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LOC पर अब AC-TV वाले बंकरों में रुक सकेंगे टूरिस्ट:जमीन से 20 फीट नीचे बने दो बंकर तैयार, इस साल 370 और बनेंगे

ऐसे दो बंकर सांबा जिले में एलओसी के ठीक सामने तैयार हैं।

इक्का-दुक्का घटनाओं को छोड़ दें तो 25 फरवरी 2021 के बाद से जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से सटी भारतीय सीमा (LOC) पर गोलीबारी थमी हुई है। इसी शांति के बीच से बॉर्डर पर पर्यटन बढ़ाने का नया रास्ता निकला है।

राज्य प्रशासन एलओसी से सटी जीरो लाइन पर आधुनिक बंकर बना रहा है, जिनमें जल्द पर्यटक रुक सकेंगे। ऐसे दो बंकर सांबा जिले में एलओसी के ठीक सामने तैयार हैं। इनमें जमीन से 20 फीट नीचे एसी, स्मार्ट टीवी, अलमारी सब रखे हैं।

इस साल ऐसे 370 बंकर बनने हैं। इनका किराया फिलहाल तय नहीं है। सांबा के डिप्टी कमिश्नर अभिषेक शर्मा के मुताबिक यह प्रोजेक्ट का पहला चरण है। पिछले साल बॉर्डर के कुछ गांवों को पर्यटकों के लिए खोला गया था। उनकी आवाजाही को देखते हुए ही बंकर तैयार करने का प्लान आया। शर्मा ने बताया कि बंकरों में रुकने के लिए अभी से पर्यटक इंक्वायरी कर रहे हैं। कुछ पर्यटक रुकने आने लगे हैं।

2018 में केंद्र सरकार ने एलओसी और इंटरनेशनल बॉर्डर पर 14460 निजी और सामुदायिक बंकर बनाने की मंजूरी दी थी। 413 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के तहत 10 हजार बंकर बनकर तैयार हो चुके हैं।

फायरिंग के वक्त लोग लंबे समय रुक सकेंगे
यदि भविष्य में कभी पाक की तरफ से फायरिंग होती है तो बंकर स्थानीय लोगों के रुकने के लिए खोल दिए जाएंगे। वे यहां लंबे समय तक आसानी से रुक सकें, इसलिए लाइब्रेरी, छोटी जिम मशीनें भी रखी हैं। पानी और बिजली की सप्लाई भी किसी भी स्थिति में बंद नहीं होगी।

जर्जर हो रहे थे, इसलिए इन्हें पर्यटन से जोड़ रहे
ये वही बंकर हैं, जिनका उपयोग पाक गोलीबारी के वक्त बॉर्डर से सटे गांवों के लोग करते रहे हैं। गोलीबारी बंद होने के बाद इनका मेंटेनेंस नहीं हो रहा था, इसलिए इन्हें पर्यटन से जोड़ने का प्लान तैयार किया गया। अगले एक साल में बॉर्डर आने वाले पर्यटकों को बंकर उपलब्ध कराएंगे।

दो तरह के बंकर, 40 लोग तक रुक सकेंगे
फिलहाल दो तरह के बंकर बना रहे हैं। पहला- निजी। दूसरा- सामुदायिक। निजी बंकर का साइज 160 वर्ग फीट है। इनमें 8 लोग रुक सकेंगे। सामुदायिक बंकर 800 वर्ग फीट के हैं। इनमें 40 लोग ठहर सकेंगे। डिप्टी कमिश्नर के मुताबिक दो मॉडल बंकर रामगढ़ और सुचेतगढ़ में बनाए हैं। इनमें एसी, अलमारी, टीवी, टेबल-कुर्सी रखी हैं। सीढ़ियों से लेकर बंकर के अंदर जमीन पर मार्बल लगाया है।

जम्मू कश्मीर में बढ़ रहा पर्यटन

तस्वीर पहलगाम में बहने वाली लिद्दर नदी के किनारे की है, इसे उमर गनी ने क्लिक किया है।

कश्मीर की वादियों में अमन-चैन लौट रहा है। हालात बदल रहे हैं। अगस्त 2018 से 2023 तक पांच साल में आतंकी वारदात में 59% तक की कमी आई। स्थानीय युवा आतंकी गुटों में भर्ती होने से किनारा कर रहे हैं। ऐसे में विदेशी सैलानियों को कश्मीर लुभा रहा है।

घाटी में अगस्त 2019 से अगस्त 2018 तक 4100 विदेशी पर्यटक आए। मई 2023 में कश्मीर में जी20 समिट से पहले इस साल 12 हजार विदेशी पर्यटक आए थे, जबकि सितंबर 2023 तक 20 हजार विदेशी सैलानी आ आए। अमेरिका, कनाडा और कुछ अन्य यूरोपीय देशों की ओर से विपरीत ट्रैवल एडवाइजरी के बावजूद भी विदेशी सैलानी कश्मीर आ रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग के अनुसार चौकस सुरक्षा व्यवस्था के कारण विदेशी पर्यटकों में खौफ नहीं है। घाटी में अब तक 1.50 करोड़ देशी पर्यटक भी आ चुके हैं। इस मामले में पिछले साल के 1.88 करोड़ देशी पर्यटकों का रिकॉर्ड टूट सकता है।

10 स्थानीय युवा आतंकी बने, इनमें 6 का सफाया
जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह के अनुसार 2023 में 10 स्थानीय युवा आतंकी गुटों में भर्ती हुए, इनमें से 6 आतंकियों का सफाया किया जा चुका है। 2019 में 119 युवा आतंकी बने थे, 2020 में 167 युवाओं ने आतंक का दामन था। 2021 में 128 और 2022 में 100 युवा आतंकी गुटों में भर्ती हुए थे।

नागरिकों की मौत के मामले भी 77% घटे
अनुच्छेद 370 हटने के बाद पांच साल में कश्मीर में आतं​कवादी हमलों में आम नागरिकों के मारे जाने के मामलों में 77% तक की कमी दर्ज की गई है।

(स्रोत: साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल, * सितंबर, 2023 तक)

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