वक्फ बोर्ड JPC की मीटिंग में मंगलवार को दाऊदी बोहरा समुदाय ने मांग रखी है कि उसे वक्फ बोर्ड के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए, क्योंकि वक्फ (संशोधन) विधेयक उनके विशेष दर्जे को मान्यता नहीं देता है।
दाऊदी बोहरा समुदाय की तरफ से एडवोकेश हरीश साल्वे ने पैनल से कहा यह एक छोटा और घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ संप्रदाय है।
इससे पहले वक्फ (संशोधन) बिल पर बनी संसदीय समिति में शामिल विपक्षी सांसद मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिले। उन्होंने पैनल के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल पर विपक्ष की राय लिए बिना एकतरफा निर्णय लेने का आरोप लगाया।
सांसदों का आरोप है कि पाल विपक्षी सांसदों को बिल पर अपनी बात रखने का मौका नहीं दे रहे हैं। इसके लिए विपक्षी नेताओं ने बिरला को एक संयुक्त पत्र भी लिखा। जिसमें सांसदों ने समिति से अलग होने की चेतावनी दी थी।
दाऊदी बोहरा समुदाय के दावे…
- वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 दाऊदी बोहरा समुदाय की विशिष्टता को पहचान नहीं सका। न ही उसके लिए स्पेशल रेमेडी दी गई हैं। यह अलग समुदायों के साथ समान व्यवहार करता है। इसलिए, हम वक्फ अधिनियम 1995 के दायरे से इसे पूरी तरह से बाहर रखना चाहते हैं।
- 1955 में लागू किया गया मौजूदा वक्फ अधिनियम उनकी आस्था के साथ पूरी तरह से असंगत है।अल-दाई अल-मुतलाक उनके एकमात्र ट्रस्टी हैं जो समुदाय की सभी संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं और उनके निर्णय पवित्र हैं तथा उनके शब्दों को चुनौती देना अपवित्र है।
कौन हैं दाऊदी बोहरा समुदाय यह मुस्लिम समुदाय का हिस्सा है, जिसके अपने अलग सिद्धांत और व्यवहार हैं। यह भारत में शिया समुदाय के भीतर एक उप-अल्पसंख्यक है। यह देश में मुसलमानों का केवल 0.078% हैं। 1962 में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत दाऊदी बोहरा समुदाय को धार्मिक संप्रदाय के रूप में मान्यता दी थी।
बिरला को लिखी चिट्ठी में दावा- बैठकों में एकतरफा निर्णय ले रहे पत्र में विपक्षी सांसदों ने शिकायत की है कि जगदंबिका पाल कई बार लगातार 3 दिनों तक बैठकों की तारीखें तय करते हैं और गवाहों को बुलाने का निर्णय भी एकतरफा ले रहे हैं।
विपक्षी सांसदों का कहना है कि हमारे लिए तैयारी के बिना उचित बातचीत करना संभव नहीं है। वहीं, भाजपा सांसदों ने आरोप लगाया है कि विपक्षी सदस्य जानबूझकर समिति के काम में अड़चन डाल रहे हैं।
JPC में लोकसभा से 21 सदस्य- भाजपा के 7, कांग्रेस के 3 सांसद 1. जगदंबिका पाल (भाजपा) 2. निशिकांत दुबे (भाजपा) 3. तेजस्वी सूर्या (भाजपा) 4. अपराजिता सारंगी (भाजपा) 5. संजय जायसवाल (भाजपा) 6. दिलीप सैकिया (भाजपा) 7. अभिजीत गंगोपाध्याय (भाजपा) 8. श्रीमती डीके अरुणा (YSRCP) 9. गौरव गोगोई (कांग्रेस) 10. इमरान मसूद (कांग्रेस) 11. मोहम्मद जावेद (कांग्रेस) 12. मौलाना मोहिबुल्ला (सपा) 13. कल्याण बनर्जी (TMC) 14. ए राजा (DMK) 15. एलएस देवरायलु (TDP) 16. दिनेश्वर कामत (JDU) 17. अरविंत सावंत (शिवसेना, उद्धव गुट) 18. सुरेश गोपीनाथ (NCP, शरद पवार) 19. नरेश गणपत म्हास्के (शिवसेना, शिंदे गुट) 20. अरुण भारती (LJP-R) 21. असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM)
