“मैं जब आगरा में पोस्टेड था, तो यह इलाका डाकुओं की दहशत में जीता था। चारों तरफ चंबल और बीहड़ से डाकू आगरा शहर में घुस जाते थे, लूटपाट और अपहरण कर मोटी फिरौती मांगते थे। ताज महल के लिए फेमस इस शहर में उन दिनों जंगा और फूला गैंग बहुत चर्चित हुआ करते थे।
किसी भी सेठ को उठवा लेना, बदला लेने के लिए हत्या कर देना। ये सब आम हो चला था। एक दिन मैं अपने ऑफिस में बैठा था। तभी सूचना मिली की शहर के एक स्कूल की पूरी क्लास का अपहरण कर लिया गया है। मुझे सुनकर बड़ा अजीब लगा। पता किया, तो पूरी क्लास के 35 बच्चों को डाकुओं ने उठा लिया था और एक रोडवेज बस में भरकर उन्हें चंबल की ओर ले गए थे…। इस वारदात के दौरान एक दरोगा की हत्या की गई, जिसने पूरे पुलिस महकमे को हिला दिया।
मेरे रोंगटे खड़े हो गए और यहीं से शुरू हुआ डाकुओं के खिलाफ मेरा मिशन। “ऑपरेशन चंबल घाटी” में डाकुओं का सफाया करते-करते मुझे एसटीएफ बनाने का मौका मिला। इसके साथ ही दिल्ली में रहते हुए आतंकी हमले की भी जांच की।” ये जुबानी है IPS अजय राज शर्मा की।
खाकी वर्दी की छठी कड़ी में आज कहानी IPS अजय राज शर्मा की। वो IPS जिसने डाकुओं का सफाया तो किया ही, STF में रहकर श्रीप्रकाश शुक्ला को ठिकाने लगाया और इंटरनेशनल क्रिकेट में फिक्सिंग का भी खुलासा किया। यूपी में डाकुओं के एनकाउंटर की शुरुआत इन्हीं के कार्यकाल से मानी जाती है। इस कहानी को आप 4 चैप्टर में पढ़ेंगे।