महाराष्ट्र में महायुति की सरकार, 230 सीटें जीतीं:वोट मार्जिन .5% बढ़ा तो भाजपा ने 105 से 132 सीटें जीतीं; महाविकास अघाड़ी 46 पर सिमटी
मुंबई3 घंटे पहले
जीत के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई। – Dainik Bhaskar
जीत के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई।
‘मेरा पानी उतरता देख, किनारों पर घर मत बसा लेना… मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा।’
देवेंद्र फडणवीस ने दुष्यंत कुमार का यह शेर 1 दिसंबर 2019 को महाराष्ट्र विधानसभा में पढ़ा था। 28 नवंबर 2019 को भाजपा से अलग होकर उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और NCP के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उद्धव ठाकरे की वजह से ही फडणवीस CM बनते-बनते रह गए थे।
23 नवंबर 2024, यानी 5 साल पूरे होने के 5 दिन पहले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया। भाजपा 149 सीटों पर लड़ी, 132 सीटें जीतीं। उसके गठबंधन ने 288 सीटों में से रिकॉर्ड 230 सीटें जीतीं।
भाजपा का स्ट्राइक रेट 88% रहा। हालांकि, वोट शेयर (26.77%) में मामूली इजाफा हुआ। 2019 के चुनाव में वोट शेयर 26.10% था। 0.67 वोट मार्जिन के साथ भाजपा को 27 सीटों का फायदा हुआ।
महा विकास अघाड़ी (MVA) को 46 सीटें मिलीं
कांग्रेस नेतृत्व वाले महा विकास अघाड़ी (MVA) को 46 सीटें मिलीं। इस चुनाव में मुकाबला 6 बड़ी पार्टियों के दो गठबंधन में था। महायुति में भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) शामिल है, जबकि महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी (शरद पवार)।
महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर 20 नवंबर को वोटिंग हुई थी। 2019 के मुकाबले इस बार 4% ज्यादा वोटिंग हुई। 2019 में 61.4% वोट पड़े थे। इस बार 65.11% वोटिंग हुई।
विपक्ष बोला- रिजल्ट शोध का विषय
उद्धव ठाकरे ने कहा…
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मुझे समझ नहीं आ रहा कि ये सुनामी क्यों आई है। इस पर शोध करना होगा, क्योंकि किसान परेशान हैं, बेरोजगारी है।
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राहुल गांधी बोले…
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महाराष्ट्र के नतीजे अप्रत्याशित हैं और इनका हम विस्तार से विश्लेषण करेंगे।
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लोकसभा के हिसाब से MVA को 110 सीटों का नुकसान
एनसीपी (अजित) ने 41 सीटें जीती हैं, लेकिन उसका वोट शेयर 9.01% ही है। वहीं, कांग्रेस के महाविकास अघाड़ी गठबंधन का कुल वोट शेयर 33.65% है, फिर भी उसके खाते में 45 सीटें ही आई हैं।
अगर हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों से तुलना करें तो एनसीपी अजित का वोट शेयर 3 गुना बढ़ा है। भाजपा और शिवसेना शिंदे की वोट हिस्सेदारी में 1% से भी कम की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
लोकसभा के मुकाबले भाजपा के महायुति का कुल वोट शेयर 5.43% बढ़ा है और कांग्रेस के महाविकास अघाड़ी का 10.25% घटा है। शिवसेना उद्धव का वोट शेयर सबसे ज्यादा 6.76% घटा।
0.67 वोट मार्जिन के साथ भाजपा को 27 सीटों का फायदा
असली की लड़ाई
शिवसेना बनाम शिवसेना: शिंदे की शिवसेना के 81 में से 57 प्रत्याशी जीते। उद्धव ठाकरे की शिवसेना के 95 में से सिर्फ 20 प्रत्याशी जीते हैं। उद्धव सेना ने 14 सीटों पर शिंदे सेना को हराया था।
एनसीपी बनाम एनसीपी: अजित पवार की एनसीपी 59 सीटों पर चुनाव लड़ी और इसमें 41 जीती। वहीं, उनके चाचा शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी 86 सीटें लड़कर सिर्फ 10 ही जीत पाई। एनसीपी अजित ने शरद की पार्टी को 29 सीटों पर सीधे लड़ाई में हराया है।
शरद-उद्धव की हार के मायने
1. उद्धव ठाकरे: जनता ने नकार दिया, हिंदुत्व की हुंकार कमजोर पड़ेगी
बालासाहेब ठाकरे के 64 वर्षीय बेटे उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने इस बार 95 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। लेकिन सिर्फ 20 पर सिमट गई है। वोट शेयर 10.10% रह गया है। इससे यह तय हो गया है कि महाराष्ट्र की जनता ने शिवसेना (शिंदे) को ही असली शिवसेना माना है और उद्धव ठाकरे की शिवसेना को नकार दिया है।
