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सुप्रीम कोर्ट बोला-गड़बड़ी के बावजूद कैंडिडेट को बाहर नहीं किया:बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले पर कहा- दाल में कुछ काला है या सबकुछ काला है

बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने बंगाल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जब राज्य सरकार को सिलेक्शन में गड़बड़ी का पता चल चुका था, तो शिक्षकों की अतिरिक्त पद पर नियुक्ति क्यों की गई।

CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने बंगाल सरकार से पूछा-

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अतिरिक्त पद बनाने का उद्देश्य क्या था। गड़बड़ी का पता लगने के बावजूद आपने दागी उम्मीदवारों को बाहर क्यों नहीं किया। दाल में कुछ काला है या सब कुछ काला है।

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दरअसल, 2016 में पश्चिम बंगाल के स्कूल सेवा आयोग में शिक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 22 अप्रैल को राज्य सरकार और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द कर दी थी।

इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लगाई गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को हटाए गए शिक्षकों के खिलाफ CBI जांच से रोक लगा दी थी। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी।

कोर्ट रूम लाइव…

कलकत्ता हाईकोर्ट के खिलाफ लगी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार का पक्ष वकील राकेश द्ववेदी ने रखा। SSC की ओर से वकील जयदीप गुप्ता ने दलीलें दीं।

राकेश द्ववेदी: भर्ती घोटाले की जांच राज्य सरकार ने की थी। इसमें पाया गया था कि कुछ कैंडिडेट की ओएमआर शीट में मार्क्स बढ़ाए गए थे। लेकिन CBI ने 952 कैंडिडेट्स की OMR में गड़बड़ी की बात कही।
CJI: तो स्थिति से निपटने के लिए आपने कहा कि चलो ठीक है, गलत तरीके से नियुक्त किए गए लोगों को हटाने के बजाय अतिरिक्त पद बना देते हैं। द्विवेदी एक चीज बताइये। अगर आपको गड़बड़ी मिलेगी तो आप कैंडिडेट को बाहर नहीं करेंगे क्या ?
राकेश द्विवेदी: बंगाल सरकार का नियुक्ति का आदेश सिर्फ वेंटिंग लिस्ट के कैंडिडेट्स के लिए था।
CJI: सही कह रहे हैं आप। दागी कैंडिडेट्स को आप बाहर नहीं निकालना चाहते थे। क्या दागी उम्मीदवार और सही तरीके से एग्जाम देने वाले उम्मीदवारों को अलग-अलग नहीं किया जा सकता था?
जयदीप गुप्ता: हम भी कैंडिडेट्स को अलग-अलग करने के पक्ष में थे।
राकेश द्विवेदी: हम भी कैंडिडेट्स को अलग-अलग करने के पक्ष में थे, लेकिन हाईकोर्ट बहुत आगे ही चला गया। सभी कैंडिडेट्स के लिए एक जैसा फैसला सुना दिया।
CJI: यह भी आश्चर्य की बात है कि ओरिजिनल ओएमआर शीट क्यों उपलब्ध नहीं थी। यह प्राइमरी सबूत होता है। यदि रिजल्ट में कोई हेरफेर किया जाता है, तो OMR पर जरूर दिखेगा।
क्या है बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला?
पश्चिम बंगाल सरकार ने 2016 में स्टेट लेवल सेलेक्शन टेस्ट-2016 (SLCT) के जरिए सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की भर्ती की थी। तब 24,640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक लोगों ने भर्ती परीक्षा दी थी।

इस भर्ती में 5 से 15 लाख रुपए तक की घूस लेने का आरोप है। मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट को कई शिकायतें मिली थीं। भर्ती में अनियमितताओं के मामले में CBI ने राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी और SSC के कुछ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। अर्पिता पेशे से मॉडल थीं।

ED ने शिक्षक भर्ती घोटाले में पार्थ चटर्जी (पूर्व शिक्षा मंत्री) को 23 जुलाई 2022 को अरेस्ट किया था। इसके बाद उनकी करीबी मॉडल अर्पिता मुखर्जी के घर पर पड़े छापे में 49 करोड़ रुपए कैश और ज्वेलरी मिली थीं।
ED ने शिक्षक भर्ती घोटाले में पार्थ चटर्जी (पूर्व शिक्षा मंत्री) को 23 जुलाई 2022 को अरेस्ट किया था। इसके बाद उनकी करीबी मॉडल अर्पिता मुखर्जी के घर पर पड़े छापे में 49 करोड़ रुपए कैश और ज्वेलरी मिली थीं।
अर्पिता के घर से 49 करोड़ कैश और करोड़ों की ज्वेलरी मिली थी

ED ने 22 जुलाई, 2022 को पार्थ चटर्जी के ठिकानों समेत 14 जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान घोटाले में बंगाल की एक मॉडल अर्पिता मुखर्जी से जुड़ी जानकारी भी सामने आई। छापेमारी के दौरान अर्पिता मुखर्जी की प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले थे।

इसके बाद ED ने अर्पिता के घर पर छापा मारा। अर्पिता के फ्लैट से करीब 21 करोड़ रुपए कैश, 60 लाख की विदेशी करेंसी, 20 फोन और अन्य दस्तावेज मिले। 24 जुलाई को ED ने अर्पिता और पार्थ को गिरफ्तार कर लिया।

इसके बाद एक और छापेमारी में अर्पिता के घर से 27.9 करोड़ रुपए कैश मिला। इसमें 2000 रुपए और 500 रुपए के नोटों के बंडल थे। इसके अलावा 4.31 करोड़ रुपए का गोल्ड मिला। इसमें 1-1 किलो की 3 सोने की ईंटें, आधा-आधा किलो के 6 सोने के कंगन और अन्य ज्वेलरी शामिल हैं।

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