एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी के शूटर ने मौत की पुष्टि तक अस्पताल के पास इंतजार किया। शूटर ने पुलिस को बताया कि फायरिंग के बाद उसने तुरंत अपनी शर्ट बदल ली और करीब आधे घंटे तक भीड़ के बीच अस्पताल के बाहर खड़ा रहा। वह यह जानने के लिए खड़ा रहा कि सिद्दीकी की मौत हो गई या वे हमले में बच गए। जैसे ही उसे यह पता चला कि सिद्दीकी की हालत बहुत गंभीर है, वह वहां से चला गया।
12 अक्टूबर की रात बाबा सिद्दीकी की हत्या हुई
66 वर्षीय बाबा सिद्दीकी की 12 अक्टूबर को रात 9:11 बजे मुंबई के बांद्रा में गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनके बेटे के ऑफिस के बाहर उनपर गोलियां चलाई गई। उनके सीने पर दो गोलियां लगी थीं। उन्हें लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया।
सिद्दीकी की हत्या के लिए कैसे बनाया गया प्लान
मुख्य आरोपी शिव कुमार गौतम के अनुसार, बाबा सिद्दीकी को मारने के बाद उनका पहला प्लान था, अपने सहयोगियों – धर्मराज कश्यप और गुरमेल सिंह से उज्जैन रेलवे स्टेशन पर मिलना। जहां बिश्नोई गिरोह का एक सदस्य उन्हें वैष्णो देवी ले जाता। हालांकि, योजना विफल हो गई क्योंकि कश्यप और सिंह को पुलिस ने पकड़ लिया था।
बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में शामिल पांचों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में शामिल पांचों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने मुख्य आरोपी को नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया
मुख्य आरोपी के चार दोस्तों की बातचीत से पुलिस को संदेह हुआ। जिन्होंने मोबाइल फोन पर देर रात बातचीत की थी। जिससे मुंबई पुलिस को गौतम को ट्रैक करने में मदद मिली। गौतम उत्तर प्रदेश के नानपारा शहर से लगभग 10 किमी दूर, 10 से 15 झोपड़ियों वाली बस्ती में छिपा हुआ था। वहां से रविवार को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
मुंबई क्राइम ब्रांच और उत्तर प्रदेश पुलिस स्पेशल टास्क फोर्स ने गौतम को अनुराग कश्यप, ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, आकाश श्रीवास्तव और अखिलेंद्र प्रताप सिंह के साथ नेपाल सीमा के पास गिरफ्तार किया।पुलिस के मुताबिक, जांच गौतम के चार दोस्तों की संदिग्ध गतिविधियों से शुरू हुई। उन्हें विभिन्न आकारों में कपड़े खरीदते और एक दूर जंगल में उससे मिलने की योजना बनाते हुए देखा गया था। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वे मोबाइल फोन के जरिए इंटरनेट कॉल के माध्यम से गौतम के साथ लगातार संपर्क में थे।
गौतम विदेश भागने का बना रहा था प्लान
12 अक्टूबर को सिद्दीकी पर फायरिंग करने के बाद गौतम वहां से कुर्ला गया, ठाणे के लिए एक लोकल ट्रेन में चढ़ा और फिर पुणे भाग गया। वहां उसने अपना मोबाइल फोन फेंक दिया। वह लगभग सात दिनों तक पुणे में रहा और फिर उत्तर प्रदेश के झाँसी और लखनऊ गया। पुलिस ने कहा कि चारों सहयोगी मुख्य आरोपी को देश से भागने में मदद करने की योजना बना रहे थे।