बीते एक साल में असम राइफल्स ने मणिपुर में 426 इंटेलिजेंस ऑपरेशंस में 1480 हथियार बरामद किए। भारतीय सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय, कोलकाता में एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस दौरान उग्रवादियों के कई ठिकाने भी तबाह किए गए।
सेना ने बताया कि मैतेई समुदाय के वर्चस्व वाली इम्फाल घाटी में 220 इंटेलिजेंस ऑपरेशंस चलाए गए। वहीं, कुकी समुदाय के दबदबे वाले मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में 206 ऑपरेशन हुए। इस दौरान इम्फाल घाटी से 550 और पहाड़ी इलाकों से 930 हथियार बरामद हुए। साथ ही, इम्फाल घाटी में 51 और पहाड़ी इलाकों में 78 बंकर भी नष्ट किए गए।
इसी क्रम में मणिपुर पुलिस ने जानकारी दी कि सुरक्षा बलों ने शनिवार को बिष्णुपुर जिले के उयुंगमाखोंग से कई हथियार बरामद किए। इसमें SLR 7.62 mm राइफल, मैगजीन, HE 36 ग्रेनेड, ग्रेनेड आर्म रिंग, आंसू गैस ग्रेनेड, स्टिंगर ग्रेनेड, वॉकी-टॉकी सेट, बुलेट प्रूफ जैकेट शामिल है।
इसके अलावा चार HE 36 ग्रेनेड डेटोनेटर्स के साथ करीब 2.3 किग्रा वजन का एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) भी बरामद किया। वहीं, इंफाल पश्चिम जिले के शांतिपुर माखा लेईकाई से सिंगल बैरल गन, मैगजीन के साथ 9 mm पिस्टल, 7.62 LMG मैगजीन, डेटोनेटर सहित तीन M-67 ग्रेनेड समेत अन्य गोला-बारूद जब्त किया।
चार दिन पहले पीपुल्स वॉर ग्रुप के 6 मेंबर पकड़े थे मणिपुर पुलिस को एक और बड़ी सफलता 22 अक्टूबर को हाथ लगी थी। पुलिस ने इंफाल पूर्वी जिले से प्रतिबंधित कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (पीपुल्स वॉर ग्रुप) के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया था। ये लोग निजी बिजनेस, सरकारी ऑफिस और नागरिकों को निशाना बनाकर जबरन वसूली नेटवर्क चला रहा था। इसके अलावा अवैध हथियारों के सौदे में भी शामिल थे।
पुलिस ने इनसे करीब 3.89 लाख रुपए नकद, एक कार और दो मोटरसाइकिल समेत कई मोबाइल फोन जब्त किए थे। इनकी पहचान ओइनम अबुंग मीतेई, लेइमापोकपम हरि मीतेई, याइखोम लुखोई सिंह, ओइनम बिजेन मीतेई, अथोकपम इनाओबी देवी और मोइरंगथेम इचन देवी के रूप में की है।
दिल्ली में मीटिंग के बावजूद 8 दिन पहले फिर शुरू हो गई थी हिंसा जिरिबाम जिले में 19 अक्टूबर को हिंसा भड़क गई थी। बोरोबेकरा इलाके के एक गांव में उग्रवादियों ने सुबह 5 बजे फायरिंग कर दी। बोरोबेकरा पुलिस ने बताया कि उग्रवादियों ने गांव में बम भी फेंके थे। बोरोबेकरा, जिरिबाम से 30 किमी दूर है।
इस इलाके में घने जंगल और पहाड़ हैं और यहां पहले भी गोलीबारी जैसी घटनाएं हुई थीं। इससे पहले 18 अक्टूबर को जिरीबाम के ही कालीनगर हमार वेंग इलाके में उग्रवादियों ने एक स्कूल में आग लगा दी थी। इससे पहले 15 अक्बूटर को दिल्ली में गृह मंत्रालय की निमंत्रण पर मैतेई, कुकी और नगा समुदायों के 20 विधायक बैठक करने पहुंचे थे।
बैठक के बाद संकल्प दिलाया गया कि आज की बैठक के बाद मणिपुर में न तो एक भी गोली चलेगी और न ही किसी व्यक्ति की जान जाएगी।
4 पॉइंट्स में जानिए- क्या है मणिपुर हिंसा की वजह… मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।