दिल्ली में प्रदूषण को लेकर एक सर्वे किया गया है, जिसमें चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। NDTV के मुताबिक, प्राइवेट एजेंसी लोकल सर्कल के सर्वे में दावा किया गया कि दिल्ली-NCR में 69% परिवार प्रदूषण से प्रभावित हैं।
शुक्रवार को जारी की गई इस सर्वे रिपोर्ट में 21 हजार लोगों के जवाब थे। इसमें सामने आया कि दिल्ली-NCR में 62% परिवारों में से कम से कम 1 सदस्य की आंखों में जलन है।
वहीं, 46% फैमिली में किसी न किसी मेंबर को जुकाम या सांस लेने में तकलीफ (नेजल कंजेशन) और 31% परिवार में एक सदस्य अस्थमा की परेशानी है।
सर्वे की 8 बड़ी बातें…
- 31% रिस्पॉन्डेंट्स ने कहा कि उनके परिवार के मेंबर को सिरदर्द की दिक्कत है।
- 23% परिवारों में किसी 1 मेंबर को प्रदूषण के कारण फोकस करने में कठिनाई होती है।
- 15% ने कहा कि उनके परिवार में किसी मेंबर को सोने में दिक्कत होती है।
- 31% ने कहा कि उनके परिवार में किसी को भी प्रदूषण के कारण कोई समस्या नहीं है।
- 23% रिस्पॉन्डेंट्स ने कहा कि वे एयर प्यूरीफायर का उपयोग करते हैं।
- 23% रिस्पॉन्डेंट्स ने कहा कि वे इस प्रदूषण के साथ ही जी लेंगे।
- 15% ने कहा कि वे जल्द ही बाहर निकलने पर मास्क पहनेंगे।
- 15% ने कहा कि वे प्रदूषण वाले महीने में दिल्ली से बाहर जाने का प्लान कर रहे हैं।
2 हफ्ते में खांसी के पेशेंट करीब दोगुने इसी तरह का आखिरी सर्वेक्षण 19 अक्टूबर को किया गया था, तब दिल्ली में GRAP-1 (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) लागू किया गया था।
इसके मुताबिक, दो हफ्ते में गले में खराश और खांसी से पीड़ित लोगों का 36% से बढ़कर 69% हो गया है। एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने वाले परिवार 2 हफ्ते में 18% से बढ़कर 23% हो गए हैं।
दिल्ली में बैन के बावजूद चले पटाखे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 1 जनवरी 2025 तक पटाखों को बैन किया था। पटाखे बनाने, उन्हें स्टोर करने, बेचने और इस्तेमाल पर रोक है। इनकी ऑनलाइन डिलीवरी पर भी रोक लगाई गई थी, फिर भी आतिशबाजी हुई। पटाखे के कारण दिल्ली में AQI बढ़ा।
दिल्ली में 14 अक्टूबर को ग्रैप-1 लागू किया गया था दिल्ली का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 200 पार होने के बाद 14 अक्टूबर को दिल्ली NCR में ग्रैप-1 लागू कर दिया गया था। इसके तहत होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर बैन है। कमीशन ऑफ एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट ने एजेंसियों को पुराने पेट्रोल और डीजल गाड़ियों (बीएस -III पेट्रोल और बीएस-IV डीजल) के संचालन पर सख्त निगरानी के आदेश दिए हैं।
आयोग ने एजेंसियों से सड़क बनाने, रेनोवेशन प्रोजेक्ट और मेन्टेनेन्स एक्टिविटीज में एंटी-स्मॉग गन, पानी का छिड़काव और डस्ट रिपेलेंट तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने के लिए भी कहा है।
AQI क्या है और इसका हाई लेवल खतरा क्यों AQI एक तरह का थर्मामीटर है। बस ये तापमान की जगह प्रदूषण मापने का काम करता है। इस पैमाने के जरिए हवा में मौजूद CO (कार्बन डाइऑक्साइड ), OZONE, (ओजोन) NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) , PM 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) और PM 10 पोल्यूटेंट्स की मात्रा चेक की जाती है और उसे शून्य से लेकर 500 तक रीडिंग में दर्शाया जाता है।
हवा में पॉल्यूटेंट्स की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, AQI का स्तर उतना ज्यादा होगा। और जितना ज्यादा AQI, उतनी खतरनाक हवा। वैसे तो 200 से 300 के बीच AQI भी खराब माना जाता है, लेकिन अभी हालात ये हैं कि राजस्थान, हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ये 300 के ऊपर जा चुका है। ये बढ़ता AQI सिर्फ एक नंबर नहीं है। ये आने वाली बीमारियों के खतरे का संकेत भी है।