Headlines

UP में अफसरों का 10% कमीशन फिक्स:पत्नी-बेटे के अकाउंट में रिश्वत मंगवाई, LIC किश्तें भरवाईं; बाबू की डायरी में काला सच

भास्कर इंवेस्टिगेशन
UP में अफसरों का 10% कमीशन फिक्स:पत्नी-बेटे के अकाउंट में रिश्वत मंगवाई, LIC किश्तें भरवाईं; बाबू की डायरी में काला सच

प्रयागराज5 घंटे पहलेलेखक: रवि श्रीवास्तव/उज्जवल सिंह

UP में जिला मुख्यालय से लेकर लखनऊ तक के अफसर 10% रिश्वत से मैनेज होते हैं। रिश्वत की यह रकम पत्नी और बेटों के अकाउंट में ऑनलाइन ट्रांसफर कराते हैं। LIC की किश्त और किराया भी जमा कराते हैं। जो अफसर चालाक हैं वो कैश में रिश्वत लेते हैं या किसी के मार्फत। इस काले सच का खुलासा दैनिक भास्कर के इंवेस्टिगेशन में हुआ।

सरकारी विभाग में रिश्वत और कमीशन के खेल को उजागर करने के लिए हमारी टीम ने प्रयागराज मंडी परिषद के बाबू की डायरी हासिल की। कुछ दिन पहले इन्हें सस्पेंड भी किया गया। बाबू ने इस डायरी की बाकायदा नोटरी कराई है।

इस डायरी में 15 करोड़ रुपए का कमीशन बांटने का लेखा-जोखा है। बाबू और अफसरों के बीच बैंक ट्रांजैक्शन, रुपए मांगने के वॉट्सऐप चैट भी हासिल किए। हिडन कैमरे पर कमीशन लेने वालों से बात की, जिन्होंने कमीशन के पूरे खेल को कबूला।

पढ़िए, बाबू, इंजीनियर और अफसरों के कमीशन पर इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट…

मंजीत ने इसी डायरी में कमीशन का सारा हिसाब-किताब दर्ज किया है।
मंजीत ने इसी डायरी में कमीशन का सारा हिसाब-किताब दर्ज किया है।
हमारी इन्वेस्टिगेशन मंडी परिषद प्रयागराज के ऑफिस से शुरू हुई। हमें यहां के सस्पेंड बाबू मंजीत सिंह की तलाश थी, जिसके पास कमीशन की डायरी थी। दो दिन की कोशिश के बाद मंजीत सिंह तक पहुंच पाए। मंजीत से मुलाकात होटल के एक कमरे में हुई।

हमने मंजीत को भरोसे में लेकर सवाल किया कि कमीशन के खेल में कौन-कौन शामिल था? उसने बताया कि सब शामिल थे। जब गबन पकड़ा गया तो मैंने तो कुछ रुपए विभाग में जमा भी कर दिए, लेकिन बाकियों ने नहीं जमा किए। उल्टा हमारे खिलाफ FIR करवा दी।

वह बताते हैं- निर्माण खंड प्रयागराज में जो काम ठेकेदार करता था उससे भुगतान के समय 10% कमीशन लिया जाता था। फिर वही कमीशन अधिकारियों में सबके पर्सेंटेज के हिसाब से बंटता था। अधिकारियों को जितना पैसा दिया है, वही डायरी में मेंटेन है। इसी 10% में लखनऊ तक रुपया जाता है।

इस डायरी में प्रयागराज निर्माण खंड में तैनात रहे अधिकारी और लखनऊ में तैनात डायरेक्टर, चीफ इंजीनियर, वित्त नियंत्रक मुख्य लेखाधिकारी आदि को दिया जाने वाला हिस्सा शामिल है। अब सिस्टम में कमीशन के खेल के सबूत देखिए…

10% में नीचे से लेकर ऊपर तक बंटता है

मंजीत की डायरी में ललित कुमार वर्मा के नाम पर 23 लाख 39 हजार 500 रुपए दर्ज हैं। हमें विभाग से ही इनका नंबर मिला। जब फोन पर बातचीत की तो उन्होंने हमें प्रयागराज के झूंसी में यादव चौराहे पर बुलाया। वहां ललित वर्मा ने बताया, अब मैं रिटायर हूं, लेकिन वहां मैं कनिष्ठ लिपिक (जूनियर क्लर्क) के पद पर था। सिर्फ डाक रिसीव करना, भेजना, पत्रावलियों का रखरखाव, यही मेरा काम था। रही बात कमीशन की तो वह हर जगह चलता है। 10% में नीचे से लेकर ऊपर तक बंटता है। यह तो सरकार भी जानती है कि हर निर्माण खंड में बंटता है। यह सब जो अकाउंट देखता है, वही करता है।

