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संभल में हरि मंदिर के चारों तरफ 68 तीर्थ-19 कुएं:350 साल पहले लिखी किताब में जिक्र, प्रशासन इन्हीं मंदिरों को खोज रहा

ग्राउंड रिपोर्ट
संभल में हरि मंदिर के चारों तरफ 68 तीर्थ-19 कुएं:350 साल पहले लिखी किताब में जिक्र, प्रशासन इन्हीं मंदिरों को खोज रहा

संभल7 घंटे पहलेलेखक: सचिन गुप्ता

संभल में विवाद सिर्फ जामा मस्जिद को लेकर था। अब प्राचीन कल्कि मंदिर से लेकर 68 तीर्थ और 19 कुओं (कूप) का सर्वे भी शुरू हो गया। इसे लेकर लोगों के मन में दो बड़े सवाल हैं। सर्वे क्यों हो रहा है? सर्वे के बाद क्या होगा?

दरअसल, संभल का जिला प्रशासन चाहता है कि तीर्थ और कुएं फिर से अपने अस्तित्व में आएं। कुओं के जरिए वाटर हार्वेस्टिंग हो और भूजल रीचार्ज हो। उत्तर प्रदेश का राज्य पुरातत्व विभाग (State Archaeological Directorate) इन सभी जगहों की कार्बन डेटिंग भी कर रहा है, ताकि पता चल सके कि ये कुएं और मूर्तियां कितने पुराने हैं।

राज्य पुरातत्व विभाग ने पिछले 4 दिन में संभल में मौजूद 19 कुओं को ढूंढ निकाला है, जबकि 68 तीर्थों को ढूंढने का काम जारी है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

टीम ने कई जगह सर्वे किया है। इस दौरान कई पुराने कुएं मिले हैं।
संभल तीर्थ परिक्रमा किताब में लिखा- हरि मंदिर के चारों तरफ दो-दो कोस में हैं तीर्थ
कुओं और तीर्थों के बारे में जानने के लिए सबसे पहले हमें फ्लैश बैक में जाना होगा। साल-1667 में ओंकार शरण ‘कमल’ ने संभल तीर्थ परिक्रमा किताब लिखी। मुरादाबाद की प्रतिभा प्रेस ने इसका प्रकाशन किया।

इस किताब में लिखा है- संभल भागीरथी, गंगा और रामगंगा के बीच में स्थित है। ये तीन योजन यानी 12 कोस के प्रभाग में बसा हुआ है। संभल त्रिकोण में बसा हुआ है। इसके तीनों कोण पर दक्षिण में प्रथम शंभलेश्वर महादेव, पूर्व दिशा में चंद्रेश्वर महादेव और पश्चिम दिशा में भुवनेश्वर महादेव का लिंग स्थित है।

संभल तीर्थ परिक्रमा किताब में कई मंदिरों का जिक्र है।
अर्क (सूर्य) कुंड के उत्तर में श्री कल्कि भगवान का अवतार होगा। यहां प्राचीन हरि मंदिर है। मंदिर के चारों तरफ दो-दो कोस के अंतर्गत संभल के सभी तीर्थ हैं। यहां 68 तीर्थ और 19 कुएं हैं।

इस तीर्थ का सर्वे भी किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि कलयुग में भगवान विष्णु यहां अवतार लेंगे।
साल 1876 में लिखा गया कि हरि मंदिर का पूरा विवरण ‘संभल का इतिहास’ नाम से पुरातत्व विभाग के पहले अधिकारी मेजर जनरल ए कनिंघम के कलकत्ता कार्यालय में मौजूद है।

संभल में तीन महादेव शिवलिंगों संभलेश्वर, चंद्रेश्वर, भुवनेश्वर की मान्यता है।
संभल की जामा मस्जिद को मंदिर बताते हुए कोर्ट में जो याचिका दायर हुई है, उसमें हिंदू पक्ष ने एक नक्शा लगाया है। इस नक्शे में उन्होंने संभल में 68 तीर्थ और 19 कुंओं का जिक्र किया है। कई और पुरानी किताबों में भी इन तीर्थ और कुंओं का जिक्र मिलता है।

संभल तीर्थ परिक्रमा किताब में ये भी लिखा है कि यहां मौजूद तीर्थ और कुओं की धार्मिक मान्यताएं क्या हैं।

अब जानिए किस तीर्थ/कुंड की क्या मान्यता?

