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कनाडा के PM ट्रूडो इस्तीफा दिया:उत्तराधिकारी मिलने तक पद पर रहेंगे; पार्टी के सांसदों की तरफ से पद छोड़ने का था दबाव

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कनाडा के PM ट्रूडो इस्तीफा दिया:उत्तराधिकारी मिलने तक पद पर रहेंगे; पार्टी के सांसदों की तरफ से पद छोड़ने का था दबाव

ओटावा3 मिनट पहले

PM ट्रूडो ने जनता को संबोधित करते हुए पद से इस्तीफा दे दिया।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आज पार्टी नेता और प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने देश को संबोधित करने के दौरान इसका ऐलान किया। रिपोर्ट के मुताबिक PM ट्रूडो प्रधानमंत्री के पद पर तब तक पद पर बने रहेंगे जब तक उनका उत्तराधिकारी चुन नहीं लिया जाता।

ट्रूडो पर उनकी लिबरल पार्टी के सांसदों की तरफ से कई महीनों से पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा था। 16 दिसंबर को वित्त मंत्री के पद छोड़ने के बाद उन पद छोड़ने का और ज्यादा दबाव बढ़ गया था। इस वजह से ट्रूडो अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। कनाडा में इसी साल संसदीय चुनाव होने हैं, ट्रूडो के इस्तीफा देने के बाद अब तय समय से पहले चुनाव की मांग हो सकती है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को लिबरल पार्टी की नेशनल कॉकस की बैठक होने जा रही है। माना जा रहा है कि इस बैठक में ट्रूडो को विद्रोह का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि ट्रूडो इस बैठक से पहले इस्तीफा सौंप दिया।

क्रिस्टिया फ्रीलैंड ट्रूडो की सबसे प्रभावशाली और वफादार मंत्री मानी जाती रही हैं। उन्होंने पिछले महीने इस्तीफा दे दिया था।
पार्टी के कई सांसदों ने ट्रूडो के खिलाफ विद्रोह किया
ट्रूडो की पार्टी के 24 से सांसदों ने अक्टूबर में उनसे सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा देने की मांग की थी। इसके अलावा पर्सनल मीटिंग में भी कई लोग उनसे पद छोड़ने की मांग कर चुके हैं।

पिछले महीने कनाडा की डिप्टी PM और वित्तमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव और ज्यादा बढ़ गया है। क्रिस्टिया का कहना था कि ट्रूडो ने उनसे वित्तमंत्री का पद छोड़ दूसरे मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा था।

फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद से ट्रूडो, मीडिया ब्रीफिंग या फिर किसी सार्वजनिक कार्यक्रम से बाहर हो गए हैं और ज्यादातर वक्त अपने रिसॉर्ट में बिता रहे हैं।

ट्रूडो के पास बहुमत नहीं
अभी कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी के 153 सांसद हैं। कनाडा के हाउस में कॉमन्स में 338 सीटें है। इसमें बहुमत का आंकड़ा 170 है। पिछले साल ट्रूडो सरकार की सहयोगी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) ने अपने 25 सांसदों का समर्थन वापस ले लिया था। NDP खालिस्तानी समर्थक कनाडाई सिख सांसद जगमीत सिंह की पार्टी है।

गठबंधन टूटने की वजह से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था। ट्रूडो की विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी के पास 120 सीटें हैं।

हालांकि न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने PM ट्रूडो के खिलाफ फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। जगमीत सिंह ने पिछले महीने कहा था कि वह अगले महीने अल्पमत वाली लिबरल सरकार को गिराने के लिए कदम उठाएंगे ताकि देश में फिर से चुनाव हो सकें। कनाडा में 27 जनवरी से संसदीय कार्यवाही शुरू होगी।

ट्रूडो कनाडाई सिख सांसद जगमीत सिंह की पार्टी के समर्थन से सरकार चला रहे थे, लेकिन पिछले साल जगमीत सिंह उनसे समर्थन वापस ले लिया था।
ट्रूडो के खिलाफ क्यों है नाराजगी

कनाडा के लोगों में लगातार बढ़ती मंहगाई के वजह से ट्रूडो के खिलाफ नाराजगी है। इसके अलावा पिछले कुछ समय से कनाडा में कट्टरपंथी ताकतों के पनपने, अप्रवासियों की बढ़ती संख्या और कोविड-19 के बाद बने हालातों के चलते ट्रूडो को राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

पिछले साल अक्टूबर में हुए इप्सोस के एक सर्वे में सिर्फ 28% कनाडाई लोगों का ही कहना था कि ट्रूडो को फिर से चुनाव लड़ना चाहिए। वहीं एंगस रीड इंस्टीट्यूट के मुताबिक ट्रूडो की अप्रूवल रेटिंग गिरकर 30% पर आ गई है। दूसरी तरफ उन्हें नापसंद करने वालों की संख्या 65% तक पहुंच गई है।

देश में हुए कई सर्वे के मुताबिक अगर कनाडा में चुनाव होते हैं तो कंजर्वेटिव पार्टी को बहुमत मिल सकता है, क्योंकि जनता बढ़ती महंगाई से परेशान है।

कनाडा में इसी साल होने हैं चुनाव
कनाडा में 2025 में प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव होने हैं। ये चुनाव अक्टूबर से पहले कराए जाएंगे। प्रधानमंत्री ट्रूडो ने कहा कि वह अगला चुनाव लड़ने के लिए लिबरल पार्टी का नेतृत्व करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, पार्टी के कई नेता ट्रूडो को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पसंद नहीं कर रहे हैं।

ट्रूडो चौथी बार प्रधानमंत्री पद की दावेदारी कर रहे हैं। कनाडा में पिछले 100 सालों में कोई भी प्रधानमंत्री लगातार 4 बार चुनाव जीतकर नहीं आया है। ट्रूडो की लिबरल पार्टी के पास संसद में अकेले के दम पर बहुमत नहीं है।

पूर्व प्रधानमंत्री पियर ट्रूडो के बड़े बेटे जस्टिन ट्रूडो 2013 में लिबरल पार्टी के मुखिया बने थे। इसके बाद उन्होंने 2015 में पहली बार में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने अपनी पहचान उदारवादी नेता के तौर बनाने में कामयाबी हासिल की थी।

लिबरल पार्टी में ट्रूडो की जगह ले सकती है मेलानी जोली
अगर ट्रूडो इस्तीफा देते हैं तो लिबरल पार्टी की मुख्य चुनौती मास अपील वाला नेता ढूंढना होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लिबरल पार्टी में विदेश मंत्री मेलानी जोली ​​​​​​, डोमिनिक लेब्लांक, मार्क कानी जैसे कई नाम हैं जो ट्रूडो की जगह ले सकते हैं।

लिबरल पार्टी में शीर्ष नेता को चुनने के लिए विशेष सम्मेलन बुलाया जाता है। इस प्रक्रिया में कई महीने लग जाते हैं। यदि लिबरल पार्टी में कोई स्थानीय नेता न हो और देश में चुनाव कराए गए तो इससे उन्हें नुकसान हो सकता है।

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