दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में पत्नी के पति के घर को बार-बार छोड़कर जाने को मानसिक क्रूरता बताया है। कोर्ट ने इसे तलाक का आधार माना। पति का आरोप था कि पत्नी 7 मौकों पर उसे छोड़कर गई।
मामला पहले फैमिली कोर्ट में गया था, जहां अदालत ने तलाक देने से मना कर दिया था। हाईकोर्ट की जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने पाया कि दोनों की शादी को 19 साल हो चुके हैं, जिसमें 3 से 10 महीने में अलग होने के 7 प्रयास हुए।
कोर्ट ने ये भी माना कि पत्नी का शादी के रिश्ते को जारी रखने का कोई इरादा नहीं था। पत्नी ने अपने पति के घर वापस लौटने की कोशिशें भी नहीं कीं।
कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा
हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि ये साफ है कि पत्नी अपने पति के घर को बार-बार छोड़कर जा रही है। इसमें पति की तरफ से कोई गलती नहीं दिखती। पत्नी का समय-समय पर घर छोड़कर जाना पति पर मानसिक क्रूरता है। इसके लिए कोई वजह या सफाई नहीं हो सकती।
सबूत बताते हैं कि पति-पत्नी अनिश्चितता की जिंदगी जी रहे हैं। 19 साल साथ में गुजारने के बाद उनकी शादीशुदा जिंदगी में न तो कोई सैटलमेंट हो सकता है और न ही मानसिक शांति आ सकती है। हम तलाक की मंजूरी देते हैं।
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हाईकोर्ट का अहम आदेश:शादी के बाद किसी दूसरे से संबंध बनाना अपराध की श्रेणी में नहीं
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि शादीशुदा का किसी दूसरे से संबंध बनाना अपराध नहीं है। यदि वयस्क युवक-युवती शादी के बाद किसी अन्य के साथ लिव इन में रहते हैं तो यह आईपीसी की धारा 494 के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता क्योंकि दोनों में से किसी ने भी अपने पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं की। पूरी खबर पढ़ें…