JPC में राज्यसभा से 10 सदस्य- भाजपा के 4, कांग्रेस का एक सांसद 1. बृज लाल (भाजपा) 2. डॉ. मेधा विश्राम कुलकर्णी (भाजपा) 3. गुलाम अली (भाजपा) 4. डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल (भाजपा) 5. सैयद नसीर हुसैन (कांग्रेस) 6. मोहम्मद नदीम उल हक (TMC) 7. वी विजयसाई रेड्डी (YSRCP) 8. एम मोहम्मद अब्दुल्ला (DMK) 9. संजय सिंह (AAP) 10. डॉ. धर्मस्थल वीरेंद्र हेगड़े (राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत)
वक्फ बिल पर JPC की अब तक हुईं बैठकें…
22 अगस्त, पहली बैठक: कमेटी चेयरपर्सन बोले- सबकी बात सुनी जाएगी 22 अगस्त को 31 सदस्यीय JPC की पहली बैठक हुई थी। इसमें कमेटी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा था कि बिल पर विचार करने के दौरान सभी 44 अमेंडमेंट्स पर चर्चा होगी। सबकी बात सुनी जाएगी। अल्पसंख्यक मामलों और कानून मंत्रालय के अधिकारी ने कमेटी को ड्राफ्ट कानून में जो बदलाव के बारे में बताया। पूरी खबर पढ़ें…
30 अगस्त, दूसरी बैठक: विपक्षी सांसदों ने वॉकआउट किया दूसरी बैठक में विपक्षी सदस्यों ने कुछ देर के लिए बैठक से वॉकआउट किया था। यह बैठक करीब 8 घंटे चली। बैठक में ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा और इंडियन मुस्लिम्स फॉर सिविल राइट्स, राजस्थान मुस्लिम वक्फ, दिल्ली और UP सुन्नी वक्फ बोर्ड के विचारों को सुना गया। पूरी खबर पढ़ें…
5 सितंबर, तीसरी बैठक: विपक्ष ने कहा- मंत्रालय ने जानकारी छिपाई तीसरी बैठक में मंत्रालयों के अधिकारियों ने वक्फ बिल पर प्रेजेंटेशन दिया। इस दौरान अधिकारियों की विपक्षी सांसदों से तीखी बहस हुई। विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि प्रेजेंटेशन के दौरान सरकारी अधिकारी बिल पर पूरी जानकारी नहीं दे रहे थे। सबसे ज्यादा विरोध AAP सांसद संजय सिंह और TMC सांसद कल्याण बनर्जी ने किया। पूरी खबर पढ़ें…
6 सितंबर, चौथी बैठक: ASI ने पुराने कानून पर आपत्ति की बैठक में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम भी शामिल हुई। टीम ने प्रेजेंटेशन के जरिए बताया कि नया संशोधन बिल पुराने स्मारकों को संरक्षित रखने के लिए भी जरूरी है। ASI ने पुराने वक्फ कानून पर अपनी पांच आपत्तियां भी दर्ज कराई थीं। पूरी खबर पढ़ें…
14 अक्टूबर, पांचवी बैठक: खड़गे पर संपत्ति हड़पने का आरोप लगा बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर वक्फ संपत्ति कब्जाने का आरोप लगा। इससे नाराज विपक्षी दलों के सांसदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। साथ ही स्पीकर को चिठ्ठी लिखकर कमेटी के चेयरपर्सन जगदंबिका पाल को हटाने की मांग की। स्पीकर से मिलने का समय भी मांगा। पूरी खबर पढ़ें…
29 अक्टूबर: विपक्षी सांसदों और दिल्ली वक्फ बोर्ड के बीच जमकर हंगामा 29 अक्टूबर की बैठक में विपक्षी सांसदों और दिल्ली वक्फ बोर्ड के बीच जमकर हंगामा हुआ था। विपक्षी सांसदों ने कहना था कि दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना दिल्ली वक्फ बोर्ड को प्रेजेंटेशन देने की अनुमति देना अवैध है। पूरी खबर पढ़ें…