गुजरात में अमरेली तालुका के रंधिया गांव में कार में दम घुटने से एक ही परिवार के चार बच्चों की मौत हो गई। चारों बच्चे कार में खेल रहे थे। इसी दौरान कार का गेट लॉक हो गया। गेट नहीं खुलने के चलते दम घुटने से बच्चों की मौत हो गई।
परिवार मध्य प्रदेश के धार जिले का रहने वाला है और अमरेली में मजदूरी करता है।
गांव वालों से मिली जानकारी के मुताबिक चारों बच्चों के माता-पिता कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश के धार से अमरेली के रंधिया गांव गए थे। माता-पिता रोजाना की तरह दूसरी जगह मजदूरी करने गए हुए थे। चारों बच्चे (2 बेटियां और 2 बेटे) कार के पास ही खेल रहे थे। इसी दौरान हादसे का शिकार हो गए।
मकान मालिक की कार थी
डीवाईएपी चिराग देसाई ने बताया कि बच्चों में से एक के हाथ मकान मालिक भरतभाई मंदानी की कार की चाबी लग गई थी। इसी से बच्चों ने कार का गेट खोला और कार के अंदर ही खेलने लगे। इसी दौरान कार लॉक हो गई। शाम तक किसी की भी बच्चों पर नजर नहीं पड़ी।
जब शाम को माता-पिता घर लौटे और बच्चों की तलाश की तो चारों बच्चों के शव कार में मिले। बच्चों के नाम सुनीता (7 साल), सावित्री (5 साल), कार्तिक (2 साल) और विष्णु (5 साल) हैं।
न जाने कार की चाबी बच्चों के हाथ कैसे लगी: कार मालिक
इस बारे में कार के मालिक भरतभाई ने कहा कि 7 बच्चों वाला यह परिवार मध्यप्रदेश के धार जिले से हमारे यहां खेत पर मजदूरी करने आया था। परिवार मेरे ही मकान में रहता था। मैंने रोजाना की तरह कार पास में ही पार्क की थी। न जाने बच्चों के हाथ कैसे कार की चाबी लग गई और वे गेट खोलकर अंदर बैठ गए।
मैं भी कार पार्क करने के बाद घर के दूसरे कामों में लग गया था। शाम को जब बच्चों के पिता सोबियाभाई मचार पत्नी के साथ घर लौटे तो मुझे भी बच्चों के गुम होने की खबर हुई। तलाश करने पर बच्चे कार में मिले। हमने सरपंच और पुलिस को सूचना दी। इसके बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अमरेली अस्पताल ले जाया गया।
कार में गलती से बच्चा लॉक हो जाए तो बिना देर किए तुरंत करें ये 6 काम
हम आपको 6 ऐसी टिप्स भी बता रहे हैं जिसे फॉलो करके बच्चों को टाइमली कार से निकाल लेने पर जान बचाई जा सकती है। ऑस्ट्रेलिया के The National Roads and Motorists’ Association (NRMA) ने भी कार में बच्चों के बंद होने के दौरान उनकी सेफ्टी के लिए टिप्स जारी किए हैं।
- रेस्क्यू ऑपरेशन स्टार्ट होने के दौरान सबसे पहले पुलिस और एम्बुलेंस को कॉल करें। ताकि बच्चों को कार से निकालने के बाद किसी तरह की इमरजेंसी होने पर तुरंत मेडिकल सपोर्ट मिल सके।
- अब सबसे पहले गाड़ी के शीशे और बॉडी पर पानी डालें या गीले कपड़े से कार का स्टील स्पेस ढंक दें। ऐसा करने से कार के अंदर का टेम्परेचर नॉर्मल होगा। NRMA के मुताबिक, ऐसा करने पर कार के अंदर का टेम्परेचर 10 डिग्री तक कम किया जा सकता है।
- अगर कार धूप में खड़ी है और बच्चे को लॉक हुए 5-10 मिनट हो गया है और आपके पास चाबी ना हो तो बिना देर किए दरवाजा तोड़ने या खोलने का काम करें। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्मी के चलते शुरुआती 5-10 मिनट में कार का टेम्परेचर बाहर के तापमान की तुलना में 75% तक बढ़ जाता है। यानी अगर बाहर का टेम्परेचर 40 डिग्री होगा तो अंदर करीब 70 तक पहुंच जाएगा। ऐसे में हीट बाहर ना निकल पाने के चलते बच्चा बेहोश हो सकता है। सांस फूलने के चलते जान तक जा सकती है।
- ध्यान रहे विंडो को ब्रेक करने के लिए एकदम से हथौड़ा मारने की जगह धीरे-धीरे ब्रेक करें। ताकि कांच कार के पूरे हिस्से में ना फैले।
- कार का शीशा तोड़ते टाइम हमेशा बच्चा जहां बैठा हो उसके अपोजिट साइड वाले शीशे को ही तोड़ें। यानी अगर बच्चा कार के आगे की सीट पर बैठा हो तो पीछे का शीशा तोड़ें। वहीं, पीछे की सीट पर होने की कंडीशन में आगे के गेट का विंडो इतने ही डिग्री के साथ तोड़ें। ध्यान रहे हथौड़े या औजार को 110-130 डिग्री के एंगल पर रखते हुए ही शीशे पर मारें। शीशा तोड़ते वक्त कभी भी हथौड़ा सीधा 180 डिग्री एंगल से नहीं मारना चाहिए। ऐसा करने पर कांच चारों तरफ फैल जाता है और बच्चे को लग सकता है।
- ज्यादा देर तक कार के अंदर रहने से बच्चे की सांस फूलने लगती है। ऐसे में बच्चे को बाहर निकालने के बाद तुरंत उसे ठंडे टेम्परेचर में ना ले जाएं। ना ही ठंडा पानी पिलाएं। ऐसा करने पर बच्चे को निमोनिया या अन्य बीमारी हो सकती है। इसलिए कार से बच्चे को निकालने के बाद कुछ देर तक नॉर्मल टेम्परेचर में रखें। उसके बाद जरूरत पड़ने पर मेडिकल सर्विस प्रोवाइड कराएं।