसका कैलकुलेशन देश की मौजूदा महंगाई के अनुसार हर 6 महीने पर किया जाता है।
इसकी गणना संबंधित वेतनमान के आधार पर कर्मचारियों के मूल वेतन के अनुसार की जाती है। महंगाई भत्ता शहरी, अर्ध-शहरी या ग्रामीण क्षेत्र के कर्मचारियों का अलग-अलग हो सकता है।
महंगाई भत्ते का कैलकुलेशन कैसे होता है?
महंगाई भत्ता निर्धारण के लिए एक फॉर्मूला दिया गया है। (पिछले 12 महीने के ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI) का औसत – 115.76)/115.76]×100।
अब अगर PSU (पब्लिक सेक्टर यूनिट्स) में काम करने वाले लोगों के महंगाई भत्ते की बात की जाए तो इसके कैलकुलेशन का तरीका यह है-
महंगाई भत्ता प्रतिशत= (बीते 3 महीनों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का औसत (बेस ईयर 2001=100)-126.33) x 100
ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स क्या है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरा थोक महंगाई। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं।