“रामपुर में आजम खान मुस्लिमों के नेता हैं, अखिलेश जी ने उनके साथ अन्याय किया है। उनकी बात न मानकर उनका सियासी करियर खत्म कर दिया है। रामपुर की जनता अपने नेता के अपमान का बदला लेगी।”
दैनिक भास्कर का चुनावी रथ जब रामपुर में पहुंचा और हम लोगों से मिले तो एक व्यक्ति ने हमसे यह बात कही। इसके अलावा भी जो मिले, उनकी भी बातें काफी हद तक ऊपर लिखी लाइन से मैच करती हैं।
रामपुर में 19 अप्रैल को चुनाव है इसलिए हम यहां लोगों से उनके मुद्दे और जमीनी हकीकत समझने आए। लोगों ने जो बताया वह बेहद रोचक है। आइए सबकुछ लोगों की ही जुबानी जानते हैं…
बिना आजम खान के रामपुर में राजनीति संभव नहीं
हमारी मुलाकात यहां एडवोकेट मो. आरिफ से हुई। हमारा पहला सवाल था कि बिना आजम खान के रामपुर की राजनीति में क्या संभावनाएं बन रहीं? मो. आरिफ कहते हैं कि रामपुर में बिना आजम खान के राजनीति हो ही नहीं सकती। उनका नाम और आदेश यहां हमेशा चलता रहेगा। मैं समाजवादी पार्टी का वोटर नहीं हूं लेकिन अगर किसी को लगता है कि यहां के वोटर उनके न रहने से बीजेपी में चले जाएंगे तो वह गलत सोच रहा। ऐसा नहीं होगा।
सैयद तलत मियां कहते हैं कि अगर यहां निष्पक्ष चुनाव हुआ तो परिणाम चौकाने वाले होंगे, हमने कहा कि ऐसा क्यों? वह कहते हैं कि यहां के लोकसभा और विधानसभा के उपचुनाव में प्रशासन की भूमिका बड़ी होती है।
पहले तो बेइमानी होती थी अब ईमानदारी से चुनाव हो रहा
भास्कर रथ रामपुर के स्टेशन पर पहुंचा तो वहां हमें ओम प्रकाश मिले। वह कहते हैं कि इस चुनाव में भी बीजेपी ही जीतेगी। पहले तो आजम खान बेईमानी करके जीतते थे। उनके साथ कड़े मित्रपाल राजपूत कहते हैं, रामपुर में चोरी-चकारी बंद हो गई। सबका धंधा सही चलने लगा है। यहां तो सपा वाले परेशान हैं कि उनका असली प्रत्याशी कौन है, 4-4 तो खड़े हो गए हैं।
मुस्लिम महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरहद अली खान कहते हैं कि रामपुर की 90% जनता मौजूदा सरकार से खुश है। आजम खान मुस्लिम नेता हैं, अखिलेश ने उनके साथ अन्याय किया। उनकी बात न मानकर उनका सियासी करियर खत्म कर दिया। आजम खान के अपमान का बदला न सिर्फ रामपुर की जनता बल्कि मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर व संभल के मुस्लिम भी लेंगे।
फरहद अली सपा प्रत्याशी मोबिल्लाह नदवी पर तंज कसते हुए कहते हैं इमाम को मस्जिद में इमामत की जरूरत होती है, वहां सियासी लोग आते हैं उन्हें धर्म सिखाना होता है लेकिन इमाम ने उन लोगों से सियासत सीख ली। सच यह है कि जो इमाम होगा वह सियासत में नहीं आएगा। फरहद आखिर में एक शेर बोलते हैं, “दया लिखने बैठूं, अनुवादित होते राम, जो रावण को भी नमन करे ऐसे थे मेरे राम।”
रामपुर में सिर्फ लाइट पर काम हुआ, बेरोजगारी पर नहीं
स्वार विधानसभा सीट से आने वाले अनुभव सागर कहते हैं, “रामपुर में सिर्फ बिजली पर काम हुआ है। 15-20 दिन पहले से ही सड़के बननी शुरू हुई। बेरोजगारी यहां सबसे बड़ा मुद्दा है। हम दलित कम्युनिटी से आते हैं, पहले यहां बसपा को 84-85 हजार वोट मिलते थे, वह सब बीजेपी में शिफ्ट हुआ लेकिन वह लोग हमारे बारे में नहीं सोचते।” अनुभव सरकार से नाराज तो हैं लेकिन सपा के मौजूदा प्रत्याशी से भी खुश नहीं।
अनुभव की तरह शोभित अग्रवाल भी यहां बेरोजगारी को मुद्दा मानते हैं। हमने पूछा कि क्या यहां फैक्ट्रियां नहीं हैं? वह कहते हैं फैक्ट्री तो है लेकिन सिर्फ मजदूर क्लास की नौकरी है, हम चाहते हैं कि कुछ इंडस्ट्री बने, जिससे कुछ पढ़े-लिखें लोगों को भी काम मिले। उन्हें बाहर नहीं जाना पड़े।
- हमने इसके बाद स्थानीय पत्रकारों का रुख किया। उनसे यहां की जमीनी हकीकत समझने की कोशिश की।
समाजवादी पार्टी के नेता ही अपने प्रत्याशी के साथ नहीं
स्थानीय पत्रकार अशोक शर्मा कहते हैं कि सपा ने यहां अचानक नया चेहरा उतार दिया। अब पार्टी के ही लोग उनके साथ नहीं हैं। लोगों का रुझान भाजपा की ओर है। मुस्लिम चेहरे के रूप में जीशान खां जरूर मैदान में हैं लेकिन उनका उतना प्रभाव नहीं है। निर्दलीय महमूद प्राचा को लेकर यहां चर्चाएं हैं, लोग एकजुट हो रहे हैं लेकिन आगे क्या होता है वह समय बताएगा।
विमला अधिकारी यहां लंबे वक्त से पत्रकारिता कर रही हैं, वह कहती हैं कि सपा से जो लोग नाराज हैं वह बसपा की तरफ जाते नहीं दिख रहे। यहां महिलाओं के लिए काम करने की जरूरत है, महिलाओं के रोजगार पर बात ही नहीं होती। किसी भी रोजगार में उनकी कोई भागीदारी नहीं हैं।
रामपुर के चुनाव को लेकर अक्सर पहले से ही कयास लग जाते थे कि कौन जीतेगा लेकिन बिना आजम खान के यहां इस चुनाव में परिणाम क्या होगा, उसपर कुछ कह पाना आसान नजर नहीं आता।
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दैनिक भास्कर ऐप की चुनावी रथ यात्रा पीलीभीत से शुरू
दैनिक भास्कर ऐप की चुनावी रथ यात्रा शुक्रवार को पीलीभीत से शुरू हो गई। अगले 56 दिनों तक चुनावी कवरेज के लिए चलने वाली यह यात्रा यूपी के 75 जिलों तक जाएगी। हर जिले, हर सीट की जमीनी हकीकत को पाठकों तक पहुंचाते रहेंगे।
भास्कर की चुनावी यात्रा का पहला पड़ाव पीलीभीत रहा। यहां पहले चरण यानी 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है। हमें यहां के लोगों ने अपने मुद्दे बताए। वोट देते वक्त क्या सोचते हैं?
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