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ED के समन के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे केजरीवाल:आज सुनवाई; शराब नीति और जल बोर्ड घोटाले में जांच एजेंसी ने अब तक 9 समन भेजा

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने खिलाफ एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) के सभी समन को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उनकी याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार 20 मार्च को सुनवाई होगी।

ED केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति केस में अब तक 9 और दिल्ली जल बोर्ड के टेंडर केस में एक समन भेज चुकी है। दोनों मामलों में उन्हें आखिरी बार 17 मार्च को एक साथ समन भेजा गया था।जल बोर्ड केस में उन्हें 18 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वे नहीं गए।

शराब नीति केस में उन्हें गुरुवार (21 मार्च) को पेश होने के लिए कहा गया है। इससे पहले उन्हें इस साल 27 फरवरी, 26 फरवरी, 22 फरवरी, 2 फरवरी, 17 जनवरी, 3 जनवरी और 2023 में 21 दिसंबर और 2 नवंबर को समन भेज गया था। हालांकि, वे एक बार भी पूछताछ के लिए नहीं गए।

AAP ने ED के समन को गैर-कानूनी बताया
आम आदमी पार्टी (AAP) ने 18 मार्च को जल बोर्ड केस में केजरीवाल के पेश न होने की जानकारी दी थी। पार्टी ने ED के समन को गैर-कानूनी बताया था। AAP ने कहा कि जब कोर्ट से सीएम को अंतरिम जमानत मिल चुकी है, तो बार-बार समन क्यों भेजे जा रहे हैं। AAP का आरोप है कि भाजपा ED के जरिए केजरीवाल को टारगेट कर रही है।

दरअसल, CBI ने जुलाई 2022 में जल बोर्ड के टेंडर प्रोसेस में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामले में FIR दर्ज की थी। CBI के FIR को आधार बनाकर ED ने जल बोर्ड की टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं के दो अलग-अलग मामलों की जांच शुरू की थी।

ED दिल्ली जल बोर्ड के दो मामलों की जांच कर रही है…

पहला मामला
CBI की FIR में आरोप लगाया गया था कि दिल्ली जल बोर्ड के तत्कालीन चीफ इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा ने NKG इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को करीब 38 करोड़ रुपए में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो मीटर के इंस्टॉलेशन, सप्लाई और टेस्टिंग का टेंडर जारी किया था।

जुलाई 2023 में ED ने दिल्ली-NCR, केरल और तमिलनाडु में दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी और कुछ निजी संस्थाओं के अधिकारियों के 16 ठिकानों पर छापेमारी की। ED ने 24 जुलाई 2023 और 17 नवंबर 2023 को सर्च ऑपरेशन चलाया, जिसमें कई अहम दस्तावेज और सबूत जब्त किए।

इस दौरान पता चला कि जो काम NKG इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को दिया गया, वह उसके लिए टेक्निकल एलिजिबिलिटी को पूरा नहीं करती थी। NKG इंफ्रास्ट्रक्चर ने फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाकर टेंडर हासिल किया। जगदीश कुमार अरोड़ा को इसकी जानकारी थी।

ED की जांच में सामने आया कि टेंडर मिलने के बाद NKG इंफ्रास्ट्रक्चर ने अनिल कुमार अग्रवाल की कंपनी इंटीग्रल स्क्रूज लिमिटेड को भी भागीदार बनाया। अनिल कुमार अग्रवाल ने इसके बदले जगदीश कुमार अरोड़ा को कैश और बैंक खातों में लगभग 3 करोड़ रुपए दिए। कुछ कैश जगदीश कुमार अरोड़ा के एक करीबी को भी मिला।

ED को जगदीश कुमार अरोड़ा की कई बेनामी संपत्तियों की जानकारी भी मिली, जो जगदीश अरोड़ा अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद से मैनेज कर रहा था।

दूसरा मामला
दिल्ली जल बोर्ड के बिल पेमेंट के भुगतान के लिए जगह-जगह ऑटोमैटिक मशीन लगाई जानी थी। मशीन लगाई भी गई और बिल के भुगतान भी हुए, लेकिन ये पैसा दिल्ली जल बोर्ड के अकाउंट में कभी जमा नहीं हुआ।

मेसर्स फ्रेशपे आईटी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और मैसर्स ऑरम ई-पेमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को पहले 3 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। समय-समय पर कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया गया। इसके बावजूद कंपनी की तरफ से जल बोर्ड को कभी पेमेंट नहीं दिया गया।

जांच में ये भी सामने आया कि नोटबंदी के दौरान करीब 10 करोड़ 40 लाख का पेमेंट एक साथ किया गया, लेकिन वो भी जल बोर्ड तक नहीं पहुंचा। इस मामले में जल बोर्ड को करीब 14 करोड़ 41 लाख का घाटा हुआ। ये पैसा अभी भी कंपनी के पास बकाया है।

इंटरपूल एक्सचेंज के तहत केजरीवाल के पर्सनल सेक्रेटरी बिभव कुमार को दिल्ली जल बोर्ड का बंगला दिया गया था, जबकि वो सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। इस मामले में 2023 में विजिलेंस ने पूछताछ शुरू की थी।

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