Headlines

रामभद्राचार्य बोले- भागवत संघ के संचालक, हमारे नहीं:RSS प्रमुख बोले थे- लोगों को लगता है राममंदिर जैसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर नाराजगी जताई है। स्वामी रामभद्राचार्य ने न्यूज एजेंसी PTI के साथ बातचीत में कहा कि संघ प्रमुख का व्यक्तिगत बयान है। ये उन्होंने अच्छा नहीं कहा। संघ भी हिंदुत्व के आधार पर बना है। जहां-जहां मंदिर या मंदिर के अवशेष मिल रहे हैं, उन्हें हम लेंगे। जहां अवशेष नहीं हैं, वहां नहीं लेंगे।

वे (मोहन भागवत) संघ प्रमुख हैं, हम धर्माचार्य हैं। हमारा क्षेत्र अलग है, उनका अलग। वे संघ के सरसंघचालक हैं, हमारे नहीं। राम मंदिर पर बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण है।

रामभद्राचार्य ने कहा-

QuoteImage
एक यहूदी को कोई मार देता है तो इजराइल ऐसी की तैसी कर देता है। हजारों हिंदू मारे जा रहे हैं, सरकार कुछ कर नहीं रही है। सरकार को चाहिए कठोरता से बांग्लादेश से निपटे।

QuoteImage
भागवत ने कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं।

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी उठाए सवाल

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने मोहन भागवत के बयान पर आपत्ति जताई है।
वहीं, ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भी संघ प्रमुख मोहन भागवत की आलोचना की है। शंकराचार्य ने उन पर राजनीतिक सुविधा के अनुसार बयान देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा- जब सत्ता हासिल करनी थी, तब वे मंदिर-मंदिर करते थे। अब सत्ता मिल गई तो मंदिर नहीं ढूंढने की नसीहत दे रहे हैं।

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ये भी कहा- अगर हिंदू समाज अपने मंदिरों का पुनरुद्धार कर उन्हें पुनः संरक्षित करना चाहता है तो इसमें गलत क्या है। उन्होंने कहा कि अतीत में हिंदू समाज के साथ बहुत अत्याचार हुआ है और हिंदू धर्मस्थलों को तहस-नहस किया गया है। पूर्व में आक्रांताओं द्वारा कथित रूप से तोड़े गए मंदिरों की सूची बनाई जाए। उनका ASI सर्वेक्षण करवाकर हिंदू समाज के गौरव को दोबारा स्थापित किया जाना चाहिए।

धर्म पर धार्मिक गुरु फैसले लें- जितेंद्रानंद सरस्वती

अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने सोमवार को टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि जब धर्म का मुद्दा उठता है तो धार्मिक गुरुओं को फैसला लेना होता है और वे जो भी फैसला लेंगे, उसे संघ और विहिप स्वीकार करेंगे।

उन्होंने कहा कि भागवत की अतीत में इसी तरह की टिप्पणियों के बावजूद 56 नए स्थलों पर मंदिर संरचनाओं की पहचान की गई है, जो इन विवादों में जारी रुचि को रेखांकित करता है। धार्मिक संगठन अक्सर राजनीतिक एजेंडे की तुलना में जनता की भावनाओं के जवाब में काम करते हैं।

मोहन भागवत ने क्या कहा था
RSS चीफ मोहन भागवत ने संभल में मंदिर मस्जिद विवाद के बीच कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दों को उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है। भागवत ने नए मंदिर-मस्जिद विवादों के उभरने पर चिंता जाहिर की थी।

भागवत ने कहा था- राम मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया, क्योंकि यह सभी हिंदुओं की आस्था का विषय था। उन्होंने किसी विशेष स्थान का जिक्र किए बिना कहा, ‘हर दिन एक नया मामला (विवाद) उठाया जा रहा है। इसकी इजाजत कैसे दी जा सकती है? यह जारी नहीं रह सकता। भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Budget 2024