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इस बार अंतरिम बजट आएगा, क्या है और कब आता है, अब तक के अंतरिम बजट में क्या हुआ-सब जानें
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में अंतरिम बजट पेश करने वाली हैं. यह बजट 1 फरवरी 2024 को देश की नई संसद में पेश किया जाएगा. ऐसे में अगर आप जानना चाहते हैं कि अंतरिम बजट क्या होता है और यह आम बजट से कैसे अलग होता है तो हम आपको जानकारी दे रहे हैं. यहां पिछले कुछ अंतरिम बजट के महत्वपूर्ण ऐलानों के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
क्या होता है अंतरिम बजट?
अंतरिम बजट सालाना या आम बजट से कई मामलों में बहुत अलग होता है. आम चुनावों के साल में केंद्र सरकार द्वारा शुरुआत के कुछ महीनों के लिए अंतरिम बजट पेश किया जाता है. यह आम बजट से छोटा होता है और इसमें नई सरकार के गठन तक राजस्व और व्यय के अनुमान को प्रस्तुत किया जाता है जिससे मार्केट में निवेशकों का भरोसा बना रहे. यह बजट तब तक लागू रहता है जब तक की नई सरकार अपना नया पूर्ण बजट नहीं पेश कर देती है. हम आपको पिछले कुछ सालों में अंतरिम बजट के दौरान हुए कुछ महत्वपूर्ण ऐलानों के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
अंतरिम बजट में किए गए कुछ महत्वपूर्ण ऐलानों के बारे में जानें-
2014 में अंतरिम बजट पेश करते हुए तत्कालीन यूपीए सरकार के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) लागू करने का ऐलान किया था. इसके साथ ही उन्होंने एजुकेशन लोन के नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए मोरेटोरियम पीरियड का ऐलान किया था. यह मोरेटोरियम पीरियड 31 मार्च 2009 तक लिए गए एजुकेशन लोन पर लागू किया गया था. वहीं 2019 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के अंतरिम बजट को पेश करते हुए तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने इनकम टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव के साथ ही कई सरकारी योजनाओं का भी ऐलान किया था.

 

बजट में सेविंग अकाउंट पर मिलेगी टैक्सपेयर को राहत, जानिए कितना मिल सकता है फायदा
1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया जाएगा. यह आम चुनावों से पहले पेश होने वाला वोट-ऑन-अकाउंट बजट होगा. हालांकि वित्त मंत्री कोई बड़ी घोषणा नहीं कर सकते हैं, लेकिन टैक्सपेयर्स को अंतरिम राहत प्रदान करने के लिए कुछ उपायों की उम्मीद की जा सकती है. किसी व्यक्ति के सबसे आम वित्तीय निवेशों में से एक बचत बैंक खाते या पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट्स में पड़ा पैसा है. इन बचत बैंक खातों में पैसे पर अर्जित ब्याज एक वित्तीय वर्ष में 10,000 रुपये की कटौती के अधीन टैक्स योग्य है. आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80TTA के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति (60 वर्ष से कम आयु) या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को बैंकों, व्यवसाय करने वाली सहकारी समितियों में रखे गए बचत खाते से ब्याज आय होती है. बैंकिंग या पोस्ट ऑफिस की तो सकल कुल आय से 10,000 रुपये तक की कटौती का दावा किया जा सकता है.
50 हजार रुपए की कटौती
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि टैक्सपेयर फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी), आरडी, पोस्ट ऑफिस समय जमा इत्यादि से प्राप्त किसी भी ब्याज के लिए इस कटौती का लाभ नहीं उठा सकते हैं. वरिष्ठ नागरिकों के लिए जो 60 वर्ष और उससे अधिक हैं, एक है धारा 80TTB के तहत 50,000 रुपये तक की अलग कटौती, जो सेविंग अकाउंट्स, फिक्स्ड डिपॉजिट और अलग-अलग वित्तीय संस्थानों से अन्य जमाओं से ब्याज आय पर लागू होती है.
