वोटिंग नियमों में बदलाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार ने चुनाव आयोग (ECI) की स्वतंत्रता पर हमला किया है।
रविवार सुबह X पर पोस्ट में उन्होंने कहा- पहले मोदी सरकार ने CJI को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल से हटा दिया था और अब वे चुनावी जानकारी को जनता से छिपाना चाह रहे हैं। यह सरकार की सोची-समझी साजिश है।
जब भी कांग्रेस ने इलेक्शन कमीशन को वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाने और EVM में ट्रांसपेरेंसी के बारे में लिखा, तो ECI ने अपमानजनक लहजे में जवाब दिया और हमारी शिकायतों को भी स्वीकार नहीं किया।
दरअसल, केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को पोलिंग स्टेशन के CCTV, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स को पब्लिक करने से रोकने के लिए चुनाव नियमों में बदलाव किया था।
अधिकारियों ने बताया कि AI के इस्तेमाल से पोलिंग स्टेशन के CCTV फुटेज से छेड़छाड़ करके फेक नैरेटिव फैलाया जा सकता है। बदलाव के बाद भी ये कैंडिडेट्स के लिए उपलब्ध रहेंगे। अन्य लोग इसे लेने के लिए कोर्ट जा सकते हैं।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले की वजह से बदला नियम
इसी साल जनवरी में चडीगढ़ मेयर इलेक्शन के दौरान चुनाव अधिकारी अनिल मसीह के बैलट पेपर से छेड़छाड़ करने के CCTV फुटेज सामने आए थे।
चुनाव आयोग (EC) की सिफारिश पर कानून मंत्रालय ने 20 दिसंबर को द कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल- 1961 के नियम 93(2)(A) में बदलाव किया है। नियम 93 कहता है- “चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज पब्लिकली उपलब्ध रहेंगे।” इसे बदलकर “चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेज ‘नियमानुसार’ पब्लिकली उपलब्ध रहेंगे” कर दिया गया है।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक केस में हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़े दस्तावेज याचिकाकर्ता से साझा करने का निर्देश दिया था। इसमें CCTV फुटेज को भी नियम 93(2) के तहत माना गया था। हालांकि चुनाव आयोग ने कहा था कि इस नियम में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड शामिल नहीं है। इस अस्पष्टता को दूर करने के लिए नियम में बदलाव किया गया है।
EC बोला- इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड पब्लिक करने का नियम नहीं
EC ने बताया कि नामांकन फॉर्म, चुनाव एजेंटों की नियुक्ति, चुनाव रिजल्ट और इलेक्शन अकाउंट स्टेटमेंट जैसे दस्तावेजों का उल्लेख कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल में किया गया है। आचार संहिता के दौरान उम्मीदवारों के CCTV फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज इसके दायरे में नहीं आते हैं।
EC के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि पोलिंग स्टेशन की CCTV कवरेज और वेबकास्टिंग कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल के तहत नहीं की जाती, बल्कि यह ट्रांसपेरेंसी के लिए होती है।
वहीं, आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां नियमों का हवाला देकर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मांगे गए। संशोधन यह सुनिश्चित करता है कि नियमों में बताए गए कागजात ही सार्वजनिक हों। अन्य दस्तावेज जिनका नियमों में जिक्र नहीं है, उसे पब्लिक करने की अनुमति न हो।
कांग्रेस बोली- जल्द ही कानूनी चुनौती देंगे
नियम में बदलाव के बाद शनिवार को कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा। कांग्रेस ने आयोग पर चुनावी प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा खत्म करने का और पारदर्शिता कमजोर करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पर लिखा- हाल के दिनों में भारत की चुनावी प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा में तेजी से गिरावट आई है। अब इसका स्पष्ट प्रमाण सामने आया है। चुनाव से जुड़ी सभी जानकारियां शेयर करने के पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश को मानने के बजाय आयोग नियमों में बदलाव कर रहा है।