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एयरफोर्स में फाइटर जेट्स और पायलटों की कमी:114 फाइटर जेट की डील पेंडिंग, तेजस की डिलीवरी 2028 तक; सरकार ने कमेटी बनाई

एयरफोर्स में फाइटर जेट्स और पायलटों की कमी:114 फाइटर जेट की डील पेंडिंग, तेजस की डिलीवरी 2028 तक; सरकार ने कमेटी बनाई

नई दिल्ली3 घंटे
इंडियन एयरफोर्स में एडवांस 4.5 जेनरेशन वाले फाइटर प्लेन की कमी से जूझ रहा है।
इंडियन एयरफोर्स (IAF) में फाइटर जेट्स और पायलटों की कमी है। सरकार के पास 114 फाइटर जेट खरीदने की डील पेंडिंग है। एयरफोर्स ने HAL को 83 तेजस मार्क-1A बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है, लेकिन अमेरिकी कंपनी की इंजन भेजने में देरी के कारण डिलीवरी 2028 तक हो पाएगी।

एयरफोर्स ने पिछले महीने दिल्ली में हुए वायुसेना कमांडरों के सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इसकी जानकारी दी थी। इन कमियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने डिफेंस सेक्रेटरी राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में हाई-लेवल कमेटी बनाई है। यह कमेटी जरूरतों को ध्यान में रखकर पुरानी और नए प्रोजेक्ट्स पर नजर रखेगी।

कमेटी में डिफेंस सेक्रेटरी (प्रोडक्शन) संजीव कुमार, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत और वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल टी. सिंह को शामिल किया गया है। कमेटी दो से तीन महीने में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

कैग की रिपोर्ट- IAF में पायलट की कमी
वहीं, कैग रिपोर्ट ने इंडियन एयरफोर्स में पायलटों की कमी के आंकड़ें बताए हैं। फरवरी 2015 में 486 पायलटों की कमी थी, जो 2021 के अंत तक 596 हो गई। 2016 से 2021 के बीच 222 ट्रेनी पायलटों को भर्ती करने का प्लान था, लेकिन वायुसेना टारगेट पूरा नहीं कर पाई।

HAL के पास तेजस का ऑर्डर
एयरफोर्स ने फरवरी 2021 में 46 हजार 898 करोड़ के सिंगल इंजन वाले 83 तेजस फाइटर जेट्स बनाने का काम हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को दिया है। लेकिन अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने इंजन नहीं भेजे जिससे HAL इनकी सप्लाई में देरी कर रही है। HAL, 2024-25 वित्तीय वर्ष में एयरफोर्स को 16 तेजस देने वाली थी लेकिन अब 2-3 जेट्स ही दे पाएगी। पूरी खबर पढ़ें…

4.5 जेनरेशन के जेट्स की कमी
इंडियन एयरफोर्स के पास 4.5 जेनरेशन के जेट्स की कमी है। इस जेनरेशन के 1.25 लाख करोड़ कीमत के 114 फाइटर जेट खरीदने का प्रोजेक्ट सरकार के पास पेंडिंग है। जिसमें से कुछ जेट विदेश से लिए जाएंगे और बाकी के लिए कमेटी देश में ही निर्माण का सुझाव दे सकती है। सरकार की इन जेट्स की तैनाती चीनी बॉर्डर पर करने की योजना है।

राफेल में लग सकती हैं तीन तरह की मिसाइलें
वायुसेना के पास फिलहाल 4.5 जेनरेशन वाले 36 राफेल जेट हैं। जिन्हें सरकार ने 2016 में फ्रांस से खरीदा था। राफेल को अपनी स्पीड, हथियार ले जाने की क्षमता और आक्रमण क्षमता की वजह से जाना जाता है। ये सिंगल और डुअल सीटर दोनों विकल्पों के साथ आता है।

भारत ने 28 सिंगल और 8 डुअल सीटर राफेल खरीदे हैं। राफेल की मारक रेंज 3,700 किलोमीटर है। इसमें तीन तरह की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। हवा से हवा में मार करने वाली मीटियॉर, हवा से जमीन पर मार करने वाली स्कैल्प और हैमर मिसाइल।

राफेल स्टार्ट होते ही महज एक सेकेंड में 300 मीटर ऊंचाई पर पहुंच सकता है। यानी एक ही मिनट में राफेल 18 हजार मीटर की ऊंचाई तक पहुंच जाता है। इसका रेट ऑफ क्लाइंब चीन-पाकिस्तान के पास मौजूद आधुनिक फाइटर प्लेन्स से भी बेहतर है।

चीन-पाकिस्तान से खतरा बढ़ा

पिछले कुछ महीनों में चाइनीज एयरफोर्स ने भारतीय वायुसीमा से जुड़े एयरबेसों होतान, काश्गर, गरगुंसा, शिगात्से, बांगडा, निंगची और होपिंग पर नए रनवे, शेल्टर, फ्यूल और आर्म्स स्टोरेज को बढ़ाया है। साथ ही फाइटर जेट्स, ड्रोन और बॉम्बर (बम गिराने वाले जेट्स) तैनात किए हैं।
चीन, पाकिस्तान एयरफोर्स को आर्म्स सप्लाई कर रहा है और बांग्लादेश को भी फाइटर जेट्स देने की तैयारी में है। चीन के पास एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल्स के हथियारों की संख्या भी भारत से ज्यादा है।
चीनी के पास जमीन से जमीन पर हमला करने वाली मिसाइल की रेंज भी इंडियन एयरफोर्स के पास मौजूद मिसाइल सिस्टम से कहीं ज़्यादा है।

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