हम तो कनिष्ठ सहायक थे, डाक वगैरह देखते थे। हम लोगों का कौन रोल है। उसने (मंजीत) अपनी बीवी के नाम चेक काट लिया। प्रिया ऑटोमोबाइल एजेंसी खोली है। अपने दो-तीन दोस्त जो ठेकेदार थे, उनके नाम से चेक काट लिया।

हर विभाग में 4% कमीशन मिलता है, इसमें 2.60%

कमीशन की डायरी में त्रियुगी नारायण भट्‌ट का नाम टीएन भट्ट लिखा है। इनके नाम पर 13 लाख 41 हजार का लेन-देन दर्ज है। इसमें से एक बार 80 हजार घर से लेना लिखा है, तो 50 हजार जेब से निकाल लिया लिखा है। एक लाख रुपए ट्रांसफर के नाम पर लेना लिखा है। हमारे हिडन कैमरे पर भट्‌ट ने कहा कि हर विभाग में 4% कमीशन मिलता है, लेकिन इस विभाग में 2.60 रुपया (प्रतिशत) और 1.40 रुपया (प्रतिशत) मिलता है। अब इसमें सर्वे से लेकर एस्टीमेट बनाना, फिर PWD से जांच करवाना। AE से लेकर XEN तक, फिर DM तक इन सब प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद हम टेंडर निकालते हैं।

मंजीत का आरोप है कि वरई वधवा से महाराजगंज तक PWD ने सड़क बनाई और त्रियुगी नारायण भट्‌ट ने उसका पेमेंट मंडी परिषद से ठेकेदार को करा दिया। इस बारे में जब हमने त्रियुगी नारायण से पूछा तो उसने जवाब दिया कि हमने सारी सड़क नोट कर ली है। हम लखनऊ में आपके सवालों के जवाब देंगे। लखनऊ पहुंचकर जब हमने ‌उन्हें फोन किया तो जवाब नहीं दिया।

पति के अकाउंट में ट्रांसफर कराए

कमीशन की डायरी में सुनीता के नाम पर 4 लाख 42 हजार रुपए दर्ज हैं। इसमें से 25 हजार का पेमेंट ऑनलाइन हुआ है। यह पेमेंट सुनीता के पति प्रेम शंकर के अकाउंट में हुआ है।

JE सुनीता के पति का पूरा नाम प्रेम शंकर है। ट्रांजैक्शन में उसके पति का नाम प्रेम लिखा गया है।
JE सुनीता के पति का पूरा नाम प्रेम शंकर है। ट्रांजैक्शन में उसके पति का नाम प्रेम लिखा गया है।
हमने इस बारे में सुनीता से पूछा तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। सुनीता के मुताबिक, सिर्फ हम लोगों को फंसाने के उद्देश्य से यह डायरी बनाई गई है। ऐसे लोगों (मंजीत) पर क्या भरोसा किया जाए। वह (मंजीत) तो अपनी पत्नी के नाम पर, अपने भाई के नाम पर चेक काट दे रहा है। वह कहती हैं, मंजीत यह दिखाना चाहता है कि हम इनके प्रेशर में चेक काटते थे।

3 महीने में 7 बार वॉट्सऐप करके मांगे रुपए

सस्पेंड बाबू मंजीत और एई अखिलेश सिंह मौर्य के बीच 5 जनवरी 2023 से 6 मार्च 2023 तक की चैट मिली है। इस दौरान अखिलेश ने 7 बार मंजीत से रुपए मांगे हैं। एई अखिलेश का मोबाइल नंबर मंजीत के मोबाइल लिस्ट में Aee नाम से सेव है। हमने मोबाइल नंबर 88827….. चेक किया तो वह अखिलेश सिंह मौर्य का निकला।

13 जनवरी 2023 को अखिलेश सिंह मौर्य ने मैसेज किया कि मकर संक्रांति है… कुछ दीजिए, कुछ भेजिए। इसके बाद फरवरी में भी रुपए भेजने के मैसेज हैं, जिसमें पहली ही लाइन में लिखा है हाय, मंजीत जी, 10 हजार भेजिएगा काम है अर्जेंट। 6 मार्च को अखिलेश फिर मैसेज कर लिखते हैं हाय, कुछ जुगाड़ करिए मंजीत जी।

कमीशन की डायरी में अखिलेश सिंह मौर्य असिस्टेंट इंजीनियर के नाम के नीचे 6 ट्रांजैक्शन दर्ज हैं। इसका टोटल 11 लाख 59 हजार आ रहा है। मंजीत के मुताबिक, EE का 1.40% कमीशन होता था, जो उनको दिया जाता था। 14 अक्टूबर 2022 को मंजीत के अकाउंट से उनके अकाउंट में 5 हजार रुपए के ट्रांजैक्शन के सबूत हैं।