अर्क तीर्थ (सूर्यकुंड) : अनूपशहर रोड पर बरेली सराय में अर्क तीर्थ है। यहां नियमपूर्वक स्नान से कुष्ठ रोगी ठीक हो जाते हैं। कुंड के मध्य एक बड़ा कुआं है। इसमें नृपराज ययाति और वैश्य शालूक का वृतांत है।

हंस तीर्थ : यहां स्नान करने से छोटी जाति का मनुष्य भी उच्च पद प्राप्त करता है। यह सूर्य कुंड तीर्थ से पूर्व में 63 धनुष पर मोहल्ला आलम सराय कच्चा में है।

कृष्णा तीर्थ : इसमें स्नान करने से चेचक जैसे रोग नष्ट होते हैं। ये हंस तीर्थ से 30 धनुष दूरी पर मोहल्ला बेगम सराय में है।

सर सन्नि हत्या तीर्थ : इस तीर्थ को पुस्कररगी तीर्थ भी कहते हैं। पुस्कररगी में स्नान से पाप खत्म हो जाते हैं।

सर्वे टीम कई पुराने नक्शे के आधार पर काम कर रही है।
कुरुक्षेत्र तीर्थ : महाभारत में वन पर्व की तीर्थ यात्रा के अंतर्गत इसका वर्णन है। इस तीर्थ में स्नान, जप, तप, यज्ञ करने से मनुष्य उच्च कोटि गुण का हो जाता है।

विष्गोपादोदक तीर्थ : विष्णु और सूर्य का महातम्य विष्गोपादोदक तीर्थ पर श्रवण करने से सात जन्म पर्यंत पाप नष्ट होते हैं। यहां पितरों का तर्पण किया जाता है। यहां कार्तिक कृष्णा द्वादशी को स्नान करने का विशेष महत्व है। इसमें भगवान विष्णु ने अपने चरण धोए थे।

श्वेत द्वीप तीर्थ : यहां स्नान से मन की कामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां ज्ञान केशव भगवान वास करते हैं। मनुष्य इस तीर्थ में स्नान करने से अज्ञानी नहीं रहता।

ताक्ष्य केशव तीर्थ : गरुड़जी ने यहां निवास किया। ताक्ष्य केशव तीर्थ में स्नान करने से कृष्ण भगवान प्रसन्न होते हैं। भक्ति में ध्यान लगता है।

लाडम सराय के जंगल में प्राचीन इमारत से ये पत्थर मिला है, जिस पर मूर्तियां उकेरी गई हैं।
इन तीर्थ/कुंओं की भी अलग-अलग मान्यता
इनके अलावा शंख माधव तीर्थ, लोलार्क तीर्थ, दशासमेघ तीर्थ, पिशाच मोहन तीर्थ, चतुर्मुख कूप, नैमिषारण्य तीर्थ, विजय तीर्थ, उर्द्धरैना तीर्थ, एकांती तीर्थ, श्रवंती तीर्थ, चंद्र तीर्थ, पाप क्षय तीर्थ, चतु:सागर तीर्थ, पंचाग्नि कूप, अशोक कूप, यमतीर्थ, महिष्मती तीर्थ, पाप मोचन तीर्थ, कालोदक तीर्थ, सोम तीर्थ, गौ तीर्थ, श्रंगारक तीर्थ, चक्र सुदर्शन तीर्थ की भी अपनी-अपनी मान्यताएं इस किताब में लिखी हुई हैं।

