सिसोदिया ने चुनाव प्रचार के लिए जमानत मांगी:CBI बोली- कोर्ट ने इन्हें मास्टरमाइंड माना, बेल मिली तो जांच और गवाहों को प्रभावित करेंगे
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति से जुड़ी CBI और ED केस में रेगुलर जमानत की मांग वाली मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट 30 अप्रैल को फैसला सुनाएगी।
सुनवाई के दौरान ED के वकील ने स्पेशल जज कावेरी बावेजा से कहा कि सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट ने सिसोदिया को केस का मास्टरमाइंड माना है। वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं। सिसोदिया ने लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए भी जमानत याचिका लगाई थी। लेकिन इसे वापस ले लिया।
मनीष शराब नीति घोटाला केस में तिहाड़ में बंद हैं। सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था। वहीं, ED ने 9 मार्च 2023 को CBI की FIR से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। 28 फरवरी 2023 को सिसोदिया ने दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
सिसोदिया जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक याचिका लगा चुके हैं, लेकिन हर बार उनकी याचिका खारिज हो गई। मार्च 2024 में सिसोदिया ने ट्रायल कोर्ट में दोबारा जमानत अर्जी लगाई है, जिस पर सुनवाई बाकी है।
कोर्ट रूम लाइव…
सीबीआई- वे इस मामले में मुख्य आरोपी हैं। आरोप बताते हैं कि यह केस सबूतों को नष्ट करने और सत्ता के गलत इस्तेमाल का है, जिससे जांच प्रभावित हो सकती है। कई मुख्य बिंदुओं पर जांच अभी शुरुआती स्टेज में है।
सीबीआई- पूरा समाज आर्थिक अपराधों से परेशान है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि भ्रष्टाचार समाज के लिए कैंसर है। सिसोदिया जांच और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। अगर इस स्टेज पर बेल दी गई तो इनका मकसद पूरा हो जाएगा।
सीबीआई- इनकी बेल पहले भी खारिज हो चुकी है। इन्हें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। इस कोर्ट ने माना है कि ये मास्टरमाइंड हैं। ऐसे में ये जांच को प्रभावित करेंगे।
सिसोदिया के वकील विवेक जैन- ये आज जिस मोबाइल तोड़ने की बात कह रहे हैं, आर्थिक अपराध की बात कर रहे हैं, उसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सुना है। ये मामला फरवरी से अटका है, इस पर जल्द फैसला लिया जाए।
(कोर्ट ने ED और CBI के केस में सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला 30 अप्रैल तक सुरक्षित रखा।)
सुप्रीम कोर्ट भी खारिज कर चुका है मनीष की जमानत याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली के पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि घोटाले से जुड़े कई सवालों के जवाब अभी नहीं मिले हैं।
इनमें 338 करोड़ का लेन-देन हुआ है, जिसमें सिसोदिया की भूमिका संदिग्ध लग रही है। इसलिए याचिका खारिज की जाती है। कोर्ट ने जांच एजेंसियों को 6 से 8 महीने में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया था।
बीमार पत्नी का हवाला दे मांगी थी जमानत, हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
मनीष ने पत्नी की बीमार के आधार पर दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी। लेकिन तब जस्टिस दिनेश शर्मा ने 3 जुलाई को कहा था कि आरोप बेहद गंभीर प्रकृति के हैं, इसलिए उन्हें 6 हफ्ते के लिए रिहा करना मुश्किल है।
हालांकि कोर्ट ने पत्नी से मिलने की इजाजत दे दी थी। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जिस दिन सीमा सिसोदिया चाहें उसी दिन मनीष सिसोदिया को पत्नी से मिलवाने के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच घर ले जाया जाए। लेकिन पुलिस आयुक्त ध्यान रखें कि घर के बाहर मीडिया मौजूद न हो।
लेकिन हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी मनीष अपनी पत्नी से मिल नहीं पाए थे। दरअसल, पत्नी से मिलने के लिए मनीष के घर पहुंचने से पहले ही उनकी पत्नी की तबीयत ज्यादा खराब हो गई। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
कोर्ट ने सिसोदिया को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच घर जाकर पत्नी से मिलने की इजाजत दी थी। उसमें हॉस्पिटल जाकर मिलने की परमिशन नहीं थी। इस वजह से सिसोदिया अपनी पत्नी से नहीं मिल सके और सात घंटे बाद वापस तिहाड़ जेल आ गए। मनीष सिसोदिया की पत्नी सीमा सिसोदिया मल्टीपल स्केलेरोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित हैं।
इससे पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 मई को CBI केस में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि उपमुख्यमंत्री और उत्पाद शुल्क मंत्री होने के नाते, वह एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति हैं जो गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
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