इन बातों का रखें ध्यान
यह ध्यान रखना जरूरी है कि यदि कोई व्यक्ति वित्तीय वर्ष के दौरान नई टैक्स व्यवस्था का विकल्प चुनता है तो धारा 80TTA और धारा 80TTB (जैसा लागू हो) दोनों कटौती उपलब्ध नहीं हैं. वर्तमान में, एक बचत बैंक खाता आम तौर पर प्रति वर्ष 3-4% की सीमा में ब्याज प्रदान करता है, जबकि फिक्स्ड डिपॉजिट पर लगभग 7% प्रति वर्ष और आवर्ती जमा पर लगभग 6.5% प्रति वर्ष अपेक्षाकृत अधिक ब्याज मिलता है. हालाँकि कुछ बैंक उच्च ब्याज दरों का विज्ञापन करते हैं, लेकिन यह स्तर से अधिक बैंक शेष पर उपलब्ध है. अधिकांश व्यक्तियों के लिए उपलब्ध बचत खाते में कम ब्याज दरों को देखते हुए अधिकांश बैंक जरूरत पड़ने पर तरलता की अनुमति देते हुए बचत से फिक्स्ड डिपॉजिट में स्विच करने की अनुमति देते हैं.
इन लोगों को मिल सकता है फायदा
बचत, फिक्स्ड डिपॉजिट या RD खातों से ब्याज के उपचार को अलग करने का अब कोई कारण नहीं है. ऐसा इसलिए है क्योंकि बैंक बचत बैंक खाते से एफडी में और इसके विपरीत आसानी से पैसा स्थानांतरित करने का विकल्प प्रदान करते हैं. इसलिए सरकार वरिष्ठ नागरिकों के इलाज के समान, धारा 80TTA के लाभों को सावधि और आवर्ती जमा खातों तक बढ़ा सकती है. इसके अलावा, छोटी बचत को प्रोत्साहित करने और टैक्सपेयर्स को राहत प्रदान करने के लिए बजट 2012 में धारा 80TTA के तहत कटौती शुरू की गई थी. हालाँकि, तब से मात्रा स्थिर बनी हुई है. सरकार कटौती को मौजूदा 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये करने पर विचार कर सकती है.
इनकम टैक्स छूट का इंतजार
बजट 2024-25 से सबको इनकम टैक्स छूट का इंतजार रहेगा. हर बार की तरह इस बार भी टैक्स छूट के लिए सरकार को कईं सिफारिशें मिली हैं. टैक्स के बोझ को कम करने के लिए सरकार भी इनकम टैक्स छूट का ऐलान कर सकती है. माना जा रहा है कि इनकम टैक्स सेक्शन 80C के तहत छूट का दायरा 1.5 लाख रुपए से बढ़ाया जा सकता है. 80C का दायरे बढ़ने से PPF, लाइफ इंश्योरेंस जैसे प्रोडक्ट्स की डिमांड में भी तेजी आ सकती है. साथ ही इस पर टैक्स छूट ज्यादा होगी तो सीधा फायदा मध्यम वर्ग को मिलेगा.
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बजट में चलेगा मोदी की गारंटी का जादू, सीधे 75 करोड़ वोटर्स का होगा फायदा
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने रविवार को कहा है कि सरकार के आम चुनाव से पहले पेश किए जाने वाले बजट में मोदी की गारंटी की छाप रहने की संभावना है. इस अंतरिम बजट में मध्यम वर्ग, किसानों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों समेत मतदाताओं के बड़े वर्ग को आकर्षित करने के लिए लोकलुभावन योजनाएं पेश की जा सकती हैं. सरकार इस गारंटी को पूरा करने के लिए अगर जरूरत हुई, तो राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को लेकर थोड़ी रियायत भी ले सकती है. बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में एक फरवरी को वित्त वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करेंगी. यह उनका लगातार छठा बजट होगा. कहा जाता है कि लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाला अंतरिम बजट, सत्ता में मौजूद पार्टी के लिए मुफ्त एवं लोकलुभावन योजनाओं के जरिए मतदाताओं को आकर्षित करने का एक मौका होता है. वर्ष 2019 में आम चुनाव से पहले पेश अंतरिम बजट में भी हम ऐसा होते हुए देख चुके हैं.