खग्गू सराय में 46 साल बाद खुलवाए मंदिर से दिखा सर्वे का रास्ता
संभल में पुराने कुएं और तीर्थस्थल खोजे जाने की शुरुआत 14 दिसंबर से हुई। दरअसल, जिला प्रशासन ने उस दिन संभल के खग्गू सराय मोहल्ले में अतिक्रमण के खिलाफ एक अभियान चलाया। इस दौरान कुछ लोगों ने अफसरों को बताया कि यहां 46 साल से एक मंदिर बंद पड़ा है। उस पर भी कब्जा हो रहा है।

पुलिस-प्रशासन ने तत्काल कब्जा हटवाते हुए 46 साल बाद मंदिर खुलवाया। मंदिर के पास ही एक प्राचीन कुआं मिला। जब इसकी खुदाई कराई गई तो ये काफी गहरा मिला। यहां से कुछ प्राचीन मूर्तियां भी मिलीं।

संभल में 46 साल से बंद पड़ा मंदिर मिला था। प्रशासन ने इसकी साफ-सफाई कराई। अब यहां नियमित पूजा हो रही है।
15 दिसंबर को संभल के DM राजेंद्र पेंसिया ने राज्य पुरातत्व विभाग को एक चिट्ठी लिखी और संभल के स्मारकों का सर्वे कराने की मांग की।

डीएम के लेटर पर उप्र राज्य पुरातत्व विभाग की निदेशक रेणु द्विवेदी ने 17 दिसंबर को सर्वे के लिए चार अफसर नियुक्त कर दिए। इसमें उत्खनन एवं अन्वेषण अधिकारी (excavation and exploration officer) राम विनय, सहायक पुरातत्व अधिकारी डॉ. कृष्ण मोहन दुबे, सर्वेक्षक अनिल कुमार सिंह और कर्मचारी हिमांशु सिंह शामिल हैं।

पुरातत्व विभाग की टीम 18 दिसंबर को संभल पहुंच गई। तब से ही संभल के प्राचीन कूप और तीर्थों का सर्वे कार्य जारी है। पुराणों में जिस कल्कि मंदिर का जिक्र है, वहां पर भी ये टीम 20 दिसंबर को गई थी। ऐसा कहा जाता है कि कलयुग में भगवान विष्णु ही कल्कि भगवान के रूप में यहां पर अवतार लेंगे।

कई प्राचीन तीर्थ की हालत इस तरह हो गई है। उन पर कब्जा हो गया है।
पुरातत्व टीम सर्वे कार्य के साथ इन सभी स्थानों की कार्बन डेटिंग भी कर रही है, ताकि उनकी उम्र पता की जा सके। इसके बाद ये पता चल सकेगा कि प्राचीन पुस्तकों में संभल में जिन 68 तीर्थ और 19 कुंओं का जिक्र होता है, वो वास्तव में कितने पुराने हैं।

संभल शहर के मोहल्ला हल्लू सराय निवासी 68 वर्षीय ठाकुर केदार सिंह बताते हैं- मैंने इस शहर में कई प्राचीन कुएं मंदिरों के पास देखे हैं, जो अब अतिक्रमण कर ढक दिए गए हैं।

SP बोले- अब लोग खुद आकर बता रहे कि कहां दबे हैं कुएं
संभल के SP कृष्ण कुमार बिश्नोई बताते हैं- प्राचीन समय में ये कुएं भूजल रीचार्ज का स्रोत होते थे। स्थानीय लोगों ने उन्हें बताया था कि बीते करीब 30 साल से अतिक्रमण या कब्जा करके इन कुंओं को बंद कर दिया गया। अब राज्य पुरातत्व विभाग ने प्राचीन तीर्थस्थलों और कुओं को खोजने का सर्वे शुरू किया है तो लोग खुद आकर पुलिस-प्रशासन को बता रहे हैं कि प्राचीन कुएं कहां-कहां दबे हुए हैं।

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