दिल्ली सरकार में समाज कल्याण मंत्री राजकुमार आनंद ने बुधवार को मंत्री पद और आम आदमी पार्टी (AAP) से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा, ‘मुझे कहीं से भी ऑफर नहीं मिला हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं आज बहुत व्यथित हूं। राजनीति बदलेगी तो देश बदलेगा। आम आदमी पार्टी का जन्म भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से हुआ था। आज ये पार्टी खुद भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुकी है।’
उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए मंत्री पद पर रहकर इस सरकार में काम करना असहज हो गया है। इसलिए मैं मंत्री पद और पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं, क्योंकि मैं इन भ्रष्ट आचरणों में अपना नाम नहीं जुड़वाना चाहता हूं।’
शराब नीति केस में दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया तिहाड़ में बंद हैं। पार्टी नेता संजय सिंह 6 महीने बाद 4 अप्रैल को जमानत पर रिहा हुए हैं।
AAP में दलित विधायकों या पार्षदों का कोई सम्मान नहीं
राजकुमार ने कहा कि AAP में दलित विधायकों या पार्षदों का कोई सम्मान नहीं होता है। दलितों को प्रमुख पदों पर जगह नहीं दी जाती है। मैं बाबा साहब अंबेडकर के सिद्धांत पर चलने वाला व्यक्ति हूं। अगर दलितों के लिए ही काम नहीं कर पाया तो फिर पार्टी में रहने का कोई मतलब नहीं है।
कौन हैं राजकुमार आनंद
राजकुमार आनंद साल 2020 में पहली बार पटेल नगर सीट से विधायक बने थे। इससे पहले उनकी पत्नी वीना आनंद भी इसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुकी हैं। वह जाटव समुदाय से आते हैं।
राजकुमार आनंद को 2022 में राजेंद्र पाल गौतम के इस्तीफे के बाद केजरीवाल सरकार में मंत्री बनाया गया था। समाज कल्याण विभाग संभाल रहे राजेंद्र ने कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोपों के बीच अपने पद से इस्तीफा दिया था।
5 महीने पहले ईडी ने 23 घंटे छापेमारी की थी
पिछले साल नवंबर में ED ने राजकुमार आनंद के घर पर कस्टम केस में 23 घंटे तक छापा मारा था। उस दौरान राजकुमार ने कहा था, ‘ये हमें तंग करने के लिए आए थे। पूरे घर की तलाशी ली, जिसमें उन्हें कुछ नहीं मिला।
आनंद ने कहा था, ‘इस देश में सच बोलना, दलितों की राजनीति करना, काम की राजनीति करना गुनाह बन गया है। ED जो कस्टम का मामला बता रही है, वो 20 साल पुराना है और उसमें सुप्रीम कोर्ट तक का फैसला आ चुका है।’ पूरी खबर पढ़ें…