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मोदी सरकार की वो 5 नीतियां जिसने दुनियाभर में भारत की विराट तस्वीर गढ़ी

ग्लोबल समिट में सोमवार को पीएम मोदी ने कहा, हम राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति पर काम करने वाली सरकार हैं. यानी जो कुछ करते हैं, वह देश की भलाई के लिए होती है. इससे देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा है तो पूरी दुनिया में इसकी विराट तस्वीर सामने आई है. यह दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. यह सब संभव हुआ है सरकार की नीतियों के कारण. उन्होंने कहा, पूरी दूनिया भारत की तरक्की से हैरान है. दुनियाभर में भारत की विश्वसनीयता बढ़ी है. आइए जान लेते हैं मोदी सरकार की वो पांच नीतियां, जिनके कारण भारत की ख्याति दुनियाभर में बढ़ी है.

1- विदेश नीति पर अडिग मोदी सरकार
दरअसल, साल 2014 में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो इसके अगले ही साल यानी 2015 में बेंगलुरु में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भारत की विदेश नीति से संबंधित एक अहम प्रस्ताव पास किया गया था. इसमें पांच सूत्र सम्मान, संवाद, समृद्धि, सुरक्षा और संस्कृति-सभ्यता को शामिल किया गया था. इन्हीं सूत्रों के आधार पर मोदी सरकार ने विदेश नीति को आगे बढ़ाया. आज जब अमेरिका जैसे दुनिया के दादा बनने वाले देश विकासशील देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बाज नहीं आते, ऐसे में भारत ने साफ किया कि अपने आंतरिक और विदेश मामलों में अब उसे किसी का दखल मंजूर नहीं है.
अपनी विदेश नीति और कूटनीति पर आगे बढ़ते हुए भारत ने कई मौकों पर विदेशों में फंसे अपने देश के लोगों को बचाया और स्वदेश वापस लाई तो कतर में फांसी के फंदे तक पहुंच चुके आठ पूर्व नौसैनिकों को बचा लाई. भारत अब भी नेबरहुड फर्स्ट यानी पड़ोसी पहले की नीति पर चलते हुए अपने पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित कर रही है. पाकिस्तान और चीन जैसे देशों को छोड़ दें तो नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों में निवेश और मदद के जरिए भारत अच्छे संबंध बना रहा है. इसके लिए भारत इन देशों की उस चिंता का भी ख्याल रखता है, जिससे यह न लगे कि भारत उन पर दबाव बना रहा है. भारत बड़े भाई की भूमिका के बजाय इन देशों के साथ सहयोगी की भूमिका में दिखाई दे रहा है.
विदेशों से जुड़े अपने फैसले भारत अब अलग तरह से ले रहा है. अफगानिस्तान में तालिबान आया तो उसे मान्यता नहीं दी पर मानवीय आधार पर वहां के लोगों की मदद की. रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने एक और बात स्पष्ट की कि भारत अब साझेदारी की नीति पर अमल करेगा. इसके लिए वह किसी से गठबंधन नहीं करेगा. अमेरिका और यूरोप के साथ बढ़ रही साझेदारी का भारत पर दबाव था फिर भी उसने रूस से दूरी नहीं बनाई और उससे सस्ता कच्चा तेल आयात किया.

2- देश की भलाई के लिए सख्त फैसले लेने से गुरेज नहीं
मोदी सरकार अब सख्त फैसले लेने से गुरेज नहीं करती है. राष्ट्र पहले नीति पर चलते हुए इसी दिशा में सरकार का बड़ा कदम था तीन तलाक को आपराधिक कृत्य घोषित करना. पूर्ण बहुमत की सरकार ने संसद में तीन तलाक बिल पास करवाया, जिससे मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली. इसी कड़ी में मोदी ने एक और बड़ा कदम उठाया और वह था जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त करना. इस अनुच्छेद के जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार मिले हुए थे और देश की संसद भी रक्षा, विदेश और संचार मामलों को छोड़कर इस राज्य के लिए कोई कानून नहीं बना सकती थी. सरकार ने अपनी यथास्थिति को बनाए रखने की नीति में बदलाव करते हुए जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा ही खत्म कर दिया और उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया. इसी के एक हिस्से यानी लद्दाख को भी एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया.

