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यूपी-बिहार ने बढ़ाई भाजपा की चिंता, राजस्थान में भी आशंका; वोटिंग बढ़ाने में जुटी पार्टी

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान में कमी की कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन इससे राजनीतिक दलों की पेशानी पर बल दिख रहे हैं। इससे राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ गई है। बाकी चरणों में सभी दलों को मिशन मोड में काम होगा। सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगी भले ही बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन उनके भीतर भी एक-एक बूथ को लेकर मंथन हो रहा है और आगे की रणनीति का काम भी शुरू हो गया है। दूसरी तरफ विपक्षी इंडिया गठबंधन व अन्य दलों में भी इसी तरह के आकलन के साथ यह बात भी चर्चा में हैं कि कई स्थानों पर मतदाताओं को वोट डालने नहीं दिया गया है।

बीते लोकसभा चुनावों की तुलना में इस चुनाव में अभी तक के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक मतदान में लगभग छह फीसद की कमी आई है। 2014 (66.40 फीसद) व 2019 (67.11 फीसद) में लगातार बढ़े मतदान के बाद इस बार पहले चरण में तेज गिरावट (62.37 फीसद) को लेकर राजनीतिक दलों में मंथन के साथ अलग अलग दावे हैं। सूत्रों के अनुसार, सत्तारूढ़ भाजपा इससे चिंतित तो नहीं है, लेकिन अंदरूनी तौर पर इसे अच्छा नहीं माना जा रहा है। उसने बाकी चरणों में अपने कार्यकर्ताओं को ज्यादा से ज्यादा मतदान के लिए जुटने को कहा है।

भाजपा को नहीं थी मतदान कम होने की उम्मीद
सूत्रों के अनुसार, भाजपा को इतना कम मतदान होने की उम्मीद नहीं थी। वह भी तब जबकि अभी गर्मी अपने प्रचंड रूप में नहीं है। ऐसे में हर सीट का अलग अलग आकलन किया जा रहा है। उसमें भी हर बूथ के एजेंटों के जरिए आंकड़ा तैयार किया जा रहा है कि किस बूथ पर सुबह से शाम तक किस तरह की वोटिंग हुई और भाजपा और विरोधी किस तरह के समर्थक ज्यादा रहे। बाकी चरणों के लिए इससे अब और ज्यादा आक्रामक रणनीति पर काम शुरू किया गया है।

हिंदी पट्टी के राज्यों को लेकर बढ़ी चिंता
सबसे ज्यादा चिंता हिंदी पट्टी के राज्यों को लेकर है, जो भाजपा के गढ़ हैं और विपक्ष को बीते चुनाव में यहां पर बुरी तरह पराजय देखनी पड़ी थी। पहले चरण में बिहार की चार, उत्तर प्रदेश की आठ, उत्तराखंड की सभी पांच, राजस्थान की 12, मध्य प्रदेश की आठ व छत्तीसगढ़ की एक सीट के लिए मतदान हुआ है। भाजपा नेताओं का कहना है कि सत्ता बरकरार रहने के माहौल के कारण मतदान में कमी हुई है, बदलाव के लिए ज्यादा मतदान होता है। पार्टी का अभी तक का आकलन है कि हर राज्य और हर सीट पर मतदान कम होने की अलग अलग वजह हैं। पार्टी नेता दबी जुबान से यह भी कह रहे हैं कि आप खुद देखिए कि बीते चुनाव में संवेदनशील कहे जाने बूथों पर मतदान बढ़ाने वाले इस बार कहां गए? खासकर उत्तर प्रदेश को लेकर यह बात कही जा रही है।

सूत्रों के अनुसार भाजपा नेता मतदान में कमी को हल्के में नहीं ले रहे हैं। बिहार व उत्तर प्रदेश को लेकर कुछ चिंताएं है। मध्य प्रदेश, उत्तराखंड व छत्तीसगढ़ को पार्टी ठीक मान रही है, लेकिन राजस्थान को लेकर कुछ शंकाएं हैं।

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