EE अखिलेश सिंह मौर्य ने बाबू से वॉटसऐप चैट करके रुपए मांगे थे।
EE अखिलेश सिंह मौर्य ने बाबू से वॉटसऐप चैट करके रुपए मांगे थे।
अखिलेश सिंह मौर्य ने सभी आरोपों को झूठा बताया। उन्होंने कहा कि हमने न तो उनसे कोई बातचीत की है, न ही हमारा उनसे कोई लेन-देन हुआ।

इसके बाद हमने एई अखिलेश सिंह मौर्य के खिलाफ प्रयागराज के करछना विधानसभा से भाजपा विधायक पीयूष रंजन निषाद की शिकायत का जिक्र किया। इसमें कहा गया है कि दो सड़कें अखिलेश सिंह मौर्य ने खराब बनवाई हैं। इस पर अखिलेश सिंह मौर्य ने कहा- विधायक ने जो लेटर लिखा है, उसमें मूर्खता की बात की है। जो भी काम कराता है, वह JE कराता है न कि EE।

DDC ने पत्नी-बेटे के अकाउंट में मंगाए थे रुपए

रावेंद्र सिंह बर्खास्त होने के बाद किसी के टच में नहीं हैं। उनका जो मोबाइल नंबर विभागीय लोगों से मिला, वह बंद है। ऐसे में उनसे इस मामले में बातचीत नहीं हो सकी। हालांकि, डायरी के पन्नों में उनके नाम पर मंजीत के जरिए लगभग 1 करोड़ 2 लाख रुपए कमीशन लेने का आंकड़ा दर्ज है। मंजीत ने राघवेंद्र की पत्नी अनीता के खाते में 80 हजार, जबकि उनके बेटे के खाते में 10 रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर किए।

ये बर्खास्त DDC की पत्नी अनीता को ऑनलाइन ट्रांजैक्शन किए गए रुपए का रिकॉर्ड।
ये बर्खास्त DDC की पत्नी अनीता को ऑनलाइन ट्रांजैक्शन किए गए रुपए का रिकॉर्ड।
मंजीत के मुताबिक, उसने रावेंद्र की LIC की किश्तें भी जमा की हैं। रावेंद्र सिंह पर यह आरोप साबित हो चुके हैं। इसी वजह से उनको बर्खास्त भी कर दिया गया है। रावेंद्र सिंह के अलावा लेखाधिकारी मैकूलाल, लेखाधिकारी संजय कुमार गंगवार भी निलंबित हुए थे।

कमीशन से लेखाधिकारी के मकान का किराया चुकाते थे

मैकूलाल लेखाधिकारी के पद पर तैनात थे। जब मंजीत का मामला पकड़ा गया तो उन्हें भी निलंबित कर दिया गया। इसी निलंबन के दौरान ही मैकूलाल रिटायर हो गए। मंजीत की डायरी में दर्ज आंकड़ों की मानें तो मंजीत ने मैकूलाल के प्रयागराज में रुकने के लिए किराए का कमरा दिलवाया था। इसका किराया और बिजली बिल मंजीत दिया करता था। डायरी के हिसाब से मैकूलाल के नाम पर 18 लाख 99 हजार रुपए कमीशन के रूप में दर्ज हैं।

मंजीत का आरोप है कि मैकूलाल के मकान का किराया 5 हजार वह दिया करता था। हम इसकी तस्दीक के लिए ट्रांसपोर्ट नगर कॉलोनी में उस मकान तक पहुंचे, जहां मैकूलाल रहता था। वहां हमें किराएदार मिले, जिनसे मकान मालिक फूल सिंह का नंबर मिला। फोन पर हुई बातचीत के दौरान फूल सिंह ने माना कि मंजीत सिंह से ही उन्हें मैकूलाल के कमरे का किराया मिला करता था। डायरी के मुताबिक, 2022 में 33 हजार किराए और 14 हजार रुपए घर के सामान के नाम पर दर्ज हैं।

डायरी में जिनके नाम दर्ज उन्होंने क्या कहा…

मेरे विरोधियों का काम है…

डायरी में तब झांसी में तैनात रहे डिप्टी डायरेक्टर महेंद्र कुमार के नाम के आगे 1 करोड़ 21 लाख रुपए दर्ज हैं। जब इस पर हमने उनसे बात की तो उन्होंने कहा- मुझे कुछ नहीं कहना है। मेरा नाम शामिल करने वाला बाबू खुद ही भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित है, उस पर FIR भी दर्ज है। ऐसे में उसकी डायरी कितनी सही? इसका अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं। ऐसा लगता है जैसे महेंद्र कुमार डकैती डाले हैं। मेरे से भी ज्यादा किसी का ब्राइट करियर है क्या?

