ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के व्यास तहखाने में पूजा के खिलाफ मस्जिद कमेटी की याचिका पर सोमवार (1 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में वाराणसी जिला कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें हिंदुओं को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने ‘व्यास तहखाना’ के अंदर देवताओं की पूजा करने की इजाजत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी दक्षिणी तहखाने में हिंदू पक्ष के पूजा करने की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 17 और 31 जनवरी (तहखाना के अंदर पूजा की अनुमति) के आदेशों के बाद मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद में बिना किसी बाधा के नमाज पढ़ रहा है। हिंदू पुजारी पूजा कर रहे हैं। इसलिए तहखाना क्षेत्र में यथास्थिति बनाए रखना उचित है, ताकि दोनों समुदाय पूजा कर सकें।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ की अनुमति देने के खिलाफ मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर काशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टियों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टियों और अन्य से 30 अप्रैल तक जवाब मांगा है।
- अब पढ़िए सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने क्या कुछ कहा…
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मुस्लिम पक्ष के वकील से पूछा- क्या हो रहा है? पूजा हो रही है?
वकील अहमदी ने कहा- हां, पूजा हो रही है। उन्होंने जगह पर कब्जा कर लिया है। अंतरिम आदेश से प्रभावी रूप से 1993 यानी 30 साल पहले की यथास्थिति बहाल हो गई है। राज्य सरकार जो मामले में पक्षकार भी नहीं है, रात के अंधेरे में आदेश लागू करती है।
आदेश की रात पूजा की जाती है। जिसमें मुस्लिम पक्ष को रहने से रोका गया। यह ट्रायल कोर्ट और फिर एचसी द्वारा पारित एक असाधारण मामला है। आदेश का प्रभाव अंतरिम चरण में अंतिम राहत देना है। कृपया कोर्ट संज्ञान ले।
सीजेआई: मस्जिद में नमाज कहां पढ़ी जाती है?
मुस्लिम पक्ष: उत्तर की तरफ।
सीजेआई: जो लोग मस्जिद में प्रार्थना करने आते हैं। वे किस तरफ से आते हैं। मुस्लिम पक्ष: तहखाना दक्षिण की ओर है और मस्जिद की सीढ़ियां उत्तर की ओर से हैं।
सीजेआई: तो तहखाना वाले लोग उत्तर की ओर की सीढ़ियों का उपयोग नहीं करते हैं?
मुस्लिम पक्ष: हां, वे नहीं करते हैं.. लेकिन उन्होंने अब नमाज रोकने के लिए एक और आवेदन भी दिया है। इसलिए धीरे-धीरे मुझे अपनी ही संपत्ति से बेदखल किया जा रहा है।
“हम धीरे-धीरे मस्जिद खो देंगे”
सीजेआई: ज्ञानवापी में पूजा-नमाज एक साथ हो सकती है। दोनों की दिशाएं अलग-अलग हैं, इसमें किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। तहखाने का प्रवेश द्वार दक्षिण से है और मस्जिद का प्रवेश द्वार उत्तर से है। क्या दक्षिण में की जाने वाली प्रार्थनाएं उत्तर में की जाने वाली प्रार्थनाओं को प्रभावित कर रही हैं।
मुस्लिम पक्ष: नहीं
सीजेआई: यदि यह सही है, तो हम कह सकते हैं कि यथास्थिति में आगे कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए। हम कहते हैं कि नमाज जारी रहने दी जाए और दक्षिणी तहखाने में पूजा जारी रह सकती है।
मुस्लिम पक्ष: मेरा मामला पूर्ण प्रवास का है। लेकिन अगर आपका आधिपत्य अभी इसकी अनुमति दे रहा है, तो मुझे कहना होगा, नमाज रोकने के लिए अन्य आवेदन दायर किए गए हैं। इस तरह के रवैया से लगता है कि हम धीरे-धीरे मस्जिद खो देंगे।
30 साल की यथास्थिति को अनिवार्य आदेश द्वारा बहाल कर दिया गया है। मैं स्थगन की मांग कर रहा हूं। क्योंकि ट्रायल कोर्ट के आदेश को जल्दबाजी में लागू किया गया है। अब यह मेरे खिलाफ है। क्योंकि बाद में कहा जाएगा कि अगर यह चल रहा है तो अभी क्यों रोका जाए। यह सब मस्जिद परिसर के भीतर है।
हर दिन मस्जिद परिसर में पूजा होती है। आप मस्जिद के अंदर ऐसा होने दे रहे हैं। हमें गंभीर आशंका है।
सीजेआई: दो ताले थे, ताले कहां लगाए गए थे?
मुस्लिम पक्ष: तहखाने के गेट पर। लेकिन 30 साल से यथा स्थिति थी। लेकिन ताले को तोड़ दिया गया।
- अब पढ़िए हिंदू पक्ष के वकील ने क्या कहा…
सीजेआई: हम याचिका पर नोटिस जारी करेंगे।
हिंदू पक्ष के वकील श्याम दीवान: यह मामला कोर्ट द्वारा नोटिस जारी करने का भी नहीं है। यह एक अंतर्वर्ती आदेश है। जिसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने ठोस तर्कों से की है। इसलिए बातचीत के चरण में, यह कोर्ट नहीं करेगा। काशी विश्वनाथ मंदिर का न्यासी बोर्ड पूजा करा रहा है। यह एक अंतरिम व्यवस्था है और इससे कोई पूर्वाग्रह नहीं होता है।
कोर्ट को जो सुझाव दिया गया था वह यह था कि वहां कोई मूर्तियां नहीं थीं। यह गलत है, पूजा मस्जिद में पाई गई मूर्तियों के सम्मान में आयोजित की जाती है। 31 जनवरी से पूजा चल रही है। इस न्यायालय द्वारा कोई पूर्वाग्रह उत्पन्न नहीं किया गया है और हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं है। जहां तक व्यास परिवार का सवाल है, यह एक व्यक्तिगत अधिकार है। पीढ़ियों से, वे पुजारी रहे हैं। कोर्ट से अभी अंतिम राहत नहीं मिली है। अंतरिम व्यवस्था से किसी भी तरह की बाधा नहीं आती है।
मुस्लिम पक्ष ने 1936 के फैसले की दलील दी
सीजेआई: क्या मस्जिद के अंदर नमाज पढ़ी जा रही है?
मुस्लिम पक्ष: यह पूरा मस्जिद परिसर है। मस्जिद परिसर बड़ा हो सकता है। मंदिर परिसर और भी बड़ा हो सकता है। उन्हें इस जगह की क्या ज़रूरत है।
सीजेआई: मीनारें मस्जिद की सीमाएं निर्धारित करेंगी?
मुस्लिम पक्ष: 1936 के फैसले में स्पष्ट रूप से पूरे स्थान को मस्जिद माना गया है।
वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष में सुनाया था फैसला
उच्च न्यायालय के 26 फरवरी को अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की याचिका खारिज करते हुए व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष की पूजा को जारी रखने का आदेश दिया था। वाराणसी जिला अदालत ने भी इस मामले में हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ ही मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा था। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि पूजा स्थल अधिनियम-1991 में इलाहाबाद हाई कोर्ट का हस्तक्षेप ठीक नहीं है।
1991 में वाराणसी कोर्ट में दायर हुई थी याचिका
साल 1991 में याचिकाकर्ता स्थानीय पुजारियों ने वाराणसी कोर्ट में एक याचिका दायर की। इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की अनुमति मांगी थी। इस याचिका में कहा गया कि 16वीं सदी में औरंगजेब के आदेश पर काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई गई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष की पूजा को जारी रखने का आदेश दिया है।