शराब नीति केस में राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल की ED कस्टडी 4 दिन और बढ़ा दी है। अब वे एक अप्रैल तक हिरासत में रहेंगे। इससे पहले कोर्ट में 39 मिनट सुनवाई चली। केजरीवाल ने खुद अपने केस की पैरवी की। वे ऐसा करने वाले देश के पहले सिटिंग सीएम बन गए हैं।
ED ने कोर्ट से केजरीवाल की 7 दिन की कस्टडी और मांगी थी। दलीलें सुनने के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला रिजर्व कर लिया था। कोर्ट में सुनवाई दोपहर 1.59 बजे शुरू होकर दोपहर 2.39 बजे खत्म हुई।
केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कहा कि इस केस में मेरा नाम सिर्फ चार जगह आया है। 4 स्टेटमेंट दिए गए और उनमें से कोर्ट के सामने वो बयान लाया गया, जिसमें मुझे फंसाया गया। क्या ये 4 स्टेटमेंट एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के लिए काफी हैं?
इसके जवाब में ED ने कहा- मुख्यमंत्री कानून से ऊपर नहीं हैं। वहीं, कोर्ट में पेशी के लिए जाते वक्त उनसे पूछा गया कि LG ने कहा था कि सरकार जेल से नहीं चलेगी। इसके जवाब में केजरीवाल ने कहा कि ये पॉलिटिकल षड्यंत्र है, जनता इसका जवाब देगी।
सीएम केजरीवाल की तबीयत ठीक नहीं: पत्नी सुनीता
इस बीच, केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने कहा कि उनकी हेल्थ ठीक नहीं है। आपके मुख्यमंत्री को बहुत तंग किया जा रहा है। जनता जवाब देगी। ED ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। केजरीवाल को कोर्ट ने 7 दिन की कस्टडी में भेजा था। आज उनकी कस्टडी समाप्त होने वाली थी। इस पर ईडी ने उन्हें दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया।
कोर्ट रूम लाइव…
ED: अटॉर्नी सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि केजरीवाल के बयान रिकॉर्ड कर लिए गए हैं। इन्होंने टाल-मटोल करने वाले जवाब दिए हैं।
ED: हम केजरीवाल का सामना कुछ और लोगों से करवाना चाहते हैं। AAP के गोवा प्रत्याशी के 4 और बयान दर्ज किए गए हैं। हम केजरीवाल और AAP प्रत्याशी का आमना-सामना कराना चाहते हैं।
ED: केजरीवाल ने अपना पासवर्ड नहीं बताया है, इसके चलते हम डिजिटल डेटा हासिल नहीं कर पाए हैं। केजरीवाल कह रहे हैं कि पहले वे अपने वकीलों से बात करेंगे, इसके बाद फैसला करेंगे कि पासवर्ड देना है या नहीं। अगर वे पासवर्ड नहीं देते हैं तो हमें पासवर्ड ब्रेक करना होगा।
ED: केजरीवाल जानबूझकर पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं। हमने पंजाब के कुछ एक्साइज अधिकारियों को भी इस मामले में समन भेजा है। उनसे भी केजरीवाल का आमना-सामना कराया जाएगा।
केजरीवाल ने खुद कोर्ट में बोलना शुरू किया….
केजरीवाल: मैं ED अफसरों को धन्यवाद कहना चाहता हूं। ये केस चलते-चलते 2 साल हो गए हैं।
केजरीवाल: मुझे किसी कोर्ट में दोषी साबित नहीं किया जा सका। मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। CBI ने 31 हजार पन्ने और ED ने 25 हजार पेज दाखिल किए। आप इन दोनों को साथ में भी पढ़ लीजिए। मुझे क्यों गिरफ्तार किया?
कोर्ट: आप जो बोल रहे हैं, वो लिखकर क्यों नहीं देते?
केजरीवाल: मैं बोलना चाहता हूं।
केजरीवाल: मेरा नाम 4 जगह आया है बस। एक है सी. अरविंद। उसने बोला कि उसने मेरी उपस्थिति में कुछ दस्तावेज सिसोदिया को दिए। मेरे घर रोज विधायक आते हैं, क्या ये स्टेटमेंट एक मौजूदा मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के लिए काफी है?
