राजौरी हत्याकांड के पीछे विदेशी आतंकवादी अबू हमजा:जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 10 लाख रुपए का इनाम घोषित किया; सरकारी कर्मचारी की हुई थी टारगेट किलिंग
जम्मू-कश्मीर के राजौरी में 22 अप्रैल की रात आतंकियों ने टारगेट किलिंग को अंजाम दिया था। मामले की जांच कर रही जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मंगलवार (23 अप्रैल) को दावा किया कि इस हमले के पीछे विदेशी आतंकवादी अबू हमजा का हाथ है। यह उसका कोडनेम है। वो प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से है।
पुलिस ने अबू हमजा की जानकारी देने पर 10 लाख रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया है। पुलिस ने अबू हमजा (32) का पोस्टर भी जारी किया है। साथ ही बताया है हमले के दौरान वह भूरे रंग की शॉल के साथ पठानी सूट पहना हुआ था। उसके पास नारंगी रंग का बैग था।
पुलिस ने जानकारी दी है कि अबू शदरा शरीफ और डेर की गली इलाकों में एक्टिव है। वो यहां हुए कई आतंकवादी घटनाओं में शामिल रहा है। उसके बारे में जो भी जानकारी देगा उसकी पहचान गुप्त रखी जाएगी।
आतंकियों ने घर पर की थी फायरिंग
राजौरी में 22 अप्रैल की रात आतंकियों ने एक घर पर फायरिंग की थी। इसमें 40 साल के मोहम्मद रज्जाक की मौत हो गई थी। वे कुंडा टोपे शाहदरा शरीफ के रहने वाले थे। रज्जाक के भाई सेना में जवान हैं।
19 साल पहले आतंकियों ने इसी गांव में रज्जाक के पिता मोहम्मद अकबर की हत्या कर दी थी। वे वेलफेयर डिपार्टमेंट में काम करते थे। रज्जाक को पिता के बाद उनकी नौकरी मिली थी। आतंकियों ने अमेरिका में बनी M4 राइफल और एक पिस्तौल से अटैक किया था। पुलिस ने M4 राइफल की बुलेट्स रिकवर की थी।
विक्टिम रज्जाक की मां ने कहा कि मेरे बेटे ने ड्यूटी से आने के बाद मवेशियों के लिए चारा लगाया। फिर उसने खाना खाया। तभी किसी ने लाल हुसैन के लिए आवाज लगाई। हम बाहर निकले, तो देखा वहां एक शख्स बंदूक लेकर खड़ा था। कुछ देर बाद हमें बंदूकों की आवाज सुनाई दी। हमें न्याय चाहिए। 20 साल पहले मेरे पति को भी यहीं मारा गया था। पूरी खबर पढ़ें
विक्टिम की मां बोलीं- मेरे पति की भी यहीं हत्या की गई थी
विक्टिम रज्जाक की मां ने कहा कि मेरे बेटे ने ड्यूटी से आने के बाद मवेशियों के लिए चारा लगाया। फिर उसने खाना खाया। तभी किसी ने लाल हुसैन के लिए आवाज लगाई। हम बाहर निकले, तो देखा वहां एक शख्स बंदूक लेकर खड़ा था। कुछ देर बाद हमें बंदूकों की आवाज सुनाई दी। हमें न्याय चाहिए। 20 साल पहले मेरे पति को भी यहीं मारा गया था।
इससे पहले हुई थी दो गैर-कश्मीरियों की टारगेट किलिंग
8 अप्रैल: दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के पदपावन में आतंकियों ने गैर कश्मीरी स्थानीय ड्राइवर परमजीत सिंह को गोली मारी थी। वह दिल्ली का रहने वाला था। आतंकियों ने परमजीत पर उस वक्त हमला किया था, जब वह अपने ड्यूटी पर था। घटना को अंजाम देने के बाद आतंकी मौके से भाग निकले थे।
17 अप्रैल: आतंकियों ने बिहार के एक प्रवासी शंकर शाह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हमलावरों ने उसे पेट और गर्दन में गोलियां मारी थीं।
फरवरी में पंजाब के दो लोगों की हत्या हुई
श्रीनगर में 7 फरवरी 2024 को आतंकियों ने हब्बा कदल इलाके में सिख समुदाय के दो लोगों को AK-47 राइफल से गोली मारी दी थी। मृतकों की पहचान अमृतसर के रहने वाले अमृत पाल (31) और रोहित मसीह (25) के रूप में की गई। अमृत पाल की मौके पर ही मौत हो गई थी। रोहित ने इलाज के दौरान दम तोड़ा था।
पिछले 2 साल में टारगेट किलिंग की अन्य घटनाएं
26 फरवरी 2023: आतंकियों ने पुलवामा में एक कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या कर दी थी। वो अपने गांव में गार्ड का काम करते थे। सुबह के वक्त वह ड्यूटी से लौट रहे थे। तभी आतंकियों ने उन पर फायरिंग की थी।
29 मई 2023: अनंतनाग में आतंकियों ने एक नागरिक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतक की पहचान दीपक कुमार के रूप में हुई थी। दीपक जम्मू के उधमपुर का रहने वाला था और अनंतनाग के जंगलात मंडी में सर्कस मेले में काम करता था।
15 अक्टूबर 2022: शोपियां के चौधरीगुंड गांव में आतंकियों ने पूरन कृष्ण भट्ट पर फायरिंग की थी। गंभीर रूप से घायल पूरन को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
अगस्त 2022: शोपियां में आतंकियों ने बिहार के रहने वाले तीन प्रवासी मजदूरों को गोली मारी थी। इसके अलावा सेब के बाग में एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गई थी। बांदीपोरा में आतंकियों ने बिहार के एक प्रवासी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
नवंबर 2022: शोपियां में आतंकियों ने उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के रहने वाले दो मजदूरों की हत्या कर दी थी। शोपियां के हरमेन में आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका था, जिसमें मोनीश कुमार और राम सागर नाम के दो मजदूर घायल हो गए थे।
घाटी में गैर-कश्मीरियों की हत्या का कारण
खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि टारगेट किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई साजिश है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है।
आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खास तौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।
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