इसके मायने यह भी हैं कि हिंदुत्व की राजनीति पर बाल ठाकरे के परिवार की दावेदारी कमजोर होगी। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र की जनता ने 2019 में एनडीए से अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करना स्वीकार नहीं किया।
2. शरद पवार: अब तक 14 चुनाव लड़े, वोट शेयर गिरा, अब उठना मुश्किल
84 साल के शरद पवार ने प्रचार के बीच बारामती से कहा था, ‘भविष्य में चुनाव नहीं लड़ूंगा। 14 बार चुनाव लड़ चुका हूं। समाज के लिए काम करना चाहता हूं।’ ऐसा होता है तो यह उनका आखिरी चुनाव होगा। अगले लोकसभा व विधानसभा चुनाव 2028 में संभावित हैं।
ऐसे में 89 की उम्र में चुनावी मैदान संभालना मुश्किल होगा। शरद ने 1960 में कांग्रेस से करियर शुरू किया था। इस बार 86 प्रत्याशी खड़े किए, पर 10 ही जीते। यह पवार का सबसे खराब प्रदर्शन है। पार्टी का वोट शेयर घटकर 11.29% रह गया है। यह उनके 6 दशक लंबी सियासत का सबसे खराब चुनाव साबित होगा।
महिला विधायकों की संख्या घटी, पुरुषों की बढ़ी
चुनाव में 363 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं। सिर्फ 21 को जीत मिलीं, इनमें सबसे ज्यादा बीजेपी की 14 महिला उम्मीदवार हैं। 4 NCP (अजित), 3 शिव सेना ( शिंदे) और एक कांग्रेस से हैं। 2019 के मुकाबले इस बार जीती हुई महिलाओं की संख्या 23 से घटकर 21 रह गई। वहीं, पुरुष की संख्या 265 से बढ़कर 267 हो गई है।
भाजपा के काशीराम 1.45 लाख तो AIMIM कैंडिडेट 75 वोट से जीता
3 हजार करोड़ के मालिक पराग शाह भी चुनाव जीते
7 हॉट सीटें: आदित्य ठाकरे, अजित पवार जीते, पृथ्वीराज चव्हाण-नवाब मलिक हारे
देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और आदित्य ठाकरे कई दौर की मतगणना में पिछड़ते दिखे। हालांकि, बाद में इन्होंने जीत दर्ज की। पृथ्वीराज चव्हाण और नवाब मलिक जैसे दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की पूर्व नेता शायना एनसी चुनाव हार गईं, जो इस बार शिवसेना के टिकट पर चुनावी मैदान में थीं। संजय निरुपम दिंडोशी सीट से मैदान में थे। वे भी चुनाव हार गए।
3 दिन के अंदर नई सरकार का गठन करना जरूरी है…
महाराष्ट्र की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर तक ही है। ऐसे में अगले 3 दिन के अंदर ही सरकार का गठन जरूरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तो राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ेगा। भाजपा ने कहा है कि सीएम फेस पर रविवार शाम तक फैसला हो जाएगा। चूंकि, भाजपा को महाविजय मिली है, ऐसे में देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने की प्रबल संभावनाएं हैं।
फडणवीस दो बार महाराष्ट्र के सीएम रह चुके हैं। उनका पहला कार्यकाल 2014 में शुरू हुआ था, तब भाजपा ने 122 सीटें जीती थीं। उनका दूसरा कार्यकाल 2019 में कम समय के लिए रहा था, जब उन्होंने अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बनाई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह सरकार 3 दिन में ही गिर गई थी। इस बार फडणवीस ने अपने नेतृत्व में बड़ी जीत दिलाई है।
3 चेहरे, जो CM पद के दावेदार
महाराष्ट्र में एग्जिट पोल इस बार कितने सही
महाराष्ट्र में 11 एग्जिट पोल में से 6 में भाजपा गठबंधन यानी महायुति की सरकार बनने का अनुमान जताया था। बाकी 4 एग्जिट पोल्स में कांग्रेस गठबंधन यानी महाविकास अघाड़ी को बहुमत मिलने की बात कही गई थी। एक में हंग एसेंबली की बात सामने आई थी। हालांकि किसी भी एग्जिट पोल में महाविकास अघाडी को 200 प्लस सीटों का अनुमान नहीं जताया गया था।
158 दल चुनाव लड़े
शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में टूट के बाद कुल 158 दल चुनाव मैदान में थे। भाजपा ने 149, शिंदे गुट की शिवसेना ने 81 और अजित गुट की एनसीपी ने 59 सीटों पर चुनाव लड़ा। वहीं महाविकास अघाड़ी से कांग्रेस ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा। शिवसेना (यूबीटी) के 95 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई। एनसीपी शरद गुट के 86 कैंडिडेट मैदान में थे।