केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को बायो-बिटुमेन (पराली से बना डामर) से बनी देश के पहली सड़क का उद्घाटन किया। यह नागपुर के मानसर में नेशनल हाईवे-44 का हिस्सा है।
इस दौरान गडकरी ने कहा कि इससे प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। वेस्ट को वैल्यू (पैसा) में बदला जा सकेगा। किसान अब ‘अन्नदाता’ और ‘ऊर्जादाता’ के साथ ही ‘बिटुमेनदाता’ भी बनेंगे। देश में बायो वेस्ट से CNG बनाने के 400 प्रोजेक्ट प्रोसेस में हैं। इनमें 40 पूरे हो चुके हैं, जिनमें पराली से CNG बनाई जा रही है।
इन प्रोजेक्ट्स में कुल 60 लाख टन पराली का उपयोग हुआ है। अब हम चावल के भूसे से भी CNG बना रहे हैं। CNG पेट्रोल से सस्ती है। इससे प्रदूषण भी कम होता है, साथ ही पैसे की बचत होती है। इससे किसानों को काफी फायदा होगा।
सड़क की 3 फोटो…
इस टेक्नोलॉजी से बिटुमेन (डामर) की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
इस सड़क को CSIR, CRRI, NHAI और प्राज इंडस्ट्रीज ने मिलकर तैयार किया है।
गडकरी ने कहा कि इससे प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी।
देश में डामर की कमी पूरी होगी, अभी 50% इंपोर्ट होता है
इस सड़क को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टिट्यूट (CRRI), नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और प्राज इंडस्ट्रीज ने मिलकर तैयार किया है। प्राज इंडस्ट्रीज ने ही लिन्गिन आधारित टेक्नोलॉजी से बायो-बिटुमेन तैयार किया है। लिन्गिन पौधों में पाया जाने वाला एक तरह का कॉम्प्लेक्स पॉलिमर (रेशा) है।
इस टेक्नोलॉजी से बिटुमेन (डामर) की कमी को पूरा किया जा सकता है। भारत अभी कुल आपूर्ति का 50% डामर इंपोर्ट करता है। इस इनोवेशन से बायो-रिफाइनरियों के रेवन्यू जेनरेशन, पराली जलाने की समस्या को कम करने और परंपरागत डामर की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 70% तक कम करने में मदद मिलेगी।