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मुंबई नाव हादसा-पैरेंट्स बच्चों को समुद्र में फेंकना चाहते थे:ताकि डूबने से पहले रेस्क्यू टीम उन्हें बचा ले; CISF कॉन्स्टेबल का खुलासा

मुंबई में 18 दिसंबर को हुए नाव हादसे में मौत का आंकड़ा 15 पहुंच गया। हादसे के चौथे दिन शनिवार को 7 साल के बच्चे का शव मिला। सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया है। गेटवे ऑफ इंडिया से एलीफेंटा जा रही पैसेंजर बोट और नेवी की स्पीड बोट टकराकर डूब गई थी। दोनों में कुल 113 लोग सवार थे, जिसमें 98 को बचाया गया था।

रेस्क्यू टीम में शामिल एक CISF कॉन्स्टेबल ने शनिवार को बताया कि बोट में सवार कुछ पैरेंट्स अपने बच्चों को समुद्र में फेंकना चाहते थे। उन्हें लग रहा था कि बोट डूब रही है, पानी में फेंकने से बच्चे शायद बच जाएं। उन्हें लग रहा था कि बच्चों को बचाने के लिए मदद जल्दी पहुंच जाएगी।

वहीं, एक कार्गो शिप के ड्राइवर ने बताया- मेरी बोट की कैपेसिटी 12 लोगों की थी, लेकिन मैंने अपने अनुभव पर भरोसा करते हुए 56 लोगों को बोट में चढ़ाया और उन्हें किनारे तक पहुंचाया। यह बहुत बड़ा एक्सीडेंट था। महिलाएं-बच्चे चिल्ला रहे थे। सभी बोट में चढ़ना चाहते थे। इन 56 लोगों में एक बच्चा बच नहीं सका।

यात्री बोट को नेवी की स्पीडबोट ने टक्कर मारी थी।
यात्री बोट को नेवी की स्पीडबोट ने टक्कर मारी थी।
5 पॉइंट्स में पूरा मामला…

18 दिसंबर को दोपहर करीब 3:30 बजे नेवी की स्पीड बोट पैसेंजर बोट से टकराई, जिसके बाद पैसेंजर बोट डूबने लगी। 90 यात्रियों की क्षमता वाली बोट में करीब 107 लोग सवार थे।
नेवी की बोट पर 6 लोग थे, जिनमें से सिर्फ 2 को बचाया जा सका। दोनों बोट पर कुल मिलाकर 113 लोग मौजूद थे। अब तक 14 लोगों की मौत हुई है।
बोट की टक्कर के बाद 25 मिनट बाद नेवी ने सवार लोगों का रेस्क्यू किया। रेस्क्यू ऑपरेशन तीसरे दिन भी जारी है। नेवी टक्कर के बाद से लापता हुए 7 साल के बच्चे की तलाश शुक्रवार को भी कर रही है।
कोलाबा पुलिस स्टेशन में नेवी के क्राफ्ट ड्राइवर पर केस दर्ज किया गया। FIR में लापरवाही से मौत, दूसरों की निजी सुरक्षा या जिंदगी खतरे में डालने, लापरवाही से नाव चलाने की धाराएं शामिल हैं।
हादसे के बाद गेटवे ऑफ इंडिया के आसपास बोटिंग के दौरान लाइफ जैकेट पहनना अनिवार्य कर दिया।
चश्मदीदों के 3 बयान, कहा- नेवी की बोट स्टंट कर रही थी

रिकॉर्ड कर लिया। नेवी बोट का ड्राइवर शोऑफ कर रहा था। जिगजैग पैटर्न में स्पीडबोट चला रहा था। हमारी बोट में किसी ने भी लाइफ जैकेट नहीं पहनी थी।
टूरिस्ट बोट के ड्राइवर ने बताया कि हम घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंंचे। पलटी हुई नाव पर सवार लोग मदद के लिए हाथ हिला रहे थे। हमने 16 लोगों को बचाया और उन्हें गेटवे ऑफ इंडिया तक सुरक्षित पहुंचाया। मैंने जीवन में कभी ऐसी घटना नहीं देखी।
रेस्क्यू में जुटे मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के आरिफ बामने ने कहा- जब हम रेस्क्यू के लिए पहुंचे तो देखा कि लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे। कुछ लोग रो रहे थे। हमने पहले महिलाओं और बच्चों को बचाया। मदद के लिए चिल्लाने वालों में तीन से चार विदेशी भी थे। हमने लगभग 20-25 लोगों को बचाया। एक छोटी बच्ची बेहोश थी। उसके फेफड़ों में पानी घुस चुका था। हमने उसके चेस्ट पर प्रेशर डाला, जिसके बाद उसने फिर से सांस लेना शुरू किया।

स्थानीय नाविकों ने भी लोगों के रेस्क्यू में मदद की।
नौसेना ने 11 बोट, 4 हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू किया
नौसेना, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT), तटरक्षक बल, यलोगेट पुलिस स्टेशन 3 और स्थानीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं की मदद से राहत और बचाव कार्य को अंजाम दिया गया। रेस्क्यू ऑपरेशन में नौसेना की 11 बोट, मरीन पुलिस की 3 बोट और कोस्ट गार्ड की 1 बोट लगी। 4 हेलिकॉप्टर भी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे। यात्रियों को गेटवे ऑफ इंडिया वापस लाया गया। जहां से उन्हें अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया।

मृतकों के परिवार को PM ₹2 लाख और CM ₹5 लाख देंगे
PM मोदी ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की। वहीं, महाराष्ट्र के CM देवेंद्र फडणवीस ने आश्वासन दिया कि सरकार प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता देगी। उन्होंने ने भी घोषणा की कि जान गंवाने वालों के परिवारों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 5 लाख रुपए की अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी।

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