हल्द्वानी हिंसा में अपनों को खोने वाले अभी कर्फ्यू के कड़े पहरे में कैद हैं। इनकी मौत किन हालात में हुई ये सच अभी बाहर आना बाकी है। दैनिक भास्कर ने हिंसा में अपने दामाद और नवासे को गंवाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मुमताज बेगम से किसी तरह संपर्क साधा।
मुमताज ने कहा- मेरे दामाद तो अपने नाती के लिए दूध लेने घर से निकले थे। पीछे से उनका बेटा (मेरा नवासा) उन्हें देखने चला गया। दोनों की गोली लगने से मौत हो गई। पुलिस ने हमें उनकी लाशें भी नहीं लौटाईं।
हल्द्वानी में बनभूलपुरा थाने से करीब 700 मीटर की दूरी पर है गफूर बस्ती। इसी बस्ती में चौधरिया रोड पर सामाजिक कार्यकर्ता मुमताज बेगम रहती हैं। ये इलाका मलिक के बगीचे से जहां हिंसा की शुरुआत हुई वहां से करीब 1 किमी दूर है। मुमताज बेगम ने अपनी बेटी सिम्मी का निकाह अपने घर के सामने रहने वाले जाहिद के साथ किया था।
वहीं जाहिद की मौत 8 फरवरी को हल्द्वानी में भड़की हिंसा में गोली लगने से हुई है। उसके 18 साल के बेटे अनस को भी इसी हिंसा में गोली लगी थी। उसकी भी मौत हो गई। हिंसा में कुल 5 लोगों की जान गई। उनमें से 2 मुमताज बेगम के परिवार से थे। मुमताज भी कर्फ्यू में कैद हैं। हमने उनसे फोन पर बात की।
- आइए आपको पढ़वाते हैं हल्द्वानी हिंसा में जान गंवाने वाले बाप-बेटे की कहानी मुमताज बेगम की जुबानी