केंद्रीय गृह मंत्रालय ने असम के चार जिलों तिनसुकिया,डिब्रूगढ़, चराईदेव और शिवसागर में AFSPA (सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम) को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है। यह 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2024 तक लागू रहेगा।
दो दिन के अंदर AFSPA की समय सीमा बढ़ाने वाला असम तीसरा राज्य है। इससे पहले अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों और नगालैंड के 8 जिलों में AFSPA की अवधि 6 महीने के लिए बढ़ाई गई है।
असम पुलिस की और से जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन चार जिलों में उग्रवादी संगठन के सक्रिय होने को छोड़कर, राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है। एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार के गृह एवं राजनीतिक विभाग ने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक प्रस्ताव सौंपा।
इस पर विचार करने के बाद 6 महीने की अतिरिक्त अवधि के लिए अशांत क्षेत्र के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का फैसला किया गया। इसके बाद राज्य सरकार ने केंद्र के निर्देश पर अधिनियम को 30 सितंबर 2024 तक बढ़ा दिया। अधिनियम को आखिरी बार 1 अक्टूबर 2023 को बढ़ाया गया था, यह समय 31 मार्च को खत्म होने वाला है।
नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के जिलों में भी लगाया AFSPA
केंद्रीय गृह मंत्रालय की और से जारी अधिसूचना में कहा गया सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद प्रदेश में चांगलांग, तिरप और लोंगडिंग जिले के अलावा नामसाई जिले के महादेवपुर और चौखम पुलिस थाना क्षेत्र में आने वाले इलाकों में 1 अप्रैल 2024 से AFSPA की अवधि को 6 महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है।
मंत्रालय ने नगालैंड को लेकर एक अन्य अधिसूचना में कहा कि केंद्र सरकार ने कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के बाद नगालैंड के आठ जिलों- नीयूलैंड, चुमोकेदिमा, मोन, किफिरे, नोक्लाक, फेक और पेरेन – में छह और महीने के लिए AFSPA को बढ़ाने का निर्णय लिया है।
AFSPA हटाने पर महबूबा मुफ्ती ने कहा देर आए दुरुस्त आए
महबूबा ने 29 मार्च को एक बुक लॉन्चिंग के दौरान कहा कि सिविलियन क्षेत्रों से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) और सुरक्षा बल हटाए जाने चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लोग लंबे समय से ये मांग कर रहे हैं। उम्मीद है कि AFSPA हटाए जाने को लेकर गृह मंत्री अमित शाह का बयान महज जुमला नहीं था।
मीडिया से बात करते हुए महबूबा मुफ्ती ने बताया की वो खुद भी चाहती हैं कि AFSPA रद्द हो जाए। AFSPA को हटाने के विचार पर उन्होंने कहा कि ‘देर आए दुरुस्त आए’। इसके अलावा उन्होंने कहा कि जब भी पीडीपी या मैं ये मांग उठाती थी तो हमें देशद्रोही करार दिया जाता था। यहां तक कि ये भी कहा जाता था कि हम (PDP) सेना और देश के खिलाफ है।
महबूबा ने आगे बातचीत में कहा कि अमित शाह ने यह फैसला इलेक्शन के समय लिया है, ये सिर्फ बयानबाजी बनकर तो नहीं रह जाएगी? जहां तक नागरिक इलाकों में सुरक्षा बलों या AFSPA को हटाने का सवाल है, पिछले कई वर्षों से जम्मू कश्मीर के लोग ये मांग कर रहे हैं। पीडीपी खुद AFSPA को हटाने के लिए कई बार कह चुकी है।
क्या है AFSPA ?
AFSPA को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में AFSPA लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।
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अमित शाह बोले- जम्मू-कश्मीर से AFSPA हटाने पर विचार करेंगे:वहां मौजूद जवानों को भी वापस बुलाया जा सकता है; सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव होंगे
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (27 मार्च) को कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) हटाने पर विचार करेंगे। वहां मौजूद जवानों को वापस बुलाने का भी प्लान बनाया जा रहा है। इसके अलावा अमित शाह ने राज्य में सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने की भी बात कही है।अमित शाह ने एक मीडिया ग्रुप को दिए इंटरव्यू में कहा कि सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी अब सिर्फ पुलिस को सौंपने की तैयारी की है। पहले वहां की पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता था, लेकिन अब पुलिस बड़े ऑपरेशन लीड कर रही है। पूरी खबर पढ़े…