क्या हुआ था पिछले चुनावी बजट में?
सरकार ने 2019 में मध्यम वर्ग, किसानों और असंगठित क्षेत्र के कामगारों को लक्षित किया था. कुल मिलाकर ये लगभग 75 करोड़ मतदाता हैं. ऐसी संभावना है कि सरकार इस बार भी इन मतदाताओं का खास ध्यान रखेगी. उस समय वित्त मंत्री की अतिरिक्त जिम्मेदारी निभा रहे कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्री पीयूष गोयल ने मध्यम वर्ग को आकर्षित करने के लिए पांच लाख रुपए तक की टैक्स-योग्य आय को आयकर से छूट दी थी. साथ ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 12 करोड़ किसानों को सालाना 6,000 रुपए नकद भी उपलब्ध कराने की घोषणा की. इसके अलावा, असंगठित क्षेत्र (पीएम श्रम योगी मानधन -एसवाईएम) से जुड़े 50 करोड़ कामगारों को सेवानिवृत्ति पेंशन में सरकारी योगदान का भी प्रस्ताव किया गया था.
बजट में चलेगा मोदी की गारंटी का जादू?
कुल मिलाकर मोदी की गारंटी की छाप इस बार के अंतरिम बजट में भी देखने को मिल सकती है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कई घोषणाएं कीं. इसमें अन्य बातों के अलावा 450 रुपए में एलपीजी गैस सिलेंडर, गरीब महिलाओं को 1,250 रुपए का नकद हस्तांतरण, 21 साल की उम्र की तक गरीब लड़कियों को दो लाख रुपए आदि की घोषणाएं शामिल हैं और इन्हें मोदी की गारंटी का नाम दिया गया. पूर्व वित्त सचिव ने कहा कि असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी और वेतन कटौती को लेकर काफी संकट है. केंद्र सरकार के पास असंगठित क्षेत्र के 30 करोड़ कामगारों का आंकड़ा है. वित्त मंत्री इन कामगारों को आकर्षित करने के लिए कुछ घोषणाएं कर सकती हैं. उन्हें सालाना कुछ नकद राशि देने की घोषणा की जा सकती है.

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बजट में रोटी, नौकरी और मकान पर होगा फोकस, 6000 से 9000 हो सकती है PM kisan की राशि
बजट पेश होने में महज 3 दिन बचे हैं. चुनावी साल होने की वजह से सरकार का ध्यान बजट में आम आदमी को खुश करने पर होगा. ऐसे में सरकार का फोकस का रोटी, मकान, नौकरी और किसान पर ही होगा. लोगों को उम्मीद है कि अंतरिम बजट में रोजगार के मौके बढ़ाने और महंगाई को बढ़ने से रोकने के उपाय हो सकते हैं. बजट में इनको लेकर सरकार बड़े ऐलान कर सकती है. ऐसे में रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए सरकार को बड़े कदम उठाने होंगे. हर साल लाखों युवा वर्कफोर्स का हिस्सा बन रहे हैं. इनके लिए रोजगार के मौके पैदा करना सरकार के लिए बजट में बड़ी चुनौती है.
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, 1 फरवरी को कुछ महत्वपूर्ण घोषणाओं की उम्मीद है. इसके अलावा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि या पीएम-किसान के तहत हस्तांतरित धन की राशि को मौजूदा ₹6,000 से लगभग 50% बढ़ाकर ₹9,000 सालाना किया जा सकता है. कोरोना की महामारी के बाद से खाने-पीने की चीजों की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है. खासकर दालों और कुछ खाद्य तेल की कीमतें बढ़ी हैं. रसोई गैस के सिलेंडर की कीमत भी 1000 रुपये के करीब पहुंच गई है. हालांकि, सरकार ने दो-ढाई महीने पहले इसमें कमी की थी. लेकिन, यह कमी पर्याप्त नहीं है. इसमें और कमी लाने की जरूरत है. सरकार को रोजमर्रा की चीजों की कीमतें बढ़ने से रोकने की कोशिश करनी चाहिए. इससे आम आदमी खासकर कम आय वर्ग के लोगों को बहुत राहत मिलेगी. आम आदमी की इनकम का ज्यादा हिस्सा खाने-पीने की चीजों पर खर्च हो जाता है. इसलिए इन चीजों की कीमतें बढ़ने से रोकने के ठोस उपाय होने चाहिए. उम्मीद है कि वित्तमंत्री इस बारे में बजट में कदम उठा सकती हैं.