मेरे साथ काम करने वाला कोई कर्मचारी बिना बताए कहीं और जाकर काम कर रहा है तो उसमें मैं क्या कर सकता हूं। मेरे कुछ विरोधी हैं, ये उन्हीं का तमाशा है। एक गैंग है जो मनगढ़ंत कहानियां बना रहे हैं, इसमें हमारे मुख्यालय के भी कुछ लोग शामिल हैं।

मंजीत की डायरी में दर्ज रिकॉर्ड।
मंजीत की डायरी में दर्ज रिकॉर्ड।
गिफ्ट के नाम पर हर महीने की ‘फिक्स डील’
डायरी के अनुसार, सभी उच्च अधिकारियों का हिस्सा उनके पद के हिसाब से फिक्स था। डिप्टी डायरेक्टर को 4.75%, लेखाधिकारी को 0.80%, और असिस्टेंट इंजीनियर को 1.40% कमीशन मिलता था। मंजीत सिंह ने बताया कि यह रकम बिल पास करने से लेकर सरकारी सुविधाओं के भुगतान तक, हर स्तर पर फैली हुई है।

‘ऑडिट टीम’ का भी हिस्सा, डायरेक्टर का भी ‘कट’
सिर्फ अधिकारी ही नहीं, बल्कि ऑडिट टीम पर भी लाखों खर्च किए जाते थे। लखनऊ और अन्य जिलों की ऑडिट टीम के होटल, खाने-पीने के बिल तक इस पैसे से कवर होते थे। डायरेक्टर से लेकर स्थानीय DM तक की जिम्मेदारी थी कि यह कमीशन समय पर बंटे। डायरी के मुताबिक, हर साल मंडी निदेशक को 20 लाख तक का हिस्सा दिया गया।

अब जानिए मंजीत के निलंबित होने की कहानी?
मंजीत की नौकरी 2008 में लगी। वह बाबू के पद पर तैनात था। 2017 में तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर गोपाल शंकर मिश्रा ने उससे अकाउंटेंट का भी काम लेना शुरू कर दिया। उसे सभी तरह के रुपयों का हिसाब मेंटेन करने का भी निर्देश दिया। बीच में उसकी शिकायत भी मुख्यालय की गई। तब उसने अकाउंटेंट का काम करने से मना भी किया, लेकिन तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर महेंद्र सिंह ने उससे अकाउंटेंट का काम लेना जारी रखा। महेंद्र सिंह का तबादला झांसी हो गया। एक हफ्ते बाद (30 जून 2022) को मंजीत का भी ट्रांसफर झांसी हो गया।

इसी दौरान प्रयागराज मंडी परिषद में डिप्टी डायरेक्टर रावेंद्र सिंह आए। मंजीत के मुताबिक, उसे सभी ठेकेदारों के कमीशन के बारे में पता था। इसलिए रावेंद्र सिंह मंजीत को झांसी से बुलाकर विभागीय काम कराते रहे। यह बात झांसी में तैनात DDC महेंद्र सिंह को भी पता थी। इसी दौरान हाल ही में मंडी परिषद के बजट से बनी कुछ सड़कें उखड़ गईं। इसकी शिकायत शासन में हुई तो रावेंद्र सिंह ने मंजीत से सड़कों को सही कराने के लिए कहा। मंजीत ने अपने परिचित ठेकेदारों से कहकर सड़क की मरम्मत कराई थी। इसी का करीब सवा दो करोड़ रुपए का भुगतान होना था।

सड़क की मरम्मत करवाने वाले ठेकेदार, मंजीत पर भुगतान का दबाव बना रहे थे। मंजीत ने बार-बार रावेंद्र सिंह से पैसे मांगे। इस पर DDC रावेंद्र सिंह ने अकाउंट नंबर मांगा। मंजीत ने अपनी पत्नी की फर्म प्रिया ऑटोमोबाइल का अकाउंट नंबर दे दिया। इसमें विभाग से चेक के जरिए लगभग सवा दो करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए गए।

यही मामला ऑडिट में पकड़ा गया, क्योंकि भुगतान फर्जी तरीके से हुआ था। DDC रावेंद्र सिंह ये नहीं बता पाए कि पैसे किस लिए दिए गए हैं। इस मामले में जांच शुरू हुई। जांच के बाद चार लोगों पर FIR हुई। इसी मामले में मंजीत अभी तक सस्पेंड चल रहा है।

डायरी के नोटरी करने के क्या मायने हैं
एडवोकेट नोटरी राजेंद्र कुमार मिश्रा के मुताबिक, किसी भी दस्तावेज की फोटो कॉपी करवाकर उसे नोटरी से प्रमाणित करवाया जा सकता है। प्रमाणित होने के बाद ये लीगली सिद्ध हो जाता है कि वह डॉक्यूमेंट्स उसी व्यक्ति के द्वारा लाया गया है या लिखा गया है। कोर्ट में भी नोटरी से प्रमाणित दस्तावेजों को मान्यता दी जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Budget 2024