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गणतंत्र दिवस पर 40 साल बाद बग्घी में राष्ट्रपति:फ्रेंच प्रेसिडेंट इमैनुएल मैक्रों भी साथ बैठे

75वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पारंपरिक बग्घी में बैठकर राष्ट्रपति भवन से कर्तव्य पथ पर पहुंची। 40 साल बाद कोई राष्ट्रपति इस बग्घी में बैठा है। चीफ गेस्ट फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी इस बग्घी में सवार थे। यह बग्घी पाकिस्तान से टॉस जीतकर भारत को मिली थी।

1950 में पहले गणतंत्र दिवस पर इस बग्घी का इस्तेमाल किया गया था। तब देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद इस बग्घी में बैठे थे। 1984 तक यह परंपरा जारी रही। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इस बग्घी की जगह हाई सिक्योरिटी वाली कार ने ले लिया।

भारत के पहले गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बग्घी की सवारी की थी।

ब्रिटिश राज के दौरान वायसराय की थी बग्घी
सोने की परत चढ़ी, घोड़ों से खींची जाने वाली ये छोटी गाड़ी, यानी बग्घी मूल रूप से भारत में ब्रिटिश राज के दौरान वायसराय की थी। 1947 में आजादी के बाद गवर्नर जनरल के बॉडीगार्ड, जिन्हें अब राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड के रूप में जाना जाता है, को 2:1 के अनुपात में भारत-पाकिस्तान के बीच बांट दिया गया। जब वायसराय की बग्घी की बारी आई तो दोनों देश इस पर अपना दावा ठोकने लगे।

आखिरकार इसका फैसला टॉस से हुआ। राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड रेजिमेंट के पहले कमांडेंट लेफ्टिनेंट कर्नल ठाकुर गोविंद सिंह और पाकिस्तानी सेना के साहबजादा याकूब खान के बीच बग्घी को लेकर टॉस हुआ। इसमें जीत भारत की हुई और इस तरह ये बग्घी भारत को मिल गई।

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