रोजगार बढ़ेंगे
सरकार को रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए बड़े कदम उठाने होंगे. यूनियन बजट इसके लिए बड़ा मौका हो सकता है. हर साल लाखों युवा वर्कफोर्स का हिस्सा बन रहे हैं. इनके लिए रोजगार के मौके पैदा करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस बढ़ाया है. इससे रोजगार के मौके बढ़ाने में मदद मिली है. रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) स्कीम का दायरा बढ़ाने की जरूरत है. इस स्कीम के तहत इकोनॉमी के उन सेक्टर को लाने की जरूरत है, जिनमें लेबर का ज्यादा इस्तेमाल होता है.
बढ़ सकती है PM किसान की राशि
बजट 2024 में किसानों को भी वित्त मंत्री खुश कर सकती हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंतरिम बजट में वित्तमंत्री प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की किस्त बढ़ाकर 9,000 रुपये कर सकती हैं. इससे जीडीपी पर 0.1 फीसदी का असर पड़ेगा. इससे सरकार को ज्यादा दिक्कत नहीं होगी.

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भारत की GDP अगले साल 7% रह सकती है:अंतरिम बजट से पहले वित्त मंत्रालय ने जारी की रिपोर्ट, इकोनॉमिक सर्वे नहीं आएगा
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी।
2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश किए जाने से 2 दिन पहले, वित्त मंत्रालय ने आज यानी, 29 जनवरी को बताया कि भारत की GDP अगले साल 7% रह सकती है। मंत्रालय ने ‘द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू’ नाम की एक रिपोर्ट जारी की है। इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन के ऑफिस के अधिकारियों ने तैयार किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत घरेलू मांग ने पिछले 3 साल में इकोनॉमी को 7% से ज्यादा की विकास दर पर पहुंचा दिया है। पिछले 10 सालों में सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के कारण निजी खपत और निवेश में मजबूती आई है। मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट देने के लिए उठाए कदम और इंफ्रास्ट्रक्चर में इन्वेस्टमेंट से सप्लाई साइड भी मजबूत हुई है।
2030 तक भारत 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि आने वाले सालों में भी इकॉनॉमी 7% की दर से बढ़ना जारी रह सकती है। केवल भू-राजनीतिक संघर्षों का बढ़ा जोखिम एक चिंता का विषय है। इसके अलावा, भारत 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। यह जीवन की गुणवत्ता और जीवन स्तर प्रदान करने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।
बजट सत्र शुरू होने से ठीक दो दिन पहले मंत्रालय ने जारी की रिपोर्ट
यह रिपोर्ट सामान्य से अलग है क्योंकि यह संसद का बजट सत्र शुरू होने से ठीक दो दिन पहले आई है। इस साल लोकसभा चुनाव होने हैं, इसलिए 1 फरवरी को फुल बजट की जगह अंतरिम बजट पेश किया जाएगा। अंतरिम बजट से वर्तमान सरकार को नई सरकार के आने और पूर्ण बजट पेश होने तक, देश को चलाने के लिए पैसा मिलता है।
अंतरिम बजट से पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश नहीं होता
सरकार अंतरिम बजट से पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश नहीं करती है। वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘यह आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से तैयार किया गया भारत का इकोनॉमिक सर्वे नहीं है। यह आम चुनाव के बाद पूर्ण बजट से पहले आएगा।’

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