3- आर्थिक नीति में बदलाव कर लिए कड़े फैसले
भारत की अर्थव्यवस्था आज दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन चुकी है तो इसके पीछे केंद्र सरकार की आर्थिक नीति में बदलाव है. मोदी सरकार ने काले धन पर लगाम कसने के लिए 2016 में नोटबंदी की घोषणा की थी. इसके जरिए तब चलन में रहे 500 और 1000 रुपए के नोटों को अवैध घोषित कर दिया गया. इसी साल रेल बजट को आम बजट में समाहित कर दिया गया. एक देश एक टैक्स की नीति पर चलते हुए अगले ही साल यानी 2017 में मोदी सरकार ने जीएसटी लागू कर दिया, जिससे देश के हर हिस्से में हर आदमी को एक जैसा टैक्स देना पड़े. सरकार ने गरीबी हटाने के लिए जनधन योजना शुरू की. किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसान सम्मान निधि शुरू की गई, जिसमें किसानों को साल भर में छह हजार रुपये सीधे खाते में दिए जाते हैं. हर घर शौचालय, स्वच्छ भारत अभियान और आयुष्मान भारत आदि ऐसी योजनाएं हैं, जिनके जरिए भारत ने अपने लोगों के जीवन स्तर में सुधार की पहल की है. पीएम गरीब कल्याण योजना, हर घर जल योजना, पीएम आवास योजना, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी और नमामि गंगे जैसी योजनाओं से यह साफ होता है कि भारत अब अपने लोगों की तरक्की के लिए हर दिशा में आगे बढ़ रहा है. पूर्वोत्तर के राज्यों में ढांचागत संसाधन बढ़ाने की दिशा में भी सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है. इसी का एक उदाहरण है सिक्किम में रेलवे लाइन बिछाने की शुरुआत करना.

4- अपनी रक्षा तो करेंगे ही, घर में घुसकर मारेंगे
भारत अब केवल अपनी रक्षा की नीति पर ही नहीं चल रहा, साथ ही खुद को नुकसान पहुंचाने वालों को सबक भी सिखा रहा है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक करना. उरी में सेना के शिविर पर आतंकवादी हमले में 18 जवान शहीद हुए तो पूरा देश गुस्से में था. इस पर भारत ने अपने जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तो उपाय किए ही, सितंबर 2016 में पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादियों के उन शिविरों को नष्ट कर दिया, जहां से भारत में आतंकवादी भेजे जाते थे. इससे पूरी दुनिया को यह संदेश गया कि सहयोग और समर्थन के साथ ही भारत अब कड़ाई और दंड की नीति पर भी अमल करना सीख गया है.

5- आत्मनिर्भर भारत की नीति
एक वक्त था, जब अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को विदेशों की ओर ताकना पड़ता था. खाने के लिए गेहूं से लेकर दवाओं और रक्षा के उपकरणों तक के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर था. हालांकि, समय के साथ-साथ भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा था. इसी बीच, साल 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने बाकायदा आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू कर दिया. यह अभियान ऐसे दौर में शुरू किया गया था, जब पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी की चपेट में थी. तब भारत ने अपनी जीडीपी का करीब 10 फीसदी हिस्सा यानी लगभग 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज केवल कोविड-19 से लड़ने के लिए दे दिया था. इसी का परिणाम रहा कि संकटकाल में भारत ने अपने लिए तो संसाधन तैयार किए ही, दुनिया के कई देशों को पीपीई किट से लेकर चिकित्सा के तमाम उपकरण और दवाइयां भेजकर मदद की. अमेरिका तक ने भारत से पैरासिटामॉल जैसी दवा ली. फिर भारतीय वैज्ञानिकों ने इतिहास रचते हुए स्वदेशी कोविड वैक्सीन भी बना ली. इसके बाद आत्मनिर्भर भारत अभियान में अर्थव्यवस्था, ढांचागत संसाधन, सिस्टम और मांग जैसे कई और पहलुओं को जोड़ा गया. देश में सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की पहल हुई. आसान और स्पष्ट कानून बनाए गए. कौशल विकास पर ध्यान देकर कुशल मानव संसाधन तैयार किए गए. आर्थिक प्रणाली को मजबूती दी गई. इसका नतीजा है कि आज भारत रक्षा जैसे क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है.

डिफेंस कॉरिडोर इसी का एक उदाहरण है. ब्रह्मोस जैसी मिसाइल अब भारत खुद बनाने जा रहा है तो दूसरों को अपनी मिसाइल प्रणाली निर्यात भी कर रहा है. दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियां अब भारत में अपने उत्पाद तैयार करना चाहती हैं और एप्पल जैसी कंपनी यहां उत्पादन कर रही है. वंदे भारत जैसी सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाकर रेलवे यातायात को भी भारत अब तेजी से मजबूत बना रहा है तो सीमांत कश्मीर तक ट्रेन पहुंचाने के लिए सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बना चुका है.

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