केजरीवाल ने एक और गवाह राघव मुंगटा के बयान का हवाला दिया…
केजरीवाल: इस मामले में लोग गवाह बन जा रहे हैं और लोगों को बयान बदलने को मजबूर किया जा रहा है।
केजरीवाल के इस बयान का ED ने विरोध किया…
कोर्ट: हम आपको 5 मिनट से ज्यादा बोलने का वक्त नहीं देंगे।
केजरीवाल: ED का मिशन सिर्फ और सिर्फ मुझे फंसाना था। 3 स्टेटमेंट दिए गए और उनमें से कोर्ट के सामने वो बयान लाया गया, जिसमें मुझे फंसाया गया। ऐसा क्यों, ये सही नहीं है ना?
केजरीवाल: एक और गवाह के 7 बयान दर्ज किए गए। 6 में मेरा नाम नहीं है। जैसे ही 7वें बयान में मेरा नाम आता है, उसे छोड़ दिया जाता है।
केजरीवाल: अगला है शरथ रेड्डी। मैं ये जानना चाहता हूं कि क्या ये 4 स्टेटमेंट एक मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के लिए काफी हैं? हजारों पेज ED के दफ्तर में है, जो हमारी बेगुनाही को साबित करते हैं। उन्हें सामने क्यों नहीं लाया जाता है?
केजरीवाल: 100 करोड़ का शराब घोटाला है तो वो पैसा कहां गया? असली शराब घोटाला शुरू होता है, ED की जांच के बाद। ED के 2 मकसद थे। एक- आप को खत्म करना और दूसरा- पर्दा डालकर उगाही का रैकेट चलाना। इसके जरिए वो पैसे इकट्ठा कर रहे हैं।
केजरीवाल: शरथ रेड्डी ने 55 करोड़ का डोनेशन भाजपा को दिया। मेरे पास सबूत हैं कि ये रैकेट चल रहा है। मनी ट्रेल साबित हो गई है। उसने गिरफ्तार होने के बाद भाजपा को 50 करोड़ दिए।
ED: इस मौके पर क्या ये बातें कोई रिलेवेंसी रखती हैं?
केजरीवाल: हम ED की रिमांड का विरोध नहीं कर रहे हैं। जितने दिन चाहें वो मुझे कस्टडी में रख लें, पर यह घोटाला है।
ED: चलिए कुछ लोगों ने पहले नाम नहीं लिया, ये जस्टिफाइड है, लेकिन उन लोगों ने पहले उनका नाम क्यों नहीं लिया। ये खेलना चाह रहे हैं। इन्हें कैसे पता है कि ED के पास कितने दस्तावेज हैं? ये सब इनकी कपोल कल्पना है।
ED: AAP को फंड मिला, जिसका इस्तेमाल इन्होंने गोवा इलेक्शन में किया। एकदम स्पष्ट चेन मिली है। हमारे पास बयान और दस्तावेज हैं, जिनसे साबित होता है कि पैसे हवाला के जरिए आए और फिर गोवा चुनाव में फंडिंग की गई।
ED: ये कह रहे हैं कि पैसे भाजपा को दिए गए। उसका शराब घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। मुख्यमंत्री कानून से ऊपर नहीं होता है। वो भी आम आदमी है।
ED: हमारे पास सबूत हैं कि इस आदमी ने 100 करोड़ की रिश्वत मांगी। अगर किसी को बयान बदलने के लिए मजबूर किया गया है तो यह जांच का विषय है।
केजरीवाल को दिल्ली सीएम पद से हटाने की मांग वाली अर्जी खारिज
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस (ACJ) ने मामले में दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि ये कार्यपालिका का मसला है।
ACJ मनमोहन ने कहा, “इस याचिका पर हमें सुनवाई नहीं करना चाहिए। कार्यपालिका को ये मामला देखना चाहिए। इसमें न्यायपालिका के दखल की कोई गुंजाइश नहीं है।”
केजरीवाल ने 23 मार्च को अपनी गिरफ्तारी और राउज एवेन्यू कोर्ट के रिमांड के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए फौरन सुनवाई की मांग की थी। 27 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल को राहत देने से इनकार कर दिया। मामले पर अगली सुनवाई 3 अप्रैल को होगी।
दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका क्या थी?
सुरजीत सिंह यादव ने जनहित याचिका दाखिल की थी। इसमें कहा था कि जेल से भी केजरीवाल मुख्यमंत्री के तौर पर काम कर रहे हैं। इससे न्यायालय में चल रहा मामला प्रभावित होगा। इससे दिल्ली की संवैधानिक मशीनरी भी तबाह हो जाएगी।
याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट के 6 कमेंट
1. जो आप कह रहे हैं, उसके लिए कोई कानून या नियम है। हमें बताइए। क्या ऐसा कोई प्रतिबंध है, जो आप हमें बता सकें। ऐसी कोई भी चीज कि केजरीवाल मुख्यमंत्री के पद पर नहीं रह सकते हैं?
2. आपको हमें बताना होगा कि ऐसा कोई नियम है, कोई प्रतिबंध है, जो केजरीवाल को मुख्यमंत्री के पद पर रहने से रोकता हो। इस मामले में अगर कोई संवैधानिक विफलता होती है तो राष्ट्रपति या फिर LG इस पर कदम उठाएंगे।
3. क्या इस मामले में किसी तरह के न्यायिक हस्तक्षेप की गुंजाइश है? हमने आज का अखबार पढ़ा। LG इस मामले को देख रहे हैं। इसके बाद यह मामला राष्ट्रपति के पास जाएगा।
4. हम मानते हैं कि कुछ व्यावहारिक दिक्कतें हो सकती हैं। हम इस पर कोई आदेश क्यों जारी करें? हमें राष्ट्रपति या LG को कोई निर्देश देने की जरूरत नहीं है। कार्यपालिका राष्ट्रपति शासन लागू करती है। उन्हें निर्देश देना हमारा काम नहीं है। हम इसमें दखलंदाजी कैसे कर सकते हैं? हमें विश्वास है कि कार्यपालिका इस पूरे मामले को देख रही है। कुछ वक्त लग सकता है, लेकिन वो फैसला जरूर कर लेंगे। आज की तारीख में कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है।
5. हमें राजनीति में नहीं उतरना चाहिए। राजनीतिक पार्टियां इसे देखेंगीं। ये जनता के बीच होगा। यह हमारा काम नहीं है। न्यायिक दखलंदाजी की इसमें कोई गुंजाइश नहीं है। ये अब दूसरे लोगों का मामला है।
6. याचिकाकर्ता का कहना है कि अगर केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहते हैं तो दिल्ली सरकार की विश्वसनीयता और छवि खराब होगी।
अदालत का ऑर्डर क्या है?
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, “हमने याचिकाकर्ता के वकील को सुना। इस कोर्ट का यह मानना है कि इस मामले में न्यायिक दखल की कोई गुंजाइश नहीं है। हम इस याचिका को खारिज करते हैं। याचिका की मेरिट पर हम कोई कमेंट नहीं कर रहे हैं।
केजरीवाल जेल से सरकार चला रहे, दो आदेश जारी कर चुके
केजरीवाल गिरफ्तार होने वाले पहले सिटिंग CM हैं। इससे पहले झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन को ED ने गिरफ्तार किया था। सोरेन ने ED की हिरासत में राजभवन जाकर इस्तीफा दे दिया था। गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल जेल से ही सरकार चला रहे हैं। वे जेल से दो आदेश जारी कर चुके हैं।
केजरीवाल ने 23 मार्च को जल मंत्रालय के नाम पहला सरकारी आदेश जारी किया था। उन्होंने जल मंत्री आतिशी को निर्देश दिया था कि दिल्ली में जहां पानी की कमी है, वहां टैंकरों का इंतजाम करें। उन्होंने कोर्ट में पेशी के समय कहा था कि वे इस्तीफा नहीं देंगे, जरूरत पड़ी तो जेल से सरकार चलाएंगे।
इसके बाद केजरीवाल ने 26 मार्च को दूसरा सरकारी आदेश जारी किया। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश दिए कि मोहल्ला क्लिनिक में गरीबों के लिए दवाओं की कमी नहीं होनी चाहिए। लोगों को मुफ्त जांच और दवाई मुहैया कराई जाए।
केजरीवाल के सरकारी आदेश देने के मामले की जांच कर रही ED
कस्टडी से केजरीवाल सरकारी आदेश कैसे दे रहे हैं, इसे लेकर ED जांच कर रही है। ED सूत्रों का कहना है कि उनके पास न ही कोई पेपर मिला और न ही कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे कंप्यूटर या फोन, तो फिर उन्होंने कैसे कोई ऑर्डर पास कर दिया? ये जांच का विषय है। ED के सीनियर अफसरों की टीम जल्द ही रिपोर्ट तैयार करेगी।
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