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जगन की मां बोलीं- बेटी के साथ नाइंसाफी हुई:मेरे लिए सभी बच्चे बराबर; पूर्व CM-बहन के बीच शेयर, 20 एकड़ जमीन पर विवाद

आंध्र प्रदेश के पूर्व CM जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन वाईएस शर्मिला के बीच करोड़ों की विरासत को लेकर विवाद चल रहा है। इस बीच उनकी मां विजयम्मा ने अपनी बेटी के समर्थन में एक ओपन लेटर लिखा।

जगन की मां लिखती हैं कि उनके लिए सभी बच्चे बराबर हैं, लेकिन बेटी के साथ नाइंसाफी हो रही है। जगन को याद रखना चाहिए कि उन्हें राजनीति में सफल बनाने वाली उनकी बहन शर्मिला ही हैं।

दरअसल भाई-बहन के बीच कंपनियों के शेयर और बेंगलुरु के पास स्थित येलहंका में 20 एकड़ जमीन को लेकर खींचतान जारी है। इनकी कीमत करोड़ों में मानी जाती है।

जगन की मां का लेटर…

जगन का जवाब- जैसे सब भाई करते हैं, वहीं मैंने किया

जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP ने विजयम्मा के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि जगन रेड्डी ने कभी भी संपत्ति वापस नहीं मांगी। वाईएस जगन ने सद्भावना के कारण अपनी संपत्ति अपनी बहन शर्मिला के साथ शेयर की है। वह जगन के किसी भी बिजनेस में डायरेक्टर नहीं हैं। जगन ने शर्मिला के साथ व्यवहार में दयालुता रखी, जैसा कि कोई भी भाई करता है। पिता राजशेखर रेड्डी ने पहले ही शर्मिला और जगन को संपत्ति ट्रांसफर कर दी थी। जगन ने कभी भी उन संपत्तियों को वापस नहीं मांगा।

जानिए, भाई-बहन के बीच विवाद क्या है

दरअसल जगन रेड्डी और बहन शर्मिला के बीच ताजा विवाद कंपनी के शेयरों के अवैध ट्रांसफर से जुड़ा है। जगन ने इसके लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में शिकायत दर्ज की है। जगन की ओर से दायर याचिका में शर्मिला, उनकी मां विजयम्मा और दो अन्य पर जुलाई 2024 में सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों को अवैध रूप से ट्रांसफर करने का आरोप है।

इसके साथ ही याचिका में 2019 में जगन और शर्मिला के बीच साइन हुए दस्तावेज (MoU) के उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया गया है। याचिका के मुताबिक, जगन और उनकी पत्नी ने 31 अगस्त, 2019 में वाईएस शर्मिला को शेयरों का एक हिस्सा आवंटित करने के लिए एक MoU पर साइन किए थे, लेकिन असल में कोई शेयर ट्रांसफर नहीं हुआ था, बल्कि देने का सिर्फ वादा किया था।

रक्षाबंधन के मौके पर शर्मिला ने भाई जगन को राखी बांधी थी। तस्वीर दो साल पुरानी है।

क्या था 2019 का समझौता

2019 में जगन और शर्मिला के बीच एक MoU साइन हुआ। जगन ने अपने हिस्से में से शर्मिला को उनके समझौते के अनुसार 200 करोड़ दिए। जगन को 60% और शर्मिला को 40% मिलना था। हालांकि, MoU से पहले वे बराबर के हकदार थे।

  • समझौते पर विजयम्मा का पक्ष: एमओयू में शर्मिला को दी जाने वाली संपत्तियां जगन की ओर से गिफ्ट नहीं हैं, बल्कि उनकी जिम्मेदारी हैं. कोई कुर्की नहीं हुई थी, इसलिए जगन ने वादा किया और ट्रांसफर किए कि वह शर्मिला को एमओयू में मेंशन सरस्वती के 100% शेयर और एमओयू में मेंशन नहीं की गई कि येलहांका संपत्ति का 100% तुरंत दे देंगे। लेकिन ये नहीं दिया गया।
  • समझौते पर शर्मिला का पक्ष: 200 करोड़ रुपये कंपनियों से मिलने वाले लाभांश का आधा हिस्सा है। इससे यह साफ होता है कि कंपनियों में हमारे बच्चों के भी समान शेयर हैं। यह कोई अहसान या उपहार नहीं है। यह दावा भी गलत है कि पिता के जीवित रहते संपत्ति का बंटवारा हुआ।

भाई के लिए प्रचार करती थीं बहन, 2021 में अलग हुईं, फिर कांग्रेस में शामिल

आंध्र प्रदेश में जून 2012 में विधानसभा उपचुनाव हुए थे। इस दौरान शर्मिला ने अपने भाई की YSR कांग्रेस के लिए खूब प्रचार किया था। नतीजा यह निकला कि भाई की पार्टी ने 18 में से 15 सीटें जीतीं। 2019 में विधानसभा चुनाव आए, इस बार फिर प्रचार की जिम्मेदारी शर्मिला ने संभाली। इस बार भी जगन रेड्डी ने शानदार जीत हासिल की।

हालांकि, इसके तुरंत बाद ही रिश्तों में दरार आ गई। शर्मिला भाई से अलग हो गईं, साल 2021 में शर्मिला रेड्डी ने अपनी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी बनाई, जिसका अप्रैल-जून के आम चुनाव से पहले कांग्रेस में विलय हो गया। शर्मिला को फिर कांग्रेस का आंध्र प्रदेश प्रमुख